भड़का रहे हैं आग -साहिर लुधियानवी: Difference between revisions

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भड़का रहे हैं आग -साहिर लुधियानवी
कवि साहिर लुधियानवी
जन्म 8 मार्च, 1921
जन्म स्थान लुधियाना, पंजाब
मृत्यु 25 अक्तूबर, 1980
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
मुख्य रचनाएँ तल्ख़ियाँ (नज़्में), परछाईयाँ (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
साहिर लुधियानवी की रचनाएँ

भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम।
ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम।
 
कुछ और बड़ गए अंधेरे तो क्या हुआ,
मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-सहर से हम।[1]

ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है,
क्यूँ देखें ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम।
 
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके,
कुछ ख़ार कम कर गए गुज़रे जिधर से हम।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सहर=शाम

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