User:रविन्द्र प्रसाद/1: Difference between revisions

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+चिकोटी पद्धति
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||[[चित्र:Lekhan-Samagri-1.jpg|right|100px|सिंधु सभ्यता की उत्कीर्ण मुद्रा]]'[[सिंधु घाटी सभ्यता]]' या 'हड़प्पा सभ्यता' की [[कला]] में मुहरों का अपना विशिष्ट स्थान था। अब तक क़रीब 200 मुहरें प्राप्त की जा चुकी हैं। इसमें लगभग 1200 अकेले [[मोहनजोदाड़ो]] से प्राप्त हुई हैं। ये मुहरे बेलनाकार, वर्गाकार, आयताकार एवं वृत्ताकार रूप में मिली हैं। मुहरों का निर्माण अधिकतर सेलखड़ी से हुआ है। पकी मिट्टी की मूर्तियों का निर्माण 'चिकोटी पद्धति' से किया गया है। पर कुछ मुहरें 'काचल मिट्टी', गोमेद, चर्ट और [[मिट्टी]] की बनी हुई भी प्राप्त हुई हैं। अधिकांश मुहरों पर संक्षिप्त लेख, एक श्रृंगी सांड, [[भैंस]], [[बाघ]], गैडा, हिरन, बकरी एवं [[हाथी]] के चित्र उकेरे गये हैं। इनमें से सर्वाधिक आकृतियाँ एक श्रृंगी सांड की मिली हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमृता प्रीतम]]
||[[चित्र:Lekhan-Samagri-1.jpg|right|100px|सिंधु सभ्यता की उत्कीर्ण मुद्रा]]'[[सिंधु घाटी सभ्यता]]' या 'हड़प्पा सभ्यता' की [[कला]] में मुहरों का अपना विशिष्ट स्थान था। अब तक क़रीब 200 मुहरें प्राप्त की जा चुकी हैं। इसमें लगभग 1200 अकेले [[मोहनजोदाड़ो]] से प्राप्त हुई हैं। ये मुहरे बेलनाकार, वर्गाकार, आयताकार एवं वृत्ताकार रूप में मिली हैं। मुहरों का निर्माण अधिकतर सेलखड़ी से हुआ है। पकी मिट्टी की मूर्तियों का निर्माण 'चिकोटी पद्धति' से किया गया है। पर कुछ मुहरें 'काचल मिट्टी', गोमेद, चर्ट और [[मिट्टी]] की बनी हुई भी प्राप्त हुई हैं। अधिकांश मुहरों पर संक्षिप्त लेख, एक श्रृंगी सांड, [[भैंस]], [[बाघ]], गैडा, हिरन, बकरी एवं [[हाथी]] के चित्र उकेरे गये हैं। इनमें से सर्वाधिक आकृतियाँ एक श्रृंगी सांड की मिली हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हड़प्पा सभ्यता]]


{'[[राजतरंगिणी]]' में 7826 [[श्लोक]] हैं, जो तरंगों में संगठित हैं। तरंगों की संख्या कितनी है-(पृ.सं. 171
{'[[राजतरंगिणी]]' में 7826 [[श्लोक]] हैं, जो तरंगों में संगठित हैं। तरंगों की संख्या कितनी है-(पृ.सं. 171
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||'राजतरंगिणी' [[कल्हण]] द्वारा रचित एक [[संस्कृत]] [[ग्रन्थ]] है, जिसकी रचना 1148 से 1150 के बीच हुई थी। [[कश्मीर]] के इतिहास पर आधारित इस ग्रंथ की रचना में कल्हण ने ग्यारह अन्य ग्रंथों का सहयोग लिया था, जिसमें से अब केवल 'नीलमतपुराण' ही उपलब्ध है। यह ग्रंथ संस्कृत में ऐतिहासिक घटनाओं के क्रमबद्ध [[इतिहास]] लिखने का प्रथम प्रयास है। कल्हण की '[[राजतरंगिणी]]' में कुल आठ तरंग एवं 7826 [[श्लोक]] हैं। पहले के तीन तरंगों में कश्मीर के प्राचीन इतिहास की जानकारी मिलती है। चौथे से लेकर छठवें तरंग में [[कार्कोट वंश|कार्कोट]] एवं [[उत्पल वंश]] के इतिहास का वर्णन है। अन्तिम सातवें एवं आठवें तरंग में [[लोहार वंश]] का इतिहास उल्लिखित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजतरंगिणी]]
{[[कौटिल्य]] के [[अर्थशास्त्र]] में नि:सृष्टार्थ शब्द का प्रयोग है। यह शब्द निम्नलिखित में से किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? (पृ.सं. 172
|type="()"}
-गुप्तचरों के लिए
-न्यायाधीशों के लिए
-[[अमात्य|अमात्यों]] के लिए
+सन्देशवाहकों के लिए


{निम्नलिखित में से किस [[विदेशी यात्री]] ने [[राष्ट्रकूट|राष्ट्रकूटों]] के बारे में विवरण दिया है? (पृ.सं. 172
{निम्नलिखित में से किस [[विदेशी यात्री]] ने [[राष्ट्रकूट|राष्ट्रकूटों]] के बारे में विवरण दिया है? (पृ.सं. 172
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-[[अब्दुल हमीद]]
-[[अब्दुल हमीद]]
-[[अल्बर्ट एक्का]]
-[[अल्बर्ट एक्का]]
||[[चित्र:Major-Som‌-Nath‌-Sharma.jpg|right|100px|मेजर सोमनाथ शर्मा]]'मेजर सोमनाथ शर्मा' [[भारतीय सेना]] की कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे, जिन्होंने [[अक्टूबर]]-[[नवम्बर]], [[1947]] के [[भारत]]-[[पाकिस्तान]] संघर्ष में अपनी वीरता से शत्रु के छक्के छुड़ा दिये। उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरान्त '[[परमवीर चक्र]]' से सम्मानित किया था। 'परमवीर चक्र' पाने वाले ये प्रथम व्यक्ति थे। मेजर सोमनाथ शर्मा ने अपना सैनिक जीवन [[22 फ़रवरी]], [[1942]] से शुरू किया, जब इन्होंने चौथी कुमायूं रेजिमेंट में बतौर कमीशंड ऑफिसर प्रवेश लिया था। उनका फौजी कार्यकाल शुरू ही दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ और वह मलाया के पास के रण में भेजे गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सोमनाथ शर्मा]]


{[[हड़प्पा]] के नगर और कस्बे किस आकार के विशाल खंडों में विभाजित थे?(पृ.सं. 177
{[[हड़प्पा]] के नगर और कस्बे किस आकार के विशाल खंडों में विभाजित थे?(पृ.सं. 177

Revision as of 10:00, 31 October 2013

इतिहास सामान्य ज्ञान

1 हड़प्पा सभ्यता में पक्की मिट्टी की मूर्तियों का निर्माण किस विधि से किया गया है? (पृ.सं. 181

एक साँचा पद्धति
दो साँचा पद्धति
चिकोटी पद्धति
जोड़कर

2 'राजतरंगिणी' में 7826 श्लोक हैं, जो तरंगों में संगठित हैं। तरंगों की संख्या कितनी है-(पृ.सं. 171

चार
दस
बारह
आठ

3 निम्नलिखित में से किस विदेशी यात्री ने राष्ट्रकूटों के बारे में विवरण दिया है? (पृ.सं. 172

सुलेमान
अलमसूदी
मनूची
टॅवरनियर

4 'रसीदी टिकट' निम्नलिखित में से किसकी आत्मकथा है?(भारतकोश)

अमृता प्रीतम
इस्मत चुग़ताई
सुभद्रा कुमारी चौहान
प्रभा खेतान

5 निम्नलिखित में से कौन 'परमवीर चक्र' पाने वाले प्रथम व्यक्ति थे?(भारतकोश)

यदुनाथ सिंह
सोमनाथ शर्मा
अब्दुल हमीद
अल्बर्ट एक्का

6 हड़प्पा के नगर और कस्बे किस आकार के विशाल खंडों में विभाजित थे?(पृ.सं. 177

वर्गाकार
आयताकार
गोलाकार
अर्द्ध गोलाकार

7 किस क्रांतिकारी ने 'मेरे अंत समय का आश्रय- गीता' नामक कृति की रचना की?(भारतकोश)

भगत सिंह
अश्विनी कुमार दत्त
भाई परमानंद
कोई नहीं

8 'परमाणु ऊर्जा संस्थान', ट्रॉम्बे को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम किसने दिया।

जवाहरलाल नेहरू
लालबहादुर शास्त्री
इंदिरा गाँधी
सरदार पटेल

9 निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य सिंधु घाटी के निवासियों की सामुद्रिक गतिविधियों से सम्बन्धित नहीं है? (पृ.सं. 180

लोथल में एक गोदी या डॉकयार्ड की खोज।
एक मुहर पर जलयान का चित्र।
ऐसी अनेक वस्तुओं की खोज जिनका देश में उत्पादन नहीं होता था अथवा जो देश में नहीं पाई जाती थीं।
पश्चिमी एशियाई देशों के साथ हड़प्पाकालीन लोगों के वाणिज्यिक सम्बन्ध।