कैफ़ी आज़मी: Difference between revisions

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'''कैफ़ी आज़मी''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] Kaifi Azmi) (जन्म- [[19 जनवरी]] 1919; मृत्यु-[[10 मई]], 2002) फ़िल्मजगत के मशहूर [[उर्दू]] शायर थे। कैफ़ी आज़मी का मूल नाम '''अख़्तर हुसैन रिज़्वी''' था। कैफ़ी आज़मी में नैसर्गिक काव्य प्रतिभा थी और वह छोटी उम्र में ही वे शायरी करने लगे थे।
'''कैफ़ी आज़मी''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] Kaifi Azmi) (जन्म- [[19 जनवरी]] 1919; मृत्यु-[[10 मई]], 2002) फ़िल्मजगत के मशहूर [[उर्दू]] शायर थे। कैफ़ी आज़मी का मूल नाम '''अख़्तर हुसैन रिज़्वी''' था। कैफ़ी आज़मी में नैसर्गिक काव्य प्रतिभा थी और वह छोटी उम्र में ही वे शायरी करने लगे थे।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
कैफ़ी आज़मी का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[आजमगढ़ ज़िला|आजमगढ़ ज़िले]] में 19 जनवरी 1919 हुआ था। कैफ़ी आज़मी के परिवार में उनकी पत्नी शौकत आज़मी, इनकी दो संतान शबाना आज़मी (फ़िल्मजगत की मशहूर अभिनेत्री और जावेद अख़्तर की पत्नी) और बाबा आज़मी है।  
कैफ़ी आज़मी का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[आजमगढ़ ज़िला|आजमगढ़ ज़िले]] में 19 जनवरी 1919 हुआ था। कैफ़ी आज़मी के परिवार में उनकी पत्नी शौकत आज़मी, इनकी दो संतान शबाना आज़मी (फ़िल्मजगत की मशहूर अभिनेत्री और [[जावेद अख़्तर]] की पत्नी) और बाबा आज़मी है।  
;शिक्षा
;शिक्षा
कैफ़ी आज़मी के तहसीलदार पिता उन्हें आधुनिक शिक्षा देना चाहते थे। किंतु रिश्तेदारों के दबाव के कारण कैफ़ी आज़मी को [[इस्लाम धर्म]] की शिक्षा प्राप्त करने के लिए [[लखनऊ]] के 'सुलतान-उल-मदरिया' में भर्ती कराना पड़ा। लेकिन वे अधिक समय तक वहाँ नहीं रह सके। उन्होंने वहाँ यूनियन बनाई और लंबी हड़ताल करा दी। हड़ताल समाप्त होते ही कैफ़ी आज़मी को वहाँ से निकाल दिया गया। बाद में उन्होंने [[लखनऊ]] और [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में शिक्षा पाई और उर्दू, [[अरबी भाषा|अरबी]] और [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।  
कैफ़ी आज़मी के तहसीलदार पिता उन्हें आधुनिक शिक्षा देना चाहते थे। किंतु रिश्तेदारों के दबाव के कारण कैफ़ी आज़मी को [[इस्लाम धर्म]] की शिक्षा प्राप्त करने के लिए [[लखनऊ]] के 'सुलतान-उल-मदरिया' में भर्ती कराना पड़ा। लेकिन वे अधिक समय तक वहाँ नहीं रह सके। उन्होंने वहाँ यूनियन बनाई और लंबी हड़ताल करा दी। हड़ताल समाप्त होते ही कैफ़ी आज़मी को वहाँ से निकाल दिया गया। बाद में उन्होंने [[लखनऊ]] और [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में शिक्षा पाई और उर्दू, [[अरबी भाषा|अरबी]] और [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।  
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==सम्मान और पुरस्कार==
==सम्मान और पुरस्कार==
कैफ़ी आज़मी को अपनी विभिन्न प्रकार की रचनाओं के लिये कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं-
कैफ़ी आज़मी को अपनी विभिन्न प्रकार की रचनाओं के लिये कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं-
*1975 कैफ़ी आज़मी को आवारा सिज्दे पर साहित्य अकादमी और सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड से सम्मानित किये गये।  
*1975 कैफ़ी आज़मी को आवारा सिज्दे पर [[साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी|साहित्य अकादमी पुरुस्कार]] और सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड से सम्मानित किये गये।  
*1970 सात हिन्दुस्तानी फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार  
*1970 सात हिन्दुस्तानी फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ [[राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार]]
*1975 गरम हवा फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ वार्ता फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार   
*1975 गरम हवा फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ वार्ता फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार   
==निधन==  
==निधन==  

Revision as of 06:50, 18 November 2011

कैफ़ी आज़मी (अंग्रेज़ी Kaifi Azmi) (जन्म- 19 जनवरी 1919; मृत्यु-10 मई, 2002) फ़िल्मजगत के मशहूर उर्दू शायर थे। कैफ़ी आज़मी का मूल नाम अख़्तर हुसैन रिज़्वी था। कैफ़ी आज़मी में नैसर्गिक काव्य प्रतिभा थी और वह छोटी उम्र में ही वे शायरी करने लगे थे।

जीवन परिचय

कैफ़ी आज़मी का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ ज़िले में 19 जनवरी 1919 हुआ था। कैफ़ी आज़मी के परिवार में उनकी पत्नी शौकत आज़मी, इनकी दो संतान शबाना आज़मी (फ़िल्मजगत की मशहूर अभिनेत्री और जावेद अख़्तर की पत्नी) और बाबा आज़मी है।

शिक्षा

कैफ़ी आज़मी के तहसीलदार पिता उन्हें आधुनिक शिक्षा देना चाहते थे। किंतु रिश्तेदारों के दबाव के कारण कैफ़ी आज़मी को इस्लाम धर्म की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लखनऊ के 'सुलतान-उल-मदरिया' में भर्ती कराना पड़ा। लेकिन वे अधिक समय तक वहाँ नहीं रह सके। उन्होंने वहाँ यूनियन बनाई और लंबी हड़ताल करा दी। हड़ताल समाप्त होते ही कैफ़ी आज़मी को वहाँ से निकाल दिया गया। बाद में उन्होंने लखनऊ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षा पाई और उर्दू, अरबी और फ़ारसी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।

काव्य प्रतिभा

कैफ़ी आज़मी में नैसर्गिक काव्य प्रतिभा थी। छोटी उम्र में ही वे शायरी करने लगे थे। यद्यपि उनकी आरंभिक रचनाओं में प्रेम-भावना प्रधान होती थी, किंतु शीघ्र ही उसमें प्रगतिशील विचारों का प्राधान्य हो गया। राजनीतिक दृष्टि से वे कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे। कैफ़ी आज़मी पार्टी के काम के लिए मुम्बई गए थे। वहाँ उनका संबंध इंडियन पीपुल्स थियेटर से हुआ और आगे चलकर वे उसके अध्यक्ष भी बने।

फ़िल्मों में प्रवेश

कैफ़ी आज़मी ने कहानी लेखक के रूप में फ़िल्मों में प्रवेश किया। 'यहूदी की बेटी' और 'ईद का चांद' उनकी लिखी आरंभिक फ़िल्में थीं। उन्होंने 'गरम हवा' और 'मंथन जैसी फ़िल्मों में संवाद भी लिखें। उन्होंने अनेक फ़िल्मों में गीत लिखें जिनमें कुछ प्रमुख हैं- 'कागज के फूल' 'हकीकत', हिन्दुस्तान की कसम', हंसते जख्म 'आखरी खत' और हीर रांझा'।

नज़्म संग्रह

कैफ़ी आज़मी ने आधुनिक उर्दू शायरी में अपना एक खास स्थान बनाया। कैफ़ी आज़मी की नज़्मों और ग़ज़लों के चार संग्रह हैं:-

  1. झंकार
  2. आखिरे-शब
  3. आवारा सिज्दे
  4. इब्लीस की मजिलसे शूरा।

सम्मान और पुरस्कार

कैफ़ी आज़मी को अपनी विभिन्न प्रकार की रचनाओं के लिये कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं-

निधन

फ़िल्मजगत के मशहूर उर्दू के शायर कैफ़ी आज़मी का निधन 10 मई 2002 को हृदयाघात (दिल का दौरा) के कारण मुम्बई में हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 199।


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख