लौकी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "खून" to "ख़ून") |
||
Line 10: | Line 10: | ||
लौकी का जन्मस्थान [[अफ्रीका]] माना जाता है। लौकी से मानव भोजन का नाता बहुत पुराना है। मेक्सिको की गुफाओं (ईसा से 7000 से 5500 वर्ष पूर्व) व मिश्र के पराने पिरामिडो (ईसा से 3500 से 3300 वर्ष पूर्व) इसकी उपस्थिति इसके प्राचीनतम होने की सबूत दोहराती है। [[भारत]] में [[मालावार तट]] और [[देहरादून]] के नम जंगलो से यह आज भी जंगली रूप में पाया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://uttrakrishiprabha.com/wps/portal/!ut/p/kcxml/04_Sj9SPykssy0xPLMnMz0vM0Y_QjzKLN4j3dQLJgFjGpvqRINrNBybiCBFAKPFFiPh65Oem6gcBZSLNgSKGBs76UTmp6YnJlfrB-t76AfoFuaGhEeXejgBpzmUQ/delta/base64xml/L0lJSk03dWlDU1EhIS9JRGpBQU15QUJFUkVSRUlnLzRGR2dkWW5LSjBGUm9YZmcvN18wXzEwQw!!?WCM_PORTLET=PC_7_0_10C_WCM&WCM_GLOBAL_CONTEXT=/wps/wcm/connect/UAAP_HI/Home/Produce/Vegetable/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B8+%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%80/%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%95%E0%A5%80/ |title=लौकी |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=उत्तरा कृषि प्रभा |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | लौकी का जन्मस्थान [[अफ्रीका]] माना जाता है। लौकी से मानव भोजन का नाता बहुत पुराना है। मेक्सिको की गुफाओं (ईसा से 7000 से 5500 वर्ष पूर्व) व मिश्र के पराने पिरामिडो (ईसा से 3500 से 3300 वर्ष पूर्व) इसकी उपस्थिति इसके प्राचीनतम होने की सबूत दोहराती है। [[भारत]] में [[मालावार तट]] और [[देहरादून]] के नम जंगलो से यह आज भी जंगली रूप में पाया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://uttrakrishiprabha.com/wps/portal/!ut/p/kcxml/04_Sj9SPykssy0xPLMnMz0vM0Y_QjzKLN4j3dQLJgFjGpvqRINrNBybiCBFAKPFFiPh65Oem6gcBZSLNgSKGBs76UTmp6YnJlfrB-t76AfoFuaGhEeXejgBpzmUQ/delta/base64xml/L0lJSk03dWlDU1EhIS9JRGpBQU15QUJFUkVSRUlnLzRGR2dkWW5LSjBGUm9YZmcvN18wXzEwQw!!?WCM_PORTLET=PC_7_0_10C_WCM&WCM_GLOBAL_CONTEXT=/wps/wcm/connect/UAAP_HI/Home/Produce/Vegetable/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B8+%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%80/%E0%A4%B2%E0%A5%8C%E0%A4%95%E0%A5%80/ |title=लौकी |accessmonthday=[[26 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=उत्तरा कृषि प्रभा |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
==लौकी के फ़ायदे== | ==लौकी के फ़ायदे== | ||
*लौकी | *लौकी ख़ून को गाढ़ा करती है। | ||
*लौकी [[मस्तिष्क]] की गर्मी को दूर करती है। | *लौकी [[मस्तिष्क]] की गर्मी को दूर करती है। | ||
*यकृत की बीमारी और पीलिया के लिये लौकी लाभकारी है। | *यकृत की बीमारी और पीलिया के लिये लौकी लाभकारी है। |
Revision as of 06:45, 8 July 2011
thumb|लौकी
Calabash
लौकी भारत की एक प्रमुख सब्ज़ी है। लौकी का वैज्ञानिक नाम लेजीनेरिया सिसेरेरिया है। लौकी का वैकल्पिक नाम लउका या कद्दू है। लौकी ग्रीष्म ऋतु (जनवरी - मार्च) और वर्षा ऋतु (जून - जुलाई) में बाज़ार में मिलती है। लौकी को सब्जी के अलावा रायता, हलवा और विविध प्रकार की मिठाईयाँ बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसको विभिन्न प्रकार की भूमियों में उगाया जा सकता है, किन्तु उचित जल धारण क्षमता वाली जीवांशयुक्त हल्की दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गई है।[1] आकार के अनुसार लौकी की गोल व लम्बी दो प्रमुख किस्में होती है।[2]
रंग
स्वरूप
- लम्बी लौकी:- लम्बी लौकी का आकार बोतल की तरह होने के कारण इसे अंग्रेज़ी में बोतल गार्ड कहते हैं।
- गोल लौकी:- गोल लौकी की बेल चलती हैं। गोल लौकी का फूल सफ़ेद और पत्ते बड़े-बड़े होते हैं। गोल लौकी की सब्जी भी बनाई जाती है।[3] यह बहुत ही प्रसिद्ध है।
उत्पत्ति
लौकी का जन्मस्थान अफ्रीका माना जाता है। लौकी से मानव भोजन का नाता बहुत पुराना है। मेक्सिको की गुफाओं (ईसा से 7000 से 5500 वर्ष पूर्व) व मिश्र के पराने पिरामिडो (ईसा से 3500 से 3300 वर्ष पूर्व) इसकी उपस्थिति इसके प्राचीनतम होने की सबूत दोहराती है। भारत में मालावार तट और देहरादून के नम जंगलो से यह आज भी जंगली रूप में पाया जाता है।[4]
लौकी के फ़ायदे
- लौकी ख़ून को गाढ़ा करती है।
- लौकी मस्तिष्क की गर्मी को दूर करती है।
- यकृत की बीमारी और पीलिया के लिये लौकी लाभकारी है।
- लौकी के पत्तों को पीसकर लेप करने से कुछ ही दिनों में बवासीर नष्ट हो जाते हैं।
- मोटापा कम करने के लिए इसका रस प्रयोग किया जाता है।
- लौकी का हलुवा बहुत ही धातु पुष्टकारक होता है।
- लौकी दिल के लिए लाभकारी तथा पित्त और कफ को समाप्त करने वाली वीर्य को बढ़ाने वाली तथा उत्तम करने वाली होती है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख