फाल्गुन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
Line 19: Line 19:
}}
}}


{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Revision as of 10:04, 21 March 2011

  • हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का बारहवाँ तथा अंतिम महीना जो ईस्वी कलेंडर के मार्च माह में पड़ता है।
  • फाल्गुन को 'वसंत' ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस समय भारत में न अधिक गर्मी होती है और न अधिक सर्दी।
  • फाल्गुन माह में अनेक महत्त्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं जिसमें होली प्रमुख हैं।
  • समस्त वार्षिक महोत्सव दक्षिण भारत के विशाल तथा छोटे-छोटे मन्दिरों में प्राय: फाल्गुन मास में ही आयोजित होते हैं।
  • फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को लक्ष्मी जी तथा सीता जी की पूजा होती है।
  • यदि फाल्गुनी पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र हो तो व्रती को पलंग तथा बिछाने योग्य सुन्दर वस्त्र दान में देने चाहिए। इससे सुभार्या की प्राप्ति होती है, जो कि अपने साथ में सौभाग्य लिये चली आती है।
  • कश्यप तथा अदिति से अर्यमा की पूजा तथा अत्रि और अनुसूया से चन्द्रमा की उत्पत्ति फाल्गुनी पूर्णिमा को ही हुई थी। अत: इन देवों की चन्द्रोदय के समय पूजा करनी चाहिए। पूजन में गीत, वाद्य, नृत्यादि का समावेश होना चाहिए।
  • फाल्गुनी पूर्णिमा को ही दक्षिण भारत में 'उत्तिर' नामक मन्दिरोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
  • फाल्गुन में यदि द्वादशी को श्रवण नक्षत्र हो तो उसे फाल्गुन श्रवण द्वादशी कहते हैं। उस दिन उपवास करके भगवान हरि का पूजन

करना चाहिए [1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नीलमतपुराण, पृ. 52

संबंधित लेख