पचाईमलाई पहाड़ियाँ: Difference between revisions

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*इसकी घाटियों में दोमट मिट्टी और चिकनी मिट्टी है।  
*इसकी घाटियों में दोमट मिट्टी और चिकनी मिट्टी है।  
*[[वेल्लार]], [[पलार]] तथा [[पोन्नैयार]] नदियाँ साल के अधिकांश महीनों में सूखी रहती हैं।  
*[[वेल्लार]], [[पलार]] तथा [[पोन्नैयार]] नदियाँ साल के अधिकांश महीनों में सूखी रहती हैं।  
*इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है; चावल, ज्वार, गन्ना, चना, मूँगफली और बाजरा की फ़सलें जीवन-निर्वाह के साधन हैं। कॉफ़ी, काजू और काली मिर्च निर्यात की दृष्टि से उगाई जाने वाली प्रधान बाग़ान फ़सलें हैं। बड़े उद्योगों में वस्त्र, खाद्य सामग्री और रसायनों का उत्पादन होता है। अभियांत्रिकी भी महत्त्वपूर्ण है। कुटीर उद्योगों में चटाई और टोकरी बुनने, बढ़ई का काम, लोहारगिरी और बीड़ी निर्माण का काम महत्त्वपूर्ण है। यहाँ लौह अयस्क, मैंगनीज़, बेरिल और जस्ते का खनन होता है। इस क्षेत्र की लगभग 60 प्रतिशत जनता कोयम्बतूर-मदुरै उच्चभूमि पर निवास करती है।
*इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है; चावल, ज्वार, गन्ना, चना, मूँगफली और बाजरा की फ़सलें जीवन-निर्वाह के साधन हैं। कॉफ़ी, काजू और [[काली मिर्च]] निर्यात की दृष्टि से उगाई जाने वाली प्रधान बाग़ान फ़सलें हैं। बड़े उद्योगों में वस्त्र, खाद्य सामग्री और रसायनों का उत्पादन होता है। अभियांत्रिकी भी महत्त्वपूर्ण है। कुटीर उद्योगों में चटाई और टोकरी बुनने, बढ़ई का काम, लोहारगिरी और बीड़ी निर्माण का काम महत्त्वपूर्ण है। यहाँ लौह अयस्क, मैंगनीज़, बेरिल और जस्ते का खनन होता है। इस क्षेत्र की लगभग 60 प्रतिशत जनता कोयम्बतूर-मदुरै उच्चभूमि पर निवास करती है।
*[[चेर]], [[चोल|चोल वंश]] और पाण्ड्य वंशों के शासनकाल में यहाँ तमिल साहित्य का संगम काल फला और फूला है।  
*[[चेर]], [[चोल|चोल वंश]] और पाण्ड्य वंशों के शासनकाल में यहाँ तमिल साहित्य का संगम काल फला और फूला है।  
*उत्तरी उच्चभूमि क्षेत्र से पूर्व में समुद्र तटीय क्षेत्र तक जाने वाली सड़कें घाटियों तथा अन्य दर्रों से होकर इन पहाड़ियों से गुज़रती हैं।
*उत्तरी उच्चभूमि क्षेत्र से पूर्व में समुद्र तटीय क्षेत्र तक जाने वाली सड़कें घाटियों तथा अन्य दर्रों से होकर इन पहाड़ियों से गुज़रती हैं।

Revision as of 06:24, 11 February 2011

  • पचाईमलाई पर्वत श्रृंखला, तमिलनाडु राज्य, दक्षिण भारत में स्थित है।
  • पूर्वोत्तर तमिलनाडु उच्चभूमि में फैला हुआ पूर्वीघाट का पूर्ववर्ती विस्तार है।
  • जावड़ी, शेवरॉय और कालरायन पहाड़ियों के साथ मिलकर पचाईमलाई पहाड़ियाँ दक्षिण में कावेरी नदी की द्रोणी को उत्तर में पलार नदी की द्रोणी से अलग करती है।
  • लगभग 13,500 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैली ये पहाड़ियाँ उच्चभूमि की क्रमरहित श्रृंखला का निर्माण करती हैं, जिसकी सामान्य ऊँचाई 540 मीटर से 1,408 मीटर के बीच है।
  • इस क्षेत्र में ग्रेनाइट कायान्तरित चट्टानों से निर्मित गोलाकार पहाड़ियाँ हैं।
  • पहाड़ियों पर जंगल और समतल शिखरों पर साल (शोरिया रोबस्टा) के जंगल पाए जाते हैं।
  • इसकी घाटियों में दोमट मिट्टी और चिकनी मिट्टी है।
  • वेल्लार, पलार तथा पोन्नैयार नदियाँ साल के अधिकांश महीनों में सूखी रहती हैं।
  • इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है; चावल, ज्वार, गन्ना, चना, मूँगफली और बाजरा की फ़सलें जीवन-निर्वाह के साधन हैं। कॉफ़ी, काजू और काली मिर्च निर्यात की दृष्टि से उगाई जाने वाली प्रधान बाग़ान फ़सलें हैं। बड़े उद्योगों में वस्त्र, खाद्य सामग्री और रसायनों का उत्पादन होता है। अभियांत्रिकी भी महत्त्वपूर्ण है। कुटीर उद्योगों में चटाई और टोकरी बुनने, बढ़ई का काम, लोहारगिरी और बीड़ी निर्माण का काम महत्त्वपूर्ण है। यहाँ लौह अयस्क, मैंगनीज़, बेरिल और जस्ते का खनन होता है। इस क्षेत्र की लगभग 60 प्रतिशत जनता कोयम्बतूर-मदुरै उच्चभूमि पर निवास करती है।
  • चेर, चोल वंश और पाण्ड्य वंशों के शासनकाल में यहाँ तमिल साहित्य का संगम काल फला और फूला है।
  • उत्तरी उच्चभूमि क्षेत्र से पूर्व में समुद्र तटीय क्षेत्र तक जाने वाली सड़कें घाटियों तथा अन्य दर्रों से होकर इन पहाड़ियों से गुज़रती हैं।
  • तिरुवण्णामलै, अत्तूर, रानीपेट और चेंगम इस क्षेत्र के प्रमुख शहर हैं।
  • इन पहाड़ियों का नामकरण इस क्षेत्र में रहने वाले पचाईमलाई लोगों के नाम पर किया गया है।


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