बेकल क़िला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''बेकल क़िला''' कासरगोड ज़िला, केरल के पर्यटन स्थलों ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 20: Line 20:
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{केरल}}
[[Category:नया पन्ना दिसम्बर-2012]]
[[Category:केरल]]][[Category:भारत के दुर्ग]][[Category:स्थापत्य कला]][[Category:केरल के पर्यटन स्थल]][[Category:केरल के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:इतिहास कोश]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 07:06, 12 December 2012

बेकल क़िला कासरगोड ज़िला, केरल के पर्यटन स्थलों में से एक है। यह एक तटीय क़िला है, जो पल्‍लीक्‍करे गांव के अरब सागर त‍ट की पृष्टभूमि पर स्थित कासरगोड के दक्षिण-पूर्व में 16 कि.मी.की दूरी पर स्थित है। यह केरल के उत्‍तम संरक्षित क़िलों में से एक है। इस क़िले का निर्माण 'शिवप्पा' नाम के एक नायक ने करवाया था।

इतिहास

इस क़िले की स्थिति 120° 23' उत्‍तर और 750° 02' पूर्व है। कासरगोड का एक लंबा और सतत इतिहास रहा है। कर्नाटक क्षेत्र से इसकी निकटता होने और बेकल क्षेत्र के सामरिक महत्‍व के कारण विजयनगर शासन काल से ही इसे महत्‍व प्राप्‍त था। दक्षिणी केनारा मैनुअल और अन्‍य साहित्यिक कृतियों के अनुसार केलेडी नायकों (सन 1500-1763) जिनकी कर्नाटक के केलाड़ी, इक्‍केरी और बेडनोर में विभिन्‍न राजधानियाँ थीं, ने होसदुर्ग-कासरगोड क्षेत्र में कुछ किलों का निर्माण करवाया था। माना जाता है कि बेकल क़िले का निर्माण शिवप्‍पा नायक ने करवाया था। दूसरी मान्यता यह है कि यह क़िला कोलाथिरी राजाओं के काल में भी मौजूद था और कोलाथिरी राजाओं और विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद यह क्षेत्र इक्‍केरी नायकों के नियंत्रण में आ गया, जिन्‍होंने इस क़िले का पुन: निर्माण करवाया और उस क्षेत्र का उपयोग किया।

अंग्रेज़ों का अधिकार

सन 1763 में यह क़िला हैदर अली के हाथों में आया था। बेकल क़िला टीपू सुल्तान के महत्‍वपूर्ण सेना पड़ाव के रूप में उस समय उपयोग में आया, जब उसने मालाबार पर अधिकार करने के लिए बड़ा सैन्‍य अभियान चलाया। सन 1799 में अंग्रेज़ों के विरूद्ध लड़ते समय टीपू सुल्‍तान की मृत्‍यु के साथ ही मैसूर राज्‍य का इस क़िले से नियंत्रण समाप्‍त हो गया और बाद में यह क़िला ईस्ट इंडिया कम्पनी के नियंत्रण में चला गया। धीरे-धीरे बेकल का राजनीतिक और आर्थिक महत्‍व समाप्‍त होता चला गया।

बेकल का क़िला चालीस एकड़ के क्षेत्र में विस्तृत है। क़िले की विशाल दीवारें लगभग 12 मीटर ऊंची हैं, जो स्‍थानीय लैटेराइट पत्‍थरों से बनी हैं। अंतरीप जिस पर यह स्थित है, दक्षिण की ओर एक पतली खाड़ी से समुद्र में चला जाता है। इस स्‍थल का चयन इस प्रकार किया गया है कि इससे क्षेत्र का पूरा परिदृश्‍य नजर आता है और लैटराइट शैल संस्‍तर का भी किले को मजबूत बनाने के लिए अच्‍छी तरह उपयोग किया गया है। यह एक बड़ा क़िला है जिसकी समुद्र की ओर की प्राचीर और परकोटे मजबूत है और बीच-बीच में तोपों के लिए विवरों सहित बुर्ज हैं। पूर्व की ओर मुख्‍य द्वार है जो बुर्जों द्वारा सुरक्षित है। किले के जमीनी हिस्‍से की ओर खाई है। इस किले की महत्‍वपूर्ण विशेषताओं में एक सीढ़ीदार टैंक, दक्षिण की ओर खुलती हुई सुरंग, गोला बारूद रखने के लिए बारूदखाना और निगरानी टावर तक जाने के लिए चौड़ा रैम्‍प है। यह टावर आस-पास के क्षेत्र का एक आकर्षक परिदृश्‍य उपलब्‍ध करता है। यहां से कोई भी इसके आस-पास के सभी महत्‍वपूर्ण स्‍थानों को देख सकता है और इसका किले की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सामारिक महत्‍व भी है। विशाल लैटराइट दीवारों के खाली स्‍थानों का इस्‍तेमाल तोपों को रखने के लिए किया जाता था।

इस किले के हाल ही में किए गए उत्खनन से इक्‍केरी के नायक और टीपू सुल्‍तान के समय के लैटराइट पत्थर से निर्मित विभिन्‍न प्रकार के धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक ढांचे मिले हैं। इस उत्खनन की अन्‍य महत्‍वपूर्ण खोज में टकसाल (हुजूर) और मध्‍ययुगीन महल परिसर भी शामिल है। दरबार हॉल और मंदिर परिसर के अवशेष भी इस उत्खनन के दौरान सामने आए हैं। उत्खनन से मिले सिक्‍के हैदर अली, टीपू सुल्‍तान और मैसूर के वाडीयार से संबंधित हैं। अन्‍य महत्‍वपूर्ण प्राप्तियों में टीपू सुल्‍तान के तांबे के सिक्‍के का सांचा है। प्राप्‍त संरचनाएं अधिकांशत: धर्म निरपेक्ष हैं। सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला है।

प्रवेश शुल्क: भारतीय नागरिक और सार्क देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) और बिमस्टेक देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलेंड और म्यांमार) के पर्यटक 5/-रूपए प्रति व्‍यक्‍ति  अन्‍य  2 अमरीकी डालर या 100/- रूपए प्रति व्‍यक्‍ति              (15 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है)


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

][[Category:इतिहास कोश]