गैटोर जयपुर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 39: | Line 39: | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''गैटोर''' [[राजस्थान]] [[ | |||
*सबसे सुंदर छतरी जयपुर के संस्थापक [[जयसिंह|महाराजा सवाई जयसिंह]] की है, जिसकी एक अनुकृति लंदन के केनसिंगल म्यूजियम में रखी गई | '''गैटोर''' [[राजस्थान]] के [[जयपुर]] में स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। यहाँ नाहरगढ़ क़िले की तलहटी में दिवंगत राजाओं की छतरियाँ निर्मित हैं। [[पुरातत्त्व]] महत्त्व की अनेक वस्तुएँ यहाँ पाई गई हैं। प्राचीन राजाओं की समाधि-छतरियाँ आदि यहाँ के उल्लेखनीय स्मारक हैं। ये राजस्थान की प्राचीन [[वास्तुकला]] के सुन्दर उदाहरण हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=295|url=}}</ref> | ||
*सबसे सुंदर छतरी जयपुर के संस्थापक [[जयसिंह|महाराजा सवाई जयसिंह]] की है, जिसकी एक अनुकृति [[लंदन]] के 'केनसिंगल म्यूजियम' में रखी गई है। | |||
*सिसोदिया रानी के बाग़ में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं। | *सिसोदिया रानी के बाग़ में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं। | ||
*अन्य बगीचों में, विद्याधर का बाग़ बहुत ही अच्छे ढ़ग से संरक्षित बाग़ है, इसमें घने वृक्ष, बहता पानी व खुले मंडप हैं। | *अन्य बगीचों में, विद्याधर का बाग़ बहुत ही अच्छे ढ़ग से संरक्षित बाग़ है, इसमें घने वृक्ष, बहता पानी व खुले मंडप हैं। इसे शहर के नियोजक विद्याधर ने निर्मित किया था। | ||
*गैटोर में नाहरगढ क़िले के नीचे जयपुर के पूर्व महाराजाओं की संगमरमर की सुन्दर और कलात्मक छतरियाँ बनी हुई हैं। इसमें सवाई जयसिंह द्वितीय की छतरी काफ़ी भव्य हैं। | |||
* | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति |आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} | ||
|आधार= | |||
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
==वीथिका== | ==वीथिका== | ||
<gallery> | <gallery> |
Revision as of 11:28, 15 November 2012
गैटोर जयपुर
| |
विवरण | नाहरगढ़ क़िले की तलहटी में जयपुर के दिवंगत राजाओं की छतरियाँ निर्मित हैं, इस स्थान को गैटोर कहते हैं। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | जयपुर |
निर्माता | सवाई माधो सिंह |
मार्ग स्थिति | गैटोर जयपुर के गनगोरी बाज़ार रोड़ से 4 किमी की दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | जयपुर के शासकों के स्मारक के लिए प्रसिद्ध है। |
कब जाएँ | अक्टूबर से मार्च |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि |
हवाई अड्डा | सांगानेर हवाई अड्डा |
रेलवे स्टेशन | जयपुर जक्शन |
बस अड्डा | सिन्धी कैम्प, घाट गेट |
यातायात | ऑटो रिक्शा, टैक्सी, मिनी बस |
क्या देखें | गढ़ गणेश मंदिर |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
एस.टी.डी. कोड | 0141 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
संबंधित लेख | सिटी पैलेस, गोविंद देवजी का मंदिर, अम्बर क़िला, जयगढ़ क़िला
|
अन्य जानकारी | सबसे सुंदर छतरी जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह की है, जिसकी एक अनुकृति लंदन के केनसिंगल म्यूजियम में रखी गई है |
गैटोर राजस्थान के जयपुर में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ नाहरगढ़ क़िले की तलहटी में दिवंगत राजाओं की छतरियाँ निर्मित हैं। पुरातत्त्व महत्त्व की अनेक वस्तुएँ यहाँ पाई गई हैं। प्राचीन राजाओं की समाधि-छतरियाँ आदि यहाँ के उल्लेखनीय स्मारक हैं। ये राजस्थान की प्राचीन वास्तुकला के सुन्दर उदाहरण हैं।[1]
- सबसे सुंदर छतरी जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह की है, जिसकी एक अनुकृति लंदन के 'केनसिंगल म्यूजियम' में रखी गई है।
- सिसोदिया रानी के बाग़ में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं।
- अन्य बगीचों में, विद्याधर का बाग़ बहुत ही अच्छे ढ़ग से संरक्षित बाग़ है, इसमें घने वृक्ष, बहता पानी व खुले मंडप हैं। इसे शहर के नियोजक विद्याधर ने निर्मित किया था।
- गैटोर में नाहरगढ क़िले के नीचे जयपुर के पूर्व महाराजाओं की संगमरमर की सुन्दर और कलात्मक छतरियाँ बनी हुई हैं। इसमें सवाई जयसिंह द्वितीय की छतरी काफ़ी भव्य हैं।
|
|
|
|
|
वीथिका
-
गैटोर, जयपुर
-
गैटोर, जयपुर
-
रानी की छतरी, गैटोर, जयपुर
-
महाराजाओं के गैटोर, जयपुर
-
गैटोर में मेहराब, जयपुर
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 295 |