वशिष्ठ पर्वत का उल्लेख महाभारत, आदिपर्व में हुआ है-
- महाभारत, आदिपर्व[1] के अनुसार इस पर्वत पर अर्जुन अपने द्वादश वर्ष के वनवास काल के दौरान आए थे-
'अगस्त्यवटमासाद्य वशिष्ठस्य च पर्वतम् भृगुतुंगे च कौन्तेय: कृतवाञ्छौचमात्मन:।'
- यह स्थान हिमालय के पार्श्व में 'गंगाद्वार' या 'हरद्वार' के ऊपर कहीं स्थित था, जैसा कि आदिपर्व[2] से सूचित होता है।[3]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आदिपर्व 214, 2
- ↑ आदिपर्व 214,1
- ↑
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 837 |
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