कुम्भलगढ़: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
||
Line 9: | Line 9: | ||
गणेश पोल के सामने वाली समतल भूमि पर गुम्बदाकार महल तथा देवी का स्थान है। महाराणा उदयसिंह की राणी झाली का महल यहाँ से कुछ सीढियाँ और चढ़ने पर था जिसे झाली का मालिया कहा जाता था। गणेश पोल के सामने बना हुआ महल अत्यन्त ही भव्य है। ऊँचाई पर होने के कारण गर्मी के दिनों में भी यहाँ ठंडक बनी रहती है। | गणेश पोल के सामने वाली समतल भूमि पर गुम्बदाकार महल तथा देवी का स्थान है। महाराणा उदयसिंह की राणी झाली का महल यहाँ से कुछ सीढियाँ और चढ़ने पर था जिसे झाली का मालिया कहा जाता था। गणेश पोल के सामने बना हुआ महल अत्यन्त ही भव्य है। ऊँचाई पर होने के कारण गर्मी के दिनों में भी यहाँ ठंडक बनी रहती है। | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= |
Revision as of 11:52, 10 January 2011
[[चित्र:Kumbhalgarh-Udaipur-1.jpg|thumb|300px|कुंभलगढ़, उदयपुर
Kumbhalgarh, Udaipur]]
उदयपुर राजस्थान का एक ख़ूबसूरत शहर है और उदयपुर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। क़िले का आरेठ पोल नामक दरवाजा केलवाड़े के कस्बे से पश्चिम में कुछ दूरी पर 700 फुट ऊँची नाल चढ़ने पर बना है। हमेशा यहाँ राज्य की ओर से पहरा हुआ करता था। इस स्थान से क़रीब एक मील की दूरी पर हल्ला पोल है जहाँ से थोड़ा और आगे चलने पर हनुमान पोल पर जाया जा सकता है। हनुमान पोल के पास ही महाराणा कुंभा द्वारा स्थापित हनुमान की मूर्ति है। इसके बाद विजय पोल नामक दरवाजा आता है जहाँ की कुछ भूमि समतल तथा कुछ नीची है। यहीं से प्रारम्भ होकर पहाड़ी की एक चोटी बहुत ऊँचाई तक चली गई है। उसी पर क़िले का सबसे ऊँचा भाग बना हुआ है। इस स्थान को कहारगढ़ कहते हैं। विजय पोल से आगे बढ़ने पर भैरवपोल, नींबू पोल, चौगान पोल, पागड़ा पोल तथा गणेश पोल आती है।
हिन्दुओं तथा जैनों के कई मंदिर विजय पोल के पास की समतल भूमि पर बने हुए हैं। नीलकंठ महादेव का बना मंदिर यहाँ पर अपने ऊँचे-ऊँचे सुन्दर स्तम्भों वाले बरामदे के लिए जाना जाता है। इस तरह के बरामदे वाले मंदिर प्रायः नहीं मिलते। मंदिर की इस शैली को कर्नल टॉड जैसे इतिहासकार ग्रीक (यूनानी) शैली बतलाते हैं। लेकिन कई विद्वान इससे सहमत नहीं हैं।
[[चित्र:Kumbhalgarh-Udaipur.jpg|thumb|300px|कुंभलगढ़, उदयपुर
Kumbhalgarh, Udaipur]]
वेदी यहाँ का दूसरा उल्लेखनीय स्थान है, महाराणा कुंभा जो शिल्पशास्र के ज्ञाता थे, उन्होंने यज्ञादि के उद्देश्य से शास्रोक्त रीति से बनवाया था। राजपूताने में प्राचीन काल के यज्ञ-स्थानों का यही एक स्मारक शेष रह गया है। एक दो मंजिले भवन के रुप इसकी इमारत है जिसके ऊपर एक गुम्बद बनी हुई है, इस गुम्बद के नीचे वाले हिस्से से जो चारों तरफ से खुला हुआ है, धुँआ निकलने का प्रावधान है। इसी वेदी पर कुंभलगढ़ की प्रतिष्ठा का यज्ञ भी हुआ था। क़िले के सबसे ऊँचे भाग पर भव्य महल बने हुए हैं।
नीचे वाली भूमि में भाली वान (बावड़ी) और मामादेव का कुंड है। महाराणा कुंभा इसी कुंड पर बैठे अपने ज्येष्ठ पुत्र उदयसिंह (ऊदा) के हाथों मारे गये थे। कुंभ स्वामी नामक विष्णु-मंदिर महाराणा कुंभा ने इसी कुंड के निकट मामावट नामक स्थान पर बनवाया था जो अभी टूटी-फूटी अवस्था में है। मंदिर के बाहरी भाग में विष्णु के अवतारों, देवियों, पृथ्वी, पृथ्वीराज आदि की कई मूर्तियाँ स्थापित की गई थीं। पाँच शिलाओं पर राणा ने प्रशस्तियाँ भी खुदवाई थीं जिसमें उन्होंने मेवाड़ के राजाओं की वंशावली, उनमें से कुछ का संक्षिप्त परिचय तथा अपने भिन्न-भिन्न विजयों का विस्तृत-वर्णन करवाया था। राणा रायमल के प्रसिद्ध पुत्र वीरवर पृथ्वीराज का दाहस्थान मामावट के निकट ही बना हुआ है।
गणेश पोल के सामने वाली समतल भूमि पर गुम्बदाकार महल तथा देवी का स्थान है। महाराणा उदयसिंह की राणी झाली का महल यहाँ से कुछ सीढियाँ और चढ़ने पर था जिसे झाली का मालिया कहा जाता था। गणेश पोल के सामने बना हुआ महल अत्यन्त ही भव्य है। ऊँचाई पर होने के कारण गर्मी के दिनों में भी यहाँ ठंडक बनी रहती है।
|
|
|
|
|