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| '''पालक''' एक ऐसी सब्जी है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है। रेतीली जमीन को छोड़कर शेष प्रकार की जमीन पर पालक खेती के लिए अनुकूल रहती है। इसके हरे पत्तों की सब्जी, सोया की भाजी या अन्य पत्तों वाली भाजी के साथ मिलाकर पकाई जाती है। कच्चा पालक खाने में कड़वा और खारा लगता है, परंतु गुणकारी होता है। दही के साथ कच्चे पालक का रायता बहुत ही स्वादिष्ट और गुणकारी होता है। पालक मानव के लिए एक अमृत के समान लाभकारी सब्जी है तथा यह सब्जी ही अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, विटामिन-सी और लौह तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। पालक से कई तरह की औषधियां भी बनायी जाती हैं। | | [[चित्र:Spinach.jpg|thumb|250px|पालक के पत्ते]] |
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| | '''पालक''' एक ऐसी [[शाक सब्ज़ी|सब्ज़ी]] है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है। रेतीली ज़मीन को छोड़कर शेष प्रकार की ज़मीन पर पालक खेती के लिए अनुकूल रहती है। कच्चा पालक खाने में कड़वा और खारा लगता है, परंतु गुणकारी होता है। [[दही]] के साथ कच्चे पालक का रायता बहुत ही स्वादिष्ट और गुणकारी होता है। पालक मानव के लिए एक अमृत के समान लाभकारी सब्ज़ी है तथा यह सब्ज़ी ही अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है, क्योंकि इसमें [[कैल्शियम]], विटामिन-सी और लौह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। पालक से कई तरह की औषधियाँ भी बनायी जाती हैं। |
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| ==स्वाद== | | ==स्वाद== |
| पालक खाने में कड़वा और खारा होता है। | | पालक खाने में कड़वा और खारा होता है, परंतु गुणकारी होता है। |
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| ==स्वभाव== | | ==स्वभाव== |
| पालक की तासीर शीतल और ठंडी होती है। | | पालक की तासीर शीतल और ठंडी होती है। |
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| ==हानिकारक== | | ==उत्पत्ति== |
| पालक की भाजी वायुकारक है, इसलिए वर्षा के मौसम में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। | | यह [[भारत]] के प्रायः सभी प्रांतों में पाया जाता है। इसका पौधा लगभग एक से डेढ़ फुट ऊँचा होता है। इसके पत्ते चिकने, मांसल व मोटे होते हैं। यह साधारणतः शीत ऋतु में अधिक खेती होती है, कहीं-कहीं अन्य ऋतुओं में भी इसकी खेती होती है। |
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| | ==पालक में जाने वाले तत्व== |
| | पालक में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन ई तथा प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, [[फास्फोरस]], क्लोरिन, थायामिन, फाइबर, राइबोफ्लैविन तथा लौह तत्व पाये जाते हैं। पालक [[खून]] के रक्ताणुओं को बढ़ाता है। पालक में [[प्रोटीन]] उत्पादक एमिनोएसिड अधिकतम मात्रा में हैं। पालक बुद्धि बढ़ाने में सहायक बनता है। |
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| ==गुण== | | ==गुण== |
| पालक बच्चों, गर्भवती और स्तनपान (दूध पिलाने वाली) कराने वाली माताओं के लिए पौष्टिकता से भरपूर एवं एक अच्छा खाने वाला भोजन है। गर्भावस्था के दिनों में महिलाओं को अधिक मात्रा में पालक का सेवन सलाद या सब्जी के रूप में करना चाहिए, पालक से होने वाले बच्चे को पोषक खुराक मिलती है, उसका रंग गोरा होता है तथा वजन भी बढ़ता है। पालक फेंफड़े की सड़न को भी दूर करता है। आंतों के रोग, दस्त, संग्रहणी (अधिक दस्त का आना) आदि में भी पालक लाभदायक है। पालक में खून बढ़ाने का गुण ज्यादा है यह खून को साफ करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह स्नेहन, रुचिकारी, मूत्रल (अधिक पेशाब का आना), शोथहर (सूजन को हटाने वाला) है। | | पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते। यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। पालक बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिकता से भरपूर एवं एक अच्छा खाने वाला भोजन है। पालक फेंफड़े की सड़न को भी दूर करता है। आंतों के रोग, दस्त आदि में भी पालक लाभदायक है। पालक में खून बढ़ाने का गुण ज़्यादा है यह खून को साफ़ करता है और हड्डियों को मज़बूत बनाता है। |
| पालक में जाने वाले तत्व : पालक में विटामिन `ए´ `बी´ `सी´ और `ई´ तथा प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस, क्लोरिन, थायामिन, फाइबर, राइबोफ्लैविन तथा लौह तत्व पाये जाते हैं। पालक खून के रक्ताणुओं को बढ़ाता है। पालक में प्रोटीन उत्पादक एमिनोएसिड अधिकतम मात्रा में हैं। पालक बुद्धि बढ़ाने में सहायक बनता है।<ref>{{cite web |url=http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=5007 |title=पालक |accessmonthday=[[4 मार्च]] |accessyear=[[2012]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जनकल्याण |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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| | ==हानिकारक== |
| | पालक की भाजी वायुकारक है, इसलिए वर्षा के मौसम में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।<ref>{{cite web |url=http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=5007 |title=पालक |accessmonthday=[[4 मार्च]] |accessyear=[[2012]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जनकल्याण |language=[[हिन्दी]] }}</ref> |
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| पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते। यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है, सर्वसुलभ एवं सस्ता है।
| | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
| | <references/> |
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| यह भारत के प्रायः सभी प्रांतों में बहुलता से सहज प्राप्य है। इसका पौधा लगभग एक से डेढ़ फुट ऊँचा होता है। इसके पत्ते चिकने, मांसल व मोटे होते हैं। यह साधारणतः शीत ऋतु में अधिक पैदा होता है, कहीं-कहीं अन्य ऋतुओं में भी इसकी खेती होती है।
| | ==बाहरी कड़ियाँ== |
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| गुण और लाभ
| | ==संबंधित लेख== |
| | | {{शाक-सब्ज़ी}} |
| इसमें पाए जाने वाले तत्वों में मुख्य रूप से कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, लोहा, खनिज लवण, प्रोटीन, श्वेतसार, विटामिन 'ए' एवं 'सी' आदि उल्लेखनीय हैं। इन तत्वों में भी लोहा विशेष रूप से पाया जाता है।
| | __INDEX__ |
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| लौह तत्व मानव शरीर के लिए उपयोगी, महत्वपूर्ण, अनिवार्य होता है। लोहे के कारण ही शरीर के रक्त में स्थित रक्ताणुओं में रोग निरोधक क्षमता तथा रक्त में रक्तिमा (लालपन) आती है। लोहे की कमी के कारण ही रक्त में रक्ताणुओं की कमी होकर प्रायः पाण्डु रोग उत्पन्न हो जाता है।
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| लौह तत्व की कमी से जो रक्ताल्पता अथवा रक्त में स्थित रक्तकणों की न्यूनता होती है, उसका तात्कालिक प्रभाव मुख पर विशेषतः ओष्ठ, नासिका, कपोल, कर्ण एवं नेत्र पर पड़ता है, जिससे मुख की रक्तिमा एवं कांति विलुप्त हो जाती है। कालान्तर में संपूर्ण शरीर भी इस विकृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।
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| लोहे की कमी से शक्ति ह्रास, शरीर निस्तेज होना, उत्साहहीनता, स्फूर्ति का अभाव, आलस्य, दुर्बलता, जठराग्नि की मंदता, अरुचि, यकृत आदि परेशानियाँ होती हैं।
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| पालक की शाक वायुकारक, शीतल, कफ बढ़ाने वाली, मल का भेदन करने वाली, गुरु (भारी) विष्टम्भी (मलावरोध करने वाली) मद, श्वास,पित्त, रक्त विकार एवं ज्वर को दूर करने वाली होती है।
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| आयुर्वेद के अनुसार पालक की भाजी सामान्यतः रुचिकर और शीघ्र पचने वाली होती है। इसके बीज मृदु, विरेचक एवं शीतल होते हैं। ये कठिनाई से आने वाली श्वास, यकृत की सूजन और पाण्डु रोग की निवृत्ति हेतु उपयोग में लाए जाते हैं।
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| गर्मी का नजला, सीने और फेफड़े की जलन में भी यह लाभप्रद है। यह पित्त की तेजी को शांत करती है, गर्मी की वजह से होने वाले पीलिया और खाँसी में यह बहुत लाभदायक है।
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| ==रासायनिक विश्लेषण== | |
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| पालक की शाक में एक तरह का क्षार पाया जाता है, जो शोरे के समान होता है, इसके अतिरिक्त इसमें मांसल पदार्थ 3.5 प्रतिशत, चर्बी व मांस तत्वरहित पदार्थ 5.5 प्रतिशत पाए जाते हैं।
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| पालक में लोहा काफी मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें पाए जाने वाले तत्वों में कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, खनिज लवण, प्रोटीन, श्वेतसोर आदि मुख्य हैं।
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| स्त्रियों के लिए लाभकारी
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| स्त्रियों के लिए पालक का शाक अत्यंत उपयोगी है। महिलाएँ यदि अपने मुख का नैसर्गिक सौंदर्य एवं रक्तिमा (लालिमा) बढ़ाना चाहती हैं, तो उन्हें नियमित रूप से पालक के रस का सेवन करना चाहिए।
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| प्रयोग से देखा गया है कि पालक के निरंतर सेवन से रंग में निखार आता है। इसे भाजी (सब्जी) बनाकर खाने की अपेक्षा यदि कच्चा ही खाया जाए, तो अधिक लाभप्रद एवं गुणकारी है। पालक से रक्त शुद्धि एवं शक्ति का संचार होता है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/eating/0811/03/1081103043_1.htm |title=पालक |accessmonthday=[[4 मार्च]] |accessyear=[[2012]]|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेब दुनिया |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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thumb|250px|पालक के पत्ते
पालक एक ऐसी सब्ज़ी है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है। रेतीली ज़मीन को छोड़कर शेष प्रकार की ज़मीन पर पालक खेती के लिए अनुकूल रहती है। कच्चा पालक खाने में कड़वा और खारा लगता है, परंतु गुणकारी होता है। दही के साथ कच्चे पालक का रायता बहुत ही स्वादिष्ट और गुणकारी होता है। पालक मानव के लिए एक अमृत के समान लाभकारी सब्ज़ी है तथा यह सब्ज़ी ही अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, विटामिन-सी और लौह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। पालक से कई तरह की औषधियाँ भी बनायी जाती हैं।
स्वाद
पालक खाने में कड़वा और खारा होता है, परंतु गुणकारी होता है।
स्वभाव
पालक की तासीर शीतल और ठंडी होती है।
उत्पत्ति
यह भारत के प्रायः सभी प्रांतों में पाया जाता है। इसका पौधा लगभग एक से डेढ़ फुट ऊँचा होता है। इसके पत्ते चिकने, मांसल व मोटे होते हैं। यह साधारणतः शीत ऋतु में अधिक खेती होती है, कहीं-कहीं अन्य ऋतुओं में भी इसकी खेती होती है।
पालक में जाने वाले तत्व
पालक में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन ई तथा प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस, क्लोरिन, थायामिन, फाइबर, राइबोफ्लैविन तथा लौह तत्व पाये जाते हैं। पालक खून के रक्ताणुओं को बढ़ाता है। पालक में प्रोटीन उत्पादक एमिनोएसिड अधिकतम मात्रा में हैं। पालक बुद्धि बढ़ाने में सहायक बनता है।
गुण
पालक में जो गुण पाए जाते हैं, वे सामान्यतः अन्य शाक-भाजी में नहीं होते। यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। पालक बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिकता से भरपूर एवं एक अच्छा खाने वाला भोजन है। पालक फेंफड़े की सड़न को भी दूर करता है। आंतों के रोग, दस्त आदि में भी पालक लाभदायक है। पालक में खून बढ़ाने का गुण ज़्यादा है यह खून को साफ़ करता है और हड्डियों को मज़बूत बनाता है।
हानिकारक
पालक की भाजी वायुकारक है, इसलिए वर्षा के मौसम में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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