चिंगलपट: Difference between revisions

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'''चिंगलपट''' [[मद्रास]] (वर्तमान [[चेन्नई]]) में समुद्र तट पर स्थित एक दुर्ग नगर है। यहाँ के क़िले के एक पार्श्व में दोहरी क़िलाबंदी है और तीन ओर झील तथा दलदलें हैं। यहाँ से 5 मील {{मील|मील=5}} पर पहाड़ी के ऊपर दक्षिण का प्रसिद्ध 'पक्षीतीर्थ' है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=333|url=}}</ref>
'''चिंगलपट''' या 'चिंगलपेट' [[मद्रास]] (वर्तमान [[चेन्नई]]) में समुद्र तट पर स्थित एक दुर्ग नगर है। यहाँ के क़िले के एक पार्श्व में दोहरी क़िलाबंदी है और तीन ओर झील तथा दलदलें हैं। यहाँ से 5 मील {{मील|मील=5}} पर पहाड़ी के ऊपर दक्षिण का प्रसिद्ध 'पक्षीतीर्थ' है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=333|url=}}</ref>


*पहाड़ी पर भगवान [[शिव]] का मंदिर और 'जटायुकुंड' भी है। जटायुकुंड का संबंध [[रामायण]] के गिद्धराज [[जटायु]] से बताया जाता है। पहाड़ी के नीचे 'शंखतीर्थ' है।
*पहाड़ी पर भगवान [[शिव]] का मंदिर और 'जटायुकुंड' भी है। जटायुकुंड का संबंध [[रामायण]] के गिद्धराज [[जटायु]] से बताया जाता है। पहाड़ी के नीचे 'शंखतीर्थ' है।

Revision as of 08:37, 7 September 2012

चिंगलपट या 'चिंगलपेट' मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में समुद्र तट पर स्थित एक दुर्ग नगर है। यहाँ के क़िले के एक पार्श्व में दोहरी क़िलाबंदी है और तीन ओर झील तथा दलदलें हैं। यहाँ से 5 मील (लगभग 8 कि.मी.) पर पहाड़ी के ऊपर दक्षिण का प्रसिद्ध 'पक्षीतीर्थ' है।[1]

  • पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर और 'जटायुकुंड' भी है। जटायुकुंड का संबंध रामायण के गिद्धराज जटायु से बताया जाता है। पहाड़ी के नीचे 'शंखतीर्थ' है।
  • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बहुत प्रारंभिक दिनों में यह स्थान क्रांतिकारी और गोपनीय कार्यवाहियों और बैठकों का अड्डा बन गया था।
  • जुलाई, 1857 में दो हिन्दू मंदिर- एक छोटा चिंगलपुट शहर के तीन मील दक्षिण पश्चिम, मनिपकम में और दूसरा उससे बड़ा, चिंगलपुट शहर के उत्तर में पल्लवरम में स्थित, क्रांतिकारियों के क्षेत्रीय शरण-स्थल बन गए थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 333 |

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