कांचीपुरम: Difference between revisions

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thumb|250px|कैलाशनाथार मंदिर, कांचीपुरम कांचीपुरम उत्तरी तमिलनाडु के प्राचीन व मशहूर शहरों में से एक है। कांचीपुरम तीर्थपुरी दक्षिण की काशी मानी जाती है, जो मद्रास से 45 मील की दूरी पर दक्षिण–पश्चिम में स्थित है। कांचीपुरम को पूर्व में कांची और कांचीअम्पाठी भी कहा जाता था। यह आधुनिक काल में कांचीवरम के नाम से भी प्रसिद्ध है। कांचीपुरम को द गोल्डन सिटी ऑफ़ 1000 टेंपल भी कहा जाता है। कांचीपुरम को भारत के सात पवित्र शहरों में से एक का दर्जा भी प्राप्त है।

कांचीपुरम का अर्थ

कांची का अर्थ (ब्रह्मा), आंची का अर्थ (पूजा) और पुरम का अर्थ (शहर) होता है यानी ब्रह्मा को पूजने वाला पवित्र स्थान। शायद इसलिए यहाँ विष्णु के अनेक मंदिर स्थापित किए गये हैं, जिस कारण इसे यह नाम दिया गया है।

सप्त पुरियों में गणना

  • ऐसी अनुश्रुति है कि इस क्षेत्र में प्राचीन काल में ब्रह्माजी ने देवी के दर्शन के लिये तप किया था।
  • ऐसा माना जाता है कि जो भी यहाँ जाता है, उसे आंतरिक खुशी के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
  • मोक्षदायिनी सप्त पुरियों अयोध्या, मथुरा, द्वारका, माया(हरिद्वार), काशी और अवन्तिका (उज्जैन) में इसकी गणना है।
  • कांची हरिहरात्मक पुरी है। इसके दो भाग शिवकांची और विष्णुकांची हैं। सम्भवत: कामाक्षी अम्मान मंदिर ही यहाँ का शक्तिपीठ है। दक्षिण के पंच तत्वलिंगो में से भूतत्वलिंग के सम्बन्ध में कुछ मतभेद है। कुछ लोग कांची के एकाम्रेश्वर लिंग को भूतत्वलिंग मानते हैं, और कुछ लोग तिरुवारूर की त्यागराजलिंग मूर्ति को। इसका माहात्म्य निम्नलिखित हैं:-

रहस्यं सम्प्रवक्ष्यामि लोपामुद्रापते श्रृणु।

नेत्रद्वयं महेशस्य काशीकाञ्चीपुरीद्वयम्॥
विख्यातं वैष्णवं क्षेत्रं शिवसांनिध्यकाकम्।
काञ्चीक्षेत्रें पुरा धाता सर्वलोकपितामह:॥
श्रीदेवीदर्शनार्थाय तपस्तेपे सुदुष्करम्।
प्रादुरास पुरो लक्ष्मी: पद्महस्तपुरस्सरा।
पद्मासने च तिष्ठ्न्ती विष्णुना जिष्णुना सह।

सर्वश्रृगांर वेषाढया सर्वाभरण्भूषिता॥[1]

इतिहास

thumb|250px|कांचीपुरम मंदिर, कांचीपुरम कांचीपुरम ईसा की आरम्भिक शताब्दियों में महत्त्वपूर्ण नगर था। सम्भवत: यह दक्षिण भारत का ही नहीं बल्कि तमिलनाडु का सबसे बड़ा केन्द्र था। बुद्धघोष के समकालीन प्रसिद्ध भाष्यकार धर्मपाल का जन्म स्थान यहीं था, इससे अनुमान किया जाता है कि यह बौद्धधर्मीय जीवन का केन्द्र था। यहाँ के सुन्दरतम मन्दिरों की परम्परा इस बात को प्रमाणित करती है कि यह स्थान दक्षिण भारत के धार्मिक क्रियाकलाप का अनेकों शताब्दियों तक केन्द्र रहा है। कांचीपुरम 7वीं शताब्दी से लेकर 9वीं शताब्दी में पल्लव साम्राज्य का ऐतिहासिक शहर व राजधानी हुआ करती थी। छ्ठी शताब्दी में पल्लवों के संरक्षण से प्रारम्भ कर पन्द्रहवीं एवं सोलहवीं शताब्दी तक विजयनगर के राजाओं के संरक्षणकाल के मध्य 1000 वर्ष के द्रविड़ मन्दिर शिल्प के विकास को यहाँ एक ही स्थान पर देखा जा सकता है। 'कैलाशनाथार मंदिर' इस कला के चरमोत्कर्ष का उदाहरण है। एक दशाब्दी पीछे का बना 'वैकुण्ठ पेरुमल' इस कला के सौष्ठव का सूचक है। उपयुक्त दोनों मन्दिर पल्लव नृपों के शिल्पकला प्रेम के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

यातायात

हवाई मार्ग

कांचीपुरम का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा चेन्नई में है, जो 75 किमी की दूरी पर स्थित है। चेन्नई से कांचीपुरम लगभग 2 घंटे में पहुँचा जा सकता है।

रेल मार्ग

कांचीपुरम का रेलवे स्टेशन चैन्नई, चेन्गलपट्टू, तिरूपति और बैंगलोर से जुड़ा है।

सड़क मार्ग

कांचीपुरम तमिलनाडु के लगभग सभी शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा है। विभिन्न शहरों से कांचीपुरम के लिए नियमित अंतराल में बसें चलती हैं।

पर्यटन

[[चित्र:Kamakshi-Amman-Temple-2.jpg|thumb|250px|कामाक्षी अम्मान मंदिर, कांचीपुरम]] कांचीपुरम इसलिए मशहूर है क्योंकि यहाँ स्थित अनेक आकर्षक और प्राचीन मंदिर यहाँ की ख़ूबसरती में चार चाँद लगाने के साथ पुरानी यादों को भी ताज़ा कर देते हैं। चेन्नई से 45 मील दक्षिण-पश्चिम में बेगावती नदी के किनारे स्थित कांचीपुरम के मशहूर मंदिरों में वरदराज पेरुमल मंदिर भगवान विष्णु के लिए, एकम्बरनाथर मंदिर भगवान शिव के पाँच रूपों में से एक को समर्पित है। इसके अलावा, कामाक्षी अम्मान मंदिर, कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर मंदिर, कैलाशनाथ मंदिर आदि भी मुख्य हैं। आज भी कांचीपुरम और उसके आसपास 126 शानदार मंदिर हैं। फिलहाल, यहाँ 100 के आसपास दूसरे मंदिर बाकी रह गए हैं पर प्राचीन ज़माने में मंदिरों की संख्या करीब एक हज़ार थी।

ख़रीददारी

कांचीपुरम सिल्क फैब्रिक और हाथ से बुनी रेशमी साड़ियों के लिए भी यह देश-दुनिया में मशहूर है। बुनाई करने वाले उच्च क्वालिटी की सिल्क और शुद्ध सोने के तार इन साड़ियों पर इस्तेमाल कर एक से बढ़कर एक ख़ूबसूरत साड़ियों का निर्माण करते हैं। इसलिए इसे सिल्क सिटी भी कहते हैं। कुछ ख़रीदने की इच्छा हो तो इन सिल्क की साड़ियों की शॉपिंग ज़रूर करें क्योंकि दूसरे शहरों के मुकाबले ये यहाँ उचित व कम दामों में मिल जाती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ब्रह्माण्डपु. ललितोपाख्यान 35

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