सारनाथ संग्रहालय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
यह भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण का प्राचीनतम स्‍थल संग्रहालय है। सारनाथ संग्रहालय की स्थापना सन्‌ 1904 ई. में हुई थी। पुरावस्‍तुओें को रखने, प्रदर्शित करने और उनका अध्‍ययन करने के लिए यह भवन 1910 में बनकर तैयार हुआ। यह भवन योजना में आधे मठ (संघारम) के रूप में है। इसमें ईसा से तीसरी शताब्दी पूर्व से 12वीं शताब्दी तक की पुरातन वस्तुओं का भण्डार है। [[सारनाथ]] में बौद्ध मूर्तियों का विस्तृत संग्रह है।  
यह भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण का प्राचीनतम स्‍थल संग्रहालय है। सारनाथ संग्रहालय की स्थापना सन 1904 ई. में हुई थी। पुरावस्‍तुओं को रखने, प्रदर्शित करने और उनका अध्‍ययन करने के लिए यह भवन 1910 में बनकर तैयार हुआ। यह भवन योजना में आधे मठ (संघारम) के रूप में है। इसमें ईसा से तीसरी शताब्दी पूर्व से 12वीं शताब्दी तक की पुरातन वस्तुओं का भण्डार है। [[सारनाथ]] में बौद्ध मूर्तियों का विस्तृत संग्रह है।  
==दीर्घाएं==
==दीर्घाएं==
यहाँ पाँच दीर्घाएं और दो बरामदे हैं। दीर्घाओं का उनमें रखी गई वस्‍तुओं के आधार पर नामकरण किया गया है, सबसे उत्‍तर में स्‍थित दीर्घा तथागत दीर्घा है जबकि बाद वाली त्रिरत्‍न दीर्घा है। मुख्‍य कक्ष शाक्‍यसिंह दीर्घा के नाम से जाना जाता है और दक्षिण में इसकी आसन्‍न दीर्घा को त्रिमूर्ति नाम दिया गया है। सबसे दक्षिण में आशुतोष दीर्घा है, उत्‍तरी और दक्षिणी ओर के बरामदे को क्रमश: वास्‍तुमंडन और शिल्‍परत्‍न नाम दिया गया है।
यहाँ पाँच दीर्घाएं और दो बरामदे हैं। दीर्घाओं का उनमें रखी गई वस्‍तुओं के आधार पर नामकरण किया गया है, सबसे उत्‍तर में स्‍थित दीर्घा तथागत दीर्घा है जबकि बाद वाली त्रिरत्‍न दीर्घा है। मुख्‍य कक्ष शाक्‍यसिंह दीर्घा के नाम से जाना जाता है और दक्षिण में इसकी आसन्‍न दीर्घा को त्रिमूर्ति नाम दिया गया है। सबसे दक्षिण में आशुतोष दीर्घा है, उत्‍तरी और दक्षिणी ओर के बरामदे को क्रमश: वास्‍तुमंडन और शिल्‍परत्‍न नाम दिया गया है।

Revision as of 07:18, 15 August 2011

यह भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण का प्राचीनतम स्‍थल संग्रहालय है। सारनाथ संग्रहालय की स्थापना सन 1904 ई. में हुई थी। पुरावस्‍तुओं को रखने, प्रदर्शित करने और उनका अध्‍ययन करने के लिए यह भवन 1910 में बनकर तैयार हुआ। यह भवन योजना में आधे मठ (संघारम) के रूप में है। इसमें ईसा से तीसरी शताब्दी पूर्व से 12वीं शताब्दी तक की पुरातन वस्तुओं का भण्डार है। सारनाथ में बौद्ध मूर्तियों का विस्तृत संग्रह है।

दीर्घाएं

यहाँ पाँच दीर्घाएं और दो बरामदे हैं। दीर्घाओं का उनमें रखी गई वस्‍तुओं के आधार पर नामकरण किया गया है, सबसे उत्‍तर में स्‍थित दीर्घा तथागत दीर्घा है जबकि बाद वाली त्रिरत्‍न दीर्घा है। मुख्‍य कक्ष शाक्‍यसिंह दीर्घा के नाम से जाना जाता है और दक्षिण में इसकी आसन्‍न दीर्घा को त्रिमूर्ति नाम दिया गया है। सबसे दक्षिण में आशुतोष दीर्घा है, उत्‍तरी और दक्षिणी ओर के बरामदे को क्रमश: वास्‍तुमंडन और शिल्‍परत्‍न नाम दिया गया है।

संग्रहालय में प्रवेश

संग्रहालय में मुख्‍य कक्ष से होकर प्रवेश किया जाता है। शाक्‍यसिंह दीर्घा संग्रहालय के सर्वाधिक मूल्‍यवान संग्रहों को प्रदर्शित करती है। इस दीर्घा के केन्‍द्र में मौर्य स्‍तंभ का सिंह स्‍तंभशीर्ष मौजूद है जो भारत का राष्‍ट्रीय प्रतीक बन गया है।

संग्रहालय में संरक्षित

  • बौद्ध कला की प्रतीक इन मूर्तियों को यहाँ के संग्रहालय में संरक्षित किया गया है।
  • प्राचीन काल की अनेक बौद्ध और बोधित्व की प्रतिमाएं इस संग्रहालय में देखी जा सकती है।
  • भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ का मुकुट भी इस संग्रहालय में संरक्षित है।
  • चार शेरों वाले अशोक स्तम्भ का यह मुकुट लगभग 250 ईसा पूर्व अशोक स्तम्भ के ऊपर स्थापित किया गया था।
  • तुर्कों के हमले में अशोक स्तम्भ क्षतिग्रस्त हो गया और इसका मुकुट बाद में संग्रहालय में रख दिया गया।
  • यक्ष प्रतिमा सारनाथ संग्रहालय में सुरक्षित है।
  • यह यक्ष प्रतिमा प्रथम-द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व की है।
  • विभिन्‍न मुद्राओं में बुद्ध और तारा की मूर्तियों के अलावा, भिक्षु बाला द्वारा समर्पित लाल बलुआ पत्‍थर की बोधिसत्‍व की खड़ी मुद्रा वाली अभिलिखित विशालकाय मूर्तियां, अष्‍टभुजी शाफ्ट, छतरी भी प्रदर्शित की गई हैं।
  • त्रिरत्‍न दीर्घा में बौद्ध देवगणों की मूर्तियां और कुछ सम्‍बद्ध वस्‍तुएं प्रदर्शित हैं।
  • सिद्धकविरा की एक खड़ी मूर्ति जो मंजुश्री का एक रूप है, खड़ी मुद्रा में तारा, लियोपग्राफ, बैठी मुद्रा में बोधिसत्‍व पद्मपाणि, श्रावस्‍ती के चमत्‍कार को दर्शाने वाला प्रस्‍तर-पट्ट, जम्‍भाला और वसुधरा, नागाओं द्वारा सुरक्षा किए जा रहे रामग्राम स्‍तूप का चित्रांकन, कुमारदेवी के अभिलेख, बुद्ध के जीवन से संबंधित अष्‍टमहास्‍थानों (आठ महान स्‍थान) को दर्शाने वाला प्रस्‍तर-पट्ट, शुंगकालीन रेलिंग अत्‍यधिक उत्‍कृष्‍ट हैं।
  • तथागत दीर्घा में विभिन्‍न मुद्रा में बुद्ध, वज्रसत्‍व, बोधित्‍व पद्मपाणि, विष के प्‍याले के साथ नीलकंठ लोकेश्‍वर, मैत्रेय, सारनाथ कला शैली की सर्वाधिक उल्‍लेखनीय प्रतिमा उपदेश देते हुए बुद्ध की मूर्तियां प्रदर्शित हैं।
  • त्रिमूर्ति दीर्घा में बैठी मुद्रा में गोल तोंद वाले यक्ष की मूर्ति, त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश) की मूर्ति, सूर्य, सरस्‍वती महिषासुर मर्दिनी की मूर्तियां और पक्षियों, जानवरों, पुरुष और महिला के सिरों की मूर्तियों जैसी कुछ धर्म-निरपेक्ष वस्‍तुएं और साथ ही कुछ गचकारी वाली मूर्तियां मौजूद हैं।
  • आशुतोष दीर्घा में, विभिन्‍न स्‍वरूपों में शिव, विष्णु, गणेश, कार्तिकेय, अग्‍नि, पार्वती, नवग्रह, भैरव जैसे ब्राह्मण देवगण और शिव द्वारा अंधकासुरवध की विशालकाय मूर्ति प्रदर्शित है।
  • अधिकांशत: वास्तुकला संबंधी अवशेष संग्रहालय के दो बरामदों में प्रदर्शित हैं।
  • शांतिवादिना जातक की कथा को दर्शाने वाली एक विशाल सोहावटी एक सुंदर कलाकृति है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख