ऐ शरीफ़ इन्सानो -साहिर लुधियानवी: Difference between revisions

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कोख धरतीकी बौझ होती है !
कोख धरतीकी बौझ होती है !
फतह का जश्न हो की हारका सोग,
फतह का जश्न हो की हारका सोग,
जिंदगी मय्यतोंपे रोंती है  !
ज़िंदगी मय्यतोंपे रोंती है  !


जंग तो खुदही एक मसलआ है
जंग तो खुदही एक मसलआ है

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ऐ शरीफ़ इन्सानो -साहिर लुधियानवी
कवि साहिर लुधियानवी
जन्म 8 मार्च, 1921
जन्म स्थान लुधियाना, पंजाब
मृत्यु 25 अक्तूबर, 1980
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
मुख्य रचनाएँ तल्ख़ियाँ (नज़्में), परछाईयाँ (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
साहिर लुधियानवी की रचनाएँ

खून आपना हो या पराया हो
नसल-ऐ-आदम का खून है आख़िर,
जंग मशरिक में हो या मगरिब में,
अमन-ऐ-आलम का खून है आख़िर !

बम घरों पर गिरे की सरहद पर ,
रूह-ऐ-तामीर जख्म खाती है !
खेत अपने जले की औरों के ,
जस्ति फ़ाकों से तिलमिलाती है !

टैंक आगे बढे की पीछे हटे,
कोख धरतीकी बौझ होती है !
फतह का जश्न हो की हारका सोग,
ज़िंदगी मय्यतोंपे रोंती है  !

जंग तो खुदही एक मसलआ है
जंग क्या मसलोंका हल देगी ?
आग और खून आज बख्शेगी
भूख और एहतयाज कल देगी !

इसलिए ऐ शरीफ इंसानों ,
जंग टलती है तो बेहतर है !
आप और हम सभी के आँगन में,
शमा जलती रहे तो बेहतर है !


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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