अंग फड़कने लगना: Difference between revisions

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'''अर्थ'''- आवेश से भर उठना।
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'''प्रयोग'''- दिल्लीपत बेल का ब्याह ऐसा गाकर पढ़ता की सुननेवालों के अंग फड़कने लगते। (अजित पुष्कल)
'''प्रयोग'''- दिल्लीपत बेला का ब्याह ऐसा गाकर पढ़ता की सुनने वालों के अंग फड़कने लगते। ...(अजित पुष्कल)




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Latest revision as of 12:05, 20 April 2018

अंग फड़कने लगना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- आवेश से भर उठना।

प्रयोग- दिल्लीपत बेला का ब्याह ऐसा गाकर पढ़ता की सुनने वालों के अंग फड़कने लगते। ...(अजित पुष्कल)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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