कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 16: Difference between revisions
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||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer.jpg|right|120px|पुष्कर झील, राजस्थान]][[राजस्थान]] में ख्याल, रम्मत, रासधारी, [[नृत्य कला|नृत्य]], भवाई, ढाला-मारु, तुर्रा-कलंगी या माच तथा आदिवासी गवरी, [[घूमर नृत्य|घूमर]], अग्नि नृत्य, [[कोटा राजस्थान|कोटा]] का चकरी नृत्य, डीडवाणा पोकरण के '''तेराताली नृत्य''', मारवाड़ की कच्ची घोड़ी का नृत्य, पाबूजी की फड़ तथा [[कठपुतली]] प्रदर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं। पाबूजी की फड़ चित्रांकित पर्दे के सहारे प्रदर्शनात्मक विधि द्वारा गाया जाने वाला गेय-नाट्य है। लोक बादणें में नगाड़ा | ||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer.jpg|right|120px|पुष्कर झील, राजस्थान]][[राजस्थान]] में ख्याल, रम्मत, रासधारी, [[नृत्य कला|नृत्य]], भवाई, ढाला-मारु, तुर्रा-कलंगी या माच तथा आदिवासी गवरी, [[घूमर नृत्य|घूमर]], अग्नि नृत्य, [[कोटा राजस्थान|कोटा]] का चकरी नृत्य, डीडवाणा पोकरण के '''तेराताली नृत्य''', मारवाड़ की कच्ची घोड़ी का नृत्य, पाबूजी की फड़ तथा [[कठपुतली]] प्रदर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं। पाबूजी की फड़ चित्रांकित पर्दे के सहारे प्रदर्शनात्मक विधि द्वारा गाया जाने वाला गेय-नाट्य है। लोक बादणें में नगाड़ा [[ढोल]]-ढ़ोलक, मादल, [[रावण हत्था]], पूंगी, बसली, [[सारंगी]], तदूरा, तासा, थाली, [[झाँझ]] पत्तर तथा खड़ताल आदि हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]] | ||
{फ़िल्म 'झनक-झनक पायल बाजे' में एक विख्यात नर्तक ने शानदार अभिनय प्रस्तुत किया था। उनका नाम क्या था? | {फ़िल्म 'झनक-झनक पायल बाजे' में एक विख्यात नर्तक ने शानदार अभिनय प्रस्तुत किया था। उनका नाम क्या था? | ||
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-[[यजुर्वेद]] | -[[यजुर्वेद]] | ||
-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
||[[देवता]] विषयक विवेचन की दृष्ठि से [[सामवेद]] का प्रमुख देवता ‘सविता‘ या ‘[[सूर्य देव|सूर्य]]‘ है, इसमें मुख्यतः सूर्य की स्तुति के [[मंत्र]] हैं, किन्तु 'इंद्रसोम' का भी इसमें पर्याप्त वर्णन है। भारतीय [[संगीत]] के [[इतिहास]] के क्षेत्र में सामवेद का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसे भारतीय संगीत का मूल कहा जा सकता है। सामवेद का प्रथम द्रष्टा [[वेदव्यास]] के शिष्य [[जैमिनि]] को माना जाता है। सामवेद से तात्पर्य है कि वह ग्रन्थ, जिसके मंत्र गाये जा सकते हैं, और जो संगीतमय हों।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सामवेद]] | ||[[देवता]] विषयक विवेचन की दृष्ठि से [[सामवेद]] का प्रमुख देवता ‘सविता‘ या ‘[[सूर्य देव|सूर्य]]‘ है, इसमें मुख्यतः सूर्य की स्तुति के [[मंत्र]] हैं, किन्तु 'इंद्रसोम' का भी इसमें पर्याप्त वर्णन है। भारतीय [[संगीत]] के [[इतिहास]] के क्षेत्र में सामवेद का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसे भारतीय संगीत का मूल कहा जा सकता है। सामवेद का प्रथम द्रष्टा [[वेदव्यास]] के शिष्य [[जैमिनि]] को माना जाता है। सामवेद से तात्पर्य है कि वह [[ग्रन्थ]], जिसके [[मंत्र]] गाये जा सकते हैं, और जो संगीतमय हों।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सामवेद]] | ||
{[[औरंगज़ेब]] किस [[वाद्य यंत्र]] का शौकीन व उसके वादन में निपुण था? | {[[औरंगज़ेब]] किस [[वाद्य यंत्र]] का शौकीन व उसके वादन में निपुण था? | ||
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-[[पखावज]] | -[[पखावज]] | ||
+[[वीणा]] | +[[वीणा]] | ||
||[[चित्र:Veena.jpg|right|120px|वीणा]]प्राचीन काल में [[भारत]] के [[वाद्य यंत्र|वाद्य यंत्रों]] में [[वीणा]] मुख्य थी। इसका उल्लेख प्राचीन [[संस्कृत]] ग्रन्थों में भी उपलब्ध होता है। [[सरस्वती]] और [[नारद]] का वीणा वादन तो प्रसिद्ध है। यह मान्यता है, कि मध्यकाल में [[अमीर खुसरो]] ने [[सितार]] की रचना वीणा और बैंजो को मिलाकर की। कुछ इसे 'गिटार' का भी रूप बताते हैं। वीणा में 4 तार होते हैं, और तारों की लंबाई में किसी प्रकार का विभाजन नहीं होता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वीणा]] | ||[[चित्र:Veena.jpg|right|120px|वीणा]]प्राचीन काल में [[भारत]] के [[वाद्य यंत्र|वाद्य यंत्रों]] में [[वीणा]] मुख्य थी। इसका उल्लेख प्राचीन [[संस्कृत]] ग्रन्थों में भी उपलब्ध होता है। [[सरस्वती]] और [[नारद]] का वीणा वादन तो प्रसिद्ध है। यह मान्यता है, कि [[मध्यकाल]] में [[अमीर खुसरो]] ने [[सितार]] की रचना वीणा और बैंजो को मिलाकर की। कुछ इसे '[[गिटार]]' का भी रूप बताते हैं। वीणा में 4 तार होते हैं, और तारों की लंबाई में किसी प्रकार का विभाजन नहीं होता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वीणा]] | ||
{'प्रयाग संगीत समिति' नाम से [[संगीत]] शिक्षण संस्थान कहाँ अवस्थित है? | {'प्रयाग संगीत समिति' नाम से [[संगीत]] शिक्षण संस्थान कहाँ अवस्थित है? |
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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
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