गलता मन्दिर: Difference between revisions

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*शहर की पूर्वी पहाडियों पर अवस्थित गलता के कुण्‍ड में गोमुख से निरन्‍तर पानी बहता रहता है।  
*शहर की पूर्वी पहाडियों पर अवस्थित गलता के कुण्‍ड में गोमुख से निरन्‍तर पानी बहता रहता है।  
*[[पर्वत]] की सर्वोच्‍च ऊँचाई पर सूर्य मंदिर है।  
*[[पर्वत]] की सर्वोच्‍च ऊँचाई पर सूर्य मंदिर है।  
*गलता के रास्‍ते में [[पर्वत]] श्रृंखलाओं के बीच घाट की गूणी और आमागढ स्थित है।
*गलता के रास्‍ते में [[पर्वत]] शृंखलाओं के बीच घाट की गूणी और आमागढ स्थित है।
*घाट की गूणी क्षेत्रों में ही [[सवाई जयसिंह]] तृतीय की महारानी सिसोदिया द्वारा सन 1779 में निर्मित सिसोदिया रानी का महल एवं बाग़ है।  
*घाट की गूणी क्षेत्रों में ही [[सवाई जयसिंह]] तृतीय की महारानी सिसोदिया द्वारा सन 1779 में निर्मित सिसोदिया रानी का महल एवं बाग़ है।  
*इस बाग़ में आकर्षक फव्‍वारे एवं भव्‍य महल बना हुआ है।  
*इस बाग़ में आकर्षक फव्‍वारे एवं भव्‍य महल बना हुआ है।  

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[[चित्र:Galta-Temple-Jaipur.jpg|thumb|250px|गलता मन्दिर, जयपुर]] गलता मन्दिर राजस्थान राज्य के जयपुर शहर में स्थित एक हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह सूरजपोल के बाहर, पहाड़ी की घाटी में स्थित एक रमणीक स्थान है, जहाँ किवदंती के अनुसार प्राचीन समय में गालव ऋषि का आश्रम था, जिनके नाम पर यह स्थान गलता कहलाता है। पहाड़ी के ऊपर गालवी गंगा का झरना है।

  • ऋषि गालव की पवित्र तपोभूमि गलता एक प्रमुख तीर्थस्‍थल माना जाता है।
  • शहर की पूर्वी पहाडियों पर अवस्थित गलता के कुण्‍ड में गोमुख से निरन्‍तर पानी बहता रहता है।
  • पर्वत की सर्वोच्‍च ऊँचाई पर सूर्य मंदिर है।
  • गलता के रास्‍ते में पर्वत शृंखलाओं के बीच घाट की गूणी और आमागढ स्थित है।
  • घाट की गूणी क्षेत्रों में ही सवाई जयसिंह तृतीय की महारानी सिसोदिया द्वारा सन 1779 में निर्मित सिसोदिया रानी का महल एवं बाग़ है।
  • इस बाग़ में आकर्षक फव्‍वारे एवं भव्‍य महल बना हुआ है।
  • इसके समीप ही जयपुर के मुख्‍य वास्‍तुविद एवं नगर नियोजक विद्याधर के नाम से अनेक फव्‍वारों एवं कुण्‍डों से आच्‍छादित विद्याधर का बाग़ भी पर्यटकों के आकर्षक का केन्‍द्र है।
  • गलता कुण्ड में निरंतर गौमुख से पानी बहता रहता है।
  • इस धार्मिक स्थल में अनेक स्नानागार हैं।


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