खनिज तेल: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{{पुनरीक्षण}} {{tocright}} '''खनिज तेल''' के दो अलग-अलग अर्थ है : #'क...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "काफी " to "काफ़ी ") |
||
Line 41: | Line 41: | ||
| [[जामनगर]] ([[गुजरात]]) || [[1999]] || 54 | | [[जामनगर]] ([[गुजरात]]) || [[1999]] || 54 | ||
|} | |} | ||
असम घाटी तेल क्षेत्र भारत का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राचीन तेल क्षेत्र है। यहाँ सबसे पहले 1837 में सेना के एक अधिकारी द्वारा तेल की खोज की गयी। यहाँ के प्रमुख तेल क्षेत्रों में डिगबोई, नहरकाटिया, हगरीजन-मोरान, सुरमा नदी घाटी का नाम लिया जाता हनौ। डिगबोई तेल क्षेत्र नागा पहाड़ी क्षेत्र में स्थित [[लखीमपुर ज़िला|लखीमपुर ज़िले]] की टीपम पहाड़ियों के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यहाँ लगभग 800 तेल कूप खोदे गये हैं, जिनमें बप्पापांग, डिगबोई, पानीटोला, हस्सापांग आदि | असम घाटी तेल क्षेत्र भारत का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राचीन तेल क्षेत्र है। यहाँ सबसे पहले 1837 में सेना के एक अधिकारी द्वारा तेल की खोज की गयी। यहाँ के प्रमुख तेल क्षेत्रों में डिगबोई, नहरकाटिया, हगरीजन-मोरान, सुरमा नदी घाटी का नाम लिया जाता हनौ। डिगबोई तेल क्षेत्र नागा पहाड़ी क्षेत्र में स्थित [[लखीमपुर ज़िला|लखीमपुर ज़िले]] की टीपम पहाड़ियों के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यहाँ लगभग 800 तेल कूप खोदे गये हैं, जिनमें बप्पापांग, डिगबोई, पानीटोला, हस्सापांग आदि काफ़ी महत्तवपूर्ण हैं। डिगबोई से 40 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित नहरकटिया भी एक प्रमुख क्षेत्र है जहाँ दिहिंग नदी के किनारे तेलकूपों का निर्माण करके तेल निकाला जाता है। हगरीजन-मोरान क्षेत्र नहरकटिया से लगभग 40 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है जहाँ प्राकृतिक गैस भी पायी जाती है। [[सुरमा नदी]] की घाटी में बदरपुर तथा पथरिया में तेल निकाला जाता है। इसके समीप ही मसीमपुर तेल क्षेत्र स्थित है। असम में कुल 500 लाख टन तेल भंडार होने का अनुमान है। | ||
====गुजरात तेल क्षेत्र==== | ====गुजरात तेल क्षेत्र==== | ||
गुजरात राज्य में खम्भात तथा अंकलेश्वर महत्तवपूर्ण क्षेत्र है जबकि नवगाँव, कोसम्बा, सनन्द नदी घाटी , कदी, ओल्पाद, कठाना, ढ़ोलका, मेंहसाना, कल्लोल आदि स्थानों पर भी तेल क्षेत्र का विस्तार है। खम्भात तेल क्षेत्र में पहली बार [[1958]] में तेल का [[उत्खनन]] किया गया था। [[सौराष्ट्र]] में [[भावनगर]] से 45 किमी दूर एलियाबेट द्वीप में भी तेल का पता लगाया जा चुका है। | गुजरात राज्य में खम्भात तथा अंकलेश्वर महत्तवपूर्ण क्षेत्र है जबकि नवगाँव, कोसम्बा, सनन्द नदी घाटी , कदी, ओल्पाद, कठाना, ढ़ोलका, मेंहसाना, कल्लोल आदि स्थानों पर भी तेल क्षेत्र का विस्तार है। खम्भात तेल क्षेत्र में पहली बार [[1958]] में तेल का [[उत्खनन]] किया गया था। [[सौराष्ट्र]] में [[भावनगर]] से 45 किमी दूर एलियाबेट द्वीप में भी तेल का पता लगाया जा चुका है। |
Revision as of 11:26, 14 May 2013
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
खनिज तेल के दो अलग-अलग अर्थ है :
- 'क्रूड आयल' या प्राकृतिक रूप से मिलने वाला पेट्रोलियम
- पेट्रोलियम के आसवन से प्राप्त उत्पाद
प्राप्ति स्थान
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय तक मात्र असम में ही खनिज तेल निकाला जाता था, लेकिन उसके बाद गुजरात तथा बाम्बे हाई में खनिज तेल का उत्खनन प्रारम्भ किया गया। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा देश के स्थलीय एवं सागरीय भागो में 26 ऐसे बेसिनों का पता लगाया गया है, जहाँ से तेल-प्राप्ति की पर्याप्त संभावनाएं है। भारत में सम्भावित तेल क्षेत्र 14.1 लाख वर्ग किमी. पर विस्तृत हैं, जिसका 85 प्रतिशत भाग स्थल पर है एवं 15 प्रतिशत भाग अपतटीय क्षेत्र में। भारत का खनिज तेल का ज्ञात भण्डार एवं उत्पादन दोनो ही कम है, अतः अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिए विदेशों से तेल का आयात किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय भू-गर्मिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में खनिज तेल का भंडार 620 करोड़ टन है। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग ने भारत का कुल खनिज तेल भंडार 1750 लाख टन बताया है। भारत के तीन प्रमुख क्षेत्र ऐसे हैं- जहाँ से खनिज तेल प्राप्त किया जा रहा है। इनमें सबसे महत्तवपूर्ण तेल क्षेत्र उत्तरी-पूर्वी राज्यों असम तथा मेघालय में फैला है, जबकि दूसरा महत्तवपूर्ण क्षेत्र है- गुजरात में खम्भात की खाड़ी का समीपवर्ती क्षेत्र। मुम्बई तट से लगभग 176 किमी दूर अरब सागर में स्थित बाम्बे हाई नामक स्थान भी तेल उत्खनन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हो गया है। यहाँ पर 1250 लाख टन तेल भंडार अनुमानित किये गये है। वर्ष 2007-08 के दौरान कुल 341 लाख टन कच्चे पेट्रोलियम का उत्पादन हुआ।
असम घाटी तेल क्षेत्र
शोधनशाला | स्थापना वर्ष | शोधन क्षमता (लाख टन) |
---|---|---|
डिग्बोई (असम) | 1901 | 5.0 |
मुम्बई (एच.पी.सी.एल.) | 1954 | 55 |
मुम्बई (बी.पी.सी.एल.) | 1955 | 60 |
विशाखापटनम | 1957 | 45 |
गुवाहाटी (असम) | 1962 | 8.5 |
बरौनी (बिहार) | 1964 | 33.0 |
कोयली (गुजरात) | 1965 | 95 |
कोचीन | 1966 | 45 |
चेन्नई | 1969 | 56 |
हल्दिया (पश्चिम बंगाल) | 1975 | 27.5 |
बोगाईगाँव (असम) | 1979 | 13.5 |
मथुरा (उत्तर प्रदेश) | 1982 | 75 |
करनाल (हरियाणा) | 1987 | 30 |
जामनगर (गुजरात) | 1999 | 54 |
असम घाटी तेल क्षेत्र भारत का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राचीन तेल क्षेत्र है। यहाँ सबसे पहले 1837 में सेना के एक अधिकारी द्वारा तेल की खोज की गयी। यहाँ के प्रमुख तेल क्षेत्रों में डिगबोई, नहरकाटिया, हगरीजन-मोरान, सुरमा नदी घाटी का नाम लिया जाता हनौ। डिगबोई तेल क्षेत्र नागा पहाड़ी क्षेत्र में स्थित लखीमपुर ज़िले की टीपम पहाड़ियों के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यहाँ लगभग 800 तेल कूप खोदे गये हैं, जिनमें बप्पापांग, डिगबोई, पानीटोला, हस्सापांग आदि काफ़ी महत्तवपूर्ण हैं। डिगबोई से 40 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित नहरकटिया भी एक प्रमुख क्षेत्र है जहाँ दिहिंग नदी के किनारे तेलकूपों का निर्माण करके तेल निकाला जाता है। हगरीजन-मोरान क्षेत्र नहरकटिया से लगभग 40 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है जहाँ प्राकृतिक गैस भी पायी जाती है। सुरमा नदी की घाटी में बदरपुर तथा पथरिया में तेल निकाला जाता है। इसके समीप ही मसीमपुर तेल क्षेत्र स्थित है। असम में कुल 500 लाख टन तेल भंडार होने का अनुमान है।
गुजरात तेल क्षेत्र
गुजरात राज्य में खम्भात तथा अंकलेश्वर महत्तवपूर्ण क्षेत्र है जबकि नवगाँव, कोसम्बा, सनन्द नदी घाटी , कदी, ओल्पाद, कठाना, ढ़ोलका, मेंहसाना, कल्लोल आदि स्थानों पर भी तेल क्षेत्र का विस्तार है। खम्भात तेल क्षेत्र में पहली बार 1958 में तेल का उत्खनन किया गया था। सौराष्ट्र में भावनगर से 45 किमी दूर एलियाबेट द्वीप में भी तेल का पता लगाया जा चुका है।
- महाराष्ट्र तेल क्षेत्र
महाराष्ट्र के सागरीय तट से दूर लगभग 2,000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला बाम्बे हाई क्षेत्र भी एक महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र है, जहाँ से 1976 से ही तेल की प्राप्ति हो रही है। वर्तमान में गोदावरी नदी घाटी क्षेत्र से भी खनिज तेल का उत्खनन किया जा रहा है। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग के अनुसार गुजरात में 500 लाख टन तेल भंडार है।
अन्य सम्भावित क्षेत्र
पश्चिम बंगाल का सुन्दरवन क्षेत्र, बिहार में किसनगंज एवं रक्सौल क्षेत्र, राजस्थान में जैसलमेर, बीकानेर तथा बाड़मेर ज़िले, कावेरी नदी घाटी एवं पाक की खाड़ी क्षेत्र, अण्डमान निकोबार द्वीप समूह का अपतटीय क्षेत्र आदि। भारत में नये तेल क्षेत्रो का पता लगाने तथा उसके भण्डारो के सर्वेक्षण के लिए 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना की गयी थी, जबकि 1959 में असम एवं अरुणाचल प्रदेश के तेल क्षेत्रों एवं भण्डारों का पता लगाने तथा उनके विकास हेतु आयल इण्डिया लि. का गठन किया गया। भारत में सबसे पहली खनिज तेल की शोधनशाला 1901 में डिग्बोई में स्थापित की गई, जो स्वतन्त्रता प्राप्ति तक भारत की कुल मांग का मात्र 5 प्रतिशत तेल ही शोधित करती थी। वर्तमान समय में इनकी कुल संख्या 14 है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख