निखिल बैनर्जी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 20: Line 20:
|विद्यालय=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=[[1987]] [[पद्म भूषण]], [[1974]] [[संगीत नाटक अकादमी|संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]], [[1968]] [[पद्म श्री]]  
|पुरस्कार-उपाधि=[[1987]] [[पद्म भूषण]], [[1974]] [[संगीत नाटक अकादमी|संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]], [[1968]] [[पद्म श्री]]  
|प्रसिद्धि=[[सितार]] वादक
|प्रसिद्धि=[[सितार वादक]]
|विशेष योगदान=
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=
|नागरिकता=

Revision as of 10:39, 13 October 2012

निखिल बैनर्जी
पूरा नाम निखिल रंजन बैनर्जी
प्रसिद्ध नाम निखिल बैनर्जी
जन्म 14 अक्टूबर, 1931
जन्म भूमि 1931
मृत्यु 27 जनवरी, 1986
कर्म-क्षेत्र शास्त्रीय संगीत
पुरस्कार-उपाधि 1987 पद्म भूषण, 1974 संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1968 पद्म श्री
प्रसिद्धि सितार वादक
संबंधित लेख अली अकबर ख़ाँ, पन्नालाल घोष, अलाउद्दीन ख़ाँ
अन्य जानकारी निखिल रंजन बैनर्जी 20वीं सदी में भारत के प्रमुख सितार वादकों में से एक थे।
अद्यतन‎

निखिल रंजन बैनर्जी का जन्म 14 अक्टूबर, 1931 में पश्चिम बंगाल राज्य के एक ब्राह्मण घराने में हुआ था। निखिल रंजन बैनर्जी 20वीं सदी में भारत के प्रमुख सितार वादकों में से एक थे।

आरंभिक जीवन

निखिल रंजन बैनर्जी को सितार बजाना इनके पिता जितेन्द्रनाथ बैनर्जी ने सिखाया। सितार बजाने की उनमें बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा थी। निखिल रंजन बैनर्जी ने नौ साल की उम्र में अखिल भारतीय सितार प्रतियोगिता जीती और जल्द ही ऑल इंडिया रेडियो पर सितार बजाने लगे। शुरुआती प्रशिक्षण के लिए जितेन्द्रनाथ के अनुरोध पर मुश्ताक़ अली ख़ाँ ने निखिल बैनर्जी को अपना शिष्य बनाया। निखिल बैनर्जी उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ से शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन अलाउद्दीन ख़ाँ और शिष्य नहीं चाहते थे। अन्त में रेडियो पर निखिल बैनर्जी का सितार वादन सुनने पर अलाउद्दीन ख़ाँ ने अपना निर्णय बदला। मुख्यत: निखिल बैनर्जी उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ के शिष्य थे, लेकिन उन्होंने अली अकबर ख़ाँ से भी शिक्षा प्राप्त की।

मैहर घराना

मैहर घराने का कठोर अनुशासन था। सालों तक निखिल बैनर्जी ने प्रात: चार बजे से रात के ग्यारह बजे तक रियाज़ किया। निखिल बैनर्जी के अतिरिक्त उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ के शिष्यों में उनके पुत्र अली अकबर ख़ाँ, पौत्र आशीष ख़ाँ, भतीजे बहादुर ख़ाँ (सरोद), रवि शंकर (सितार), पुत्री अन्नपूर्णा (सुरबहार), पन्नालाल घोष (बाँसुरी) और बसन्त राय (सरोद) भी थे। उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ ने अपने शिष्यों को वादन पद्धति के साथ मैहर घराने के दृष्टिकोण से भी परिचित कराया।

सम्मान

निखिल रंजन बैनर्जी को 1987 में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में पद्म भूषण, 1968 में पद्म श्री और 1974 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया था।

निधन

निखिल रंजन बैनर्जी की मृत्यु 27 जनवरी, 1986 में हुई थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख