उपरकोट: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{{पुनरीक्षण}} उपरकोट गुजरात राज्य के जूनागढ़ ज़िलें...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
*उपरकोट [[गुजरात]] राज्य के जूनागढ़ ज़िलें में स्थित है। | |||
उपरकोट [[गुजरात]] राज्य के जूनागढ़ ज़िलें में स्थित है। उपरकोट में संभवत: गुप्तकालीन कई गुफाएं है जो दोमंजिली हैं। गुफाओं के स्तंभों पर उभरी हुई धारियाँ अंकित हैं जो गुप्तकालीन गुहास्तंभी की विशिष्ट अलंकरण शैली थी। गुर्जरनरेश सिद्धराज के शासनकाल में यहाँ खंगार राजपूतों का एक दुर्ग था और दुर्ग के निकट अड़ीचड़ी बाव नाम की एक बाबड़ी थी जो आज भी विद्यमान है। इस बावड़ी के संबंध में यहाँ एक गुजराती कहावत भी प्रचलित है- ' | *उपरकोट में संभवत: गुप्तकालीन कई गुफाएं है जो दोमंजिली हैं। | ||
*गुफाओं के स्तंभों पर उभरी हुई धारियाँ अंकित हैं जो गुप्तकालीन गुहास्तंभी की विशिष्ट अलंकरण शैली थी। | |||
*गुर्जरनरेश सिद्धराज के शासनकाल में यहाँ खंगार राजपूतों का एक दुर्ग था और दुर्ग के निकट अड़ीचड़ी बाव नाम की एक बाबड़ी थी जो आज भी विद्यमान है। | |||
*इस बावड़ी के संबंध में यहाँ एक गुजराती कहावत भी प्रचलित है- ' | |||
'''अड़ीचड़ी बाव अने नौगुण कुआ जेणो न जोयो तो जीवितो मुयो''' | |||
अर्थात् अड़ीचड़ी बाव और नौगुण कुआ जिसने नहीं देखा वह जीवित ही मृत है। | अर्थात् अड़ीचड़ी बाव और नौगुण कुआ जिसने नहीं देखा वह जीवित ही मृत है। | ||
Line 16: | Line 20: | ||
[[Category:गुजरात के ऐतिहासिक स्थान]] | [[Category:गुजरात के ऐतिहासिक स्थान]] | ||
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 10:44, 19 August 2011
- उपरकोट गुजरात राज्य के जूनागढ़ ज़िलें में स्थित है।
- उपरकोट में संभवत: गुप्तकालीन कई गुफाएं है जो दोमंजिली हैं।
- गुफाओं के स्तंभों पर उभरी हुई धारियाँ अंकित हैं जो गुप्तकालीन गुहास्तंभी की विशिष्ट अलंकरण शैली थी।
- गुर्जरनरेश सिद्धराज के शासनकाल में यहाँ खंगार राजपूतों का एक दुर्ग था और दुर्ग के निकट अड़ीचड़ी बाव नाम की एक बाबड़ी थी जो आज भी विद्यमान है।
- इस बावड़ी के संबंध में यहाँ एक गुजराती कहावत भी प्रचलित है- '
अड़ीचड़ी बाव अने नौगुण कुआ जेणो न जोयो तो जीवितो मुयो
अर्थात् अड़ीचड़ी बाव और नौगुण कुआ जिसने नहीं देखा वह जीवित ही मृत है।