कद्दू: Difference between revisions

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*कच्चा कद्दू [[आमाशय]] के लिए अधिक लाभकारी होता है। कद्दू का सेवन वात और कफ के रोगियों के लिए हानिकारक है।<ref name="जनकल्याण"/>  
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Revision as of 11:44, 10 January 2011

thumb|250px|कद्दू
Pumpkin
कद्दू भारत की एक लोकप्रिय सब्ज़ी है जो देश के लगभग सभी भागों में उगायी जाती है। कद्दू को काशीफल भी कहा जाता है। कद्दू का अंग्रेज़ी नाम पम्पकिन, राउन्ड गॉर्ड है और कद्दू का वानस्पतिक नाम कुकरबिटा मोस्चाटा है। कद्दू का फल आकार में बड़ा होता है और यह 6 महीने तक खराब नहीं होता है। अत: 6 महीनों तक इसका उपयोग सब्जी या अन्य रूपों में कर सकते हैं। कद्दू की बेल (लता) होती है। इसका फूल पीला और फल पहले हरा और पकने के बाद हल्का लाल पीला हो जाता है।[1]

उत्पत्ति

ऐसा माना जाता है कि कद्दू की उत्पत्ति उत्तरी अमेरिका में हुई। यह अंटार्कटिका के अलावा सभी महाद्वीपों में पाया जाता है। अमेरिका में 2000 ई. पू. इसका उपयोग सब्जी के रुप में किया जाता था। भारत में भी इसकी खेती आदि काल से होती आ रही है।[2] भारत में इसकी खेती की जाती है परन्तु रूस में इसकी खेती सबसे अधिक होती है।

फसलों की बुयाई का समय

सभी कद्दू वर्गीय फसलों की फ़रवरी से मार्च एवं जून से जुलाई का समय उपयुक्त है। इनकी बुयाई 1 मीटर चौड़ी नाली बना कर नाली के दोनों किनारों पर करी जाती है।

पौष्टिक तत्व

thumb|250px|कद्दू
Pumpkin
कद्दू में मुख्य रूप से बीटा केरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन ए मिलता है। पीले और संतरी रंग के कद्दू में केरोटीन की मात्रा अधिक होती है। कद्दू के बीज भी आयरन, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं।[3] कद्दू में विटामिन- 'सी' अधिक होता है। कद्दू में प्रोटीन 1.4 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 5.3 प्रतिशत, पानी 92.0 प्रतिशत, विटामिन ´ए´ 84 आई. यू/100 ग्राम, विटामिन ´बी´ 200 आई. यू/100 ग्राम, आयरन 0.7 मि.ली/ग्राम, फॉस्फोरस 0.3 प्रतिशत, कैल्शियम 0.01 प्रतिशत आदि मौजूद है।[1]

कद्दू के फ़ायदे

  • कद्दू पथरी एवं पित्त को खत्म करने वाला होता है।
  • खाने में पके हुए फल का ही प्रयोग करना चाहिए और रस निकालते समय इसके बीजों का भी प्रयोग करना चाहिए।
  • कद्दू हृदयरोगियों के लिए बेहद लाभदायक है। यह कोलेस्ट्राल कम करता है, ठंडक पहुँचाने वाला और होता है।[3]
  • कद्दू पित्त उत्पन्न करने वाला, पाचनशक्ति को बढ़ाने वाला, वात (गैस) पैदा करने वाला एवं प्यास को दूर करने वाला होता है।
  • पित्त के रोगी को इसका सेवन अनार या खट्टे अंगूर के साथ करना चाहिए।
  • पके कद्दू का सेवन करने से खाँसी दूर होती है।
  • कच्चा कद्दू आमाशय के लिए अधिक लाभकारी होता है। कद्दू का सेवन वात और कफ के रोगियों के लिए हानिकारक है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 कद्दू (हिन्दी) जनकल्याण। अभिगमन तिथि: 25 सितम्बर, 2010
  2. कद्दू (हिन्दी) उत्तरा कृषि प्रभा। अभिगमन तिथि: 25 सितम्बर, 2010
  3. 3.0 3.1 बड़े काम की चीज है कद्दू (हिन्दी) जागरण। अभिगमन तिथि: 25 सितम्बर, 2010

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