सोला खंबा, अजमेर: Difference between revisions

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'''सोला खंबा''' [[अजमेर]], [[राजस्थान]] में स्थित एक ऐतिहासिक मस्जिद है। इसका 'सोला खंबा' नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यहाँ छत को सहारा देने ले लिए 16 खंबे हैं। इसका निर्माण [[मुग़ल]] बादशाह [[औरंगज़ेब]] के शासनकाल में किया गया था।<ref>{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/ajmer/attractions/sola-khamba/|title=नासिया मंदिर, अजमेर |accessmonthday= 28 जनवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.nativeplanet.com |language= हिंदी}}</ref>
'''सोला खंबा''' [[अजमेर]], [[राजस्थान]] में स्थित एक ऐतिहासिक मस्जिद है। इसका 'सोला खंबा' नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यहाँ छत को सहारा देने ले लिए 16 खंबे हैं। इसका निर्माण [[मुग़ल]] बादशाह [[औरंगज़ेब]] के शासनकाल में किया गया था।<ref>{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/ajmer/attractions/sola-khamba/|title=नासिया मंदिर, अजमेर |accessmonthday= 28 जनवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.nativeplanet.com |language= हिंदी}}</ref>
*इस इमारत को 'शेख़ अलाउद्दीन की कब्र' के नाम से भी जाना जाता है और यह दरगाह शरीफ़ के बिलकुल बाहर स्थित है।
*इस इमारत को 'शेख़ अलाउद्दीन की कब्र' के नाम से भी जाना जाता है और यह दरगाह शरीफ़ के बिलकुल बाहर स्थित है।
*इस कब्र का निर्माण संत द्वारा चार वर्षों में किया गया, जो ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के पवित्र स्थान के निरीक्षक थे।
*इस कब्र का निर्माण संत द्वारा चार वर्षों में किया गया, जो [[ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह|ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती]] के पवित्र स्थान के निरीक्षक थे।
*महल का निर्माण सफ़ेद संगमरमर का उपयोग करके किया गया है और प्रत्येक कोने पर सँकरी मीनारों के साथ मेहराब हैं।
*महल का निर्माण सफ़ेद संगमरमर का उपयोग करके किया गया है और प्रत्येक कोने पर सँकरी मीनारों के साथ मेहराब हैं।
*[[वास्तुकला]] की सबसे ख़ास विशेषता यह है कि यहाँ तीन नुकीले मेहराब हैं, जो एक सपाट छत बनाते हैं।
*[[वास्तुकला]] की सबसे ख़ास विशेषता यह है कि यहाँ तीन नुकीले मेहराब हैं, जो एक सपाट छत बनाते हैं।

Revision as of 13:20, 28 January 2017

सोला खंबा अजमेर, राजस्थान में स्थित एक ऐतिहासिक मस्जिद है। इसका 'सोला खंबा' नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यहाँ छत को सहारा देने ले लिए 16 खंबे हैं। इसका निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के शासनकाल में किया गया था।[1]

  • इस इमारत को 'शेख़ अलाउद्दीन की कब्र' के नाम से भी जाना जाता है और यह दरगाह शरीफ़ के बिलकुल बाहर स्थित है।
  • इस कब्र का निर्माण संत द्वारा चार वर्षों में किया गया, जो ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के पवित्र स्थान के निरीक्षक थे।
  • महल का निर्माण सफ़ेद संगमरमर का उपयोग करके किया गया है और प्रत्येक कोने पर सँकरी मीनारों के साथ मेहराब हैं।
  • वास्तुकला की सबसे ख़ास विशेषता यह है कि यहाँ तीन नुकीले मेहराब हैं, जो एक सपाट छत बनाते हैं।
  • पूर्वी ओर बरामदे के साथ आंगन आधारित संरचना वाली यह मस्जिद भारत की पुरानी मस्जिदों में से एक है।
  • मुख्य इमारत का क्षेत्र 1339 वर्ग फुट है, जबकि बरामदे का क्षेत्र 1001 वर्ग फुट है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नासिया मंदिर, अजमेर (हिंदी) hindi.nativeplanet.com। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2017।

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