देवसई पर्वत: Difference between revisions

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'''देवसई''' भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में [[हिमालय]] पर्वत की एक श्रृंखला है। देवसई पर्वत [[जम्मू-कश्मीर]] राज्य के पश्चिम मध्य हिस्से के [[पाकिस्तान]]-अधिकृत क्षेत्र में है।  देवसई घाटी पर्वत श्रृंखलाओं के बीच 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।  
'''देवसई''' भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में [[हिमालय]] पर्वत की एक शृंखला है। देवसई पर्वत [[जम्मू-कश्मीर]] राज्य के पश्चिम मध्य हिस्से के [[पाकिस्तान]]-अधिकृत क्षेत्र में है।  देवसई घाटी पर्वत शृंखलाओं के बीच 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।  
*यह श्रृंखला बुंजी में [[सिन्धु नदी]] मोड़ से सुरु नदी (कारचा नदी) तक, जो इस श्रृंखला को ज़ास्कर श्रृंखला से अलग करती है, 190 किलोमीटर लम्बी है।  
*यह शृंखला बुंजी में [[सिन्धु नदी]] मोड़ से सुरु नदी (कारचा नदी) तक, जो इस शृंखला को ज़ास्कर शृंखला से अलग करती है, 190 किलोमीटर लम्बी है।  
*देवसई पर्वत खण्ड का मुख्य ढाँचा कैंब्रियन युग से पूर्व (3.96 अरब से 54 करोड़ वर्ष पूर्व) की अवसादी चट्टों का बना है, जिसमें अपेक्षाकृत नई ग्रेनाइट चट्टानें मिल गई हैं।  
*देवसई पर्वत खण्ड का मुख्य ढाँचा कैंब्रियन युग से पूर्व (3.96 अरब से 54 करोड़ वर्ष पूर्व) की अवसादी चट्टों का बना है, जिसमें अपेक्षाकृत नई ग्रेनाइट चट्टानें मिल गई हैं।  
*कई चोटियाँ 5,500 मीटर से ऊँची हैं।
*कई चोटियाँ 5,500 मीटर से ऊँची हैं।

Revision as of 10:38, 29 June 2013

thumb|250px|देवसई पर्वत देवसई भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में हिमालय पर्वत की एक शृंखला है। देवसई पर्वत जम्मू-कश्मीर राज्य के पश्चिम मध्य हिस्से के पाकिस्तान-अधिकृत क्षेत्र में है। देवसई घाटी पर्वत शृंखलाओं के बीच 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

  • यह शृंखला बुंजी में सिन्धु नदी मोड़ से सुरु नदी (कारचा नदी) तक, जो इस शृंखला को ज़ास्कर शृंखला से अलग करती है, 190 किलोमीटर लम्बी है।
  • देवसई पर्वत खण्ड का मुख्य ढाँचा कैंब्रियन युग से पूर्व (3.96 अरब से 54 करोड़ वर्ष पूर्व) की अवसादी चट्टों का बना है, जिसमें अपेक्षाकृत नई ग्रेनाइट चट्टानें मिल गई हैं।
  • कई चोटियाँ 5,500 मीटर से ऊँची हैं।
  • इसकी ढलाने तीखी एवं तल सपाट हैं और प्राचीन हिमगहवर (हिमनदी क्षरण के कारण पर्वत में बनी गहरी, खड़ी दीवार वाली खाइयाँ) जैसी लगती हैं।
  • देवसई पर्वत का भूभाग ऊबड़-खाबड़ है तथा यहाँ मानव जनसंख्या लगभग नगण्य है।
  • विरल वनस्पतियाँ अस्तित्व के लिए शैलमूषक जैसे कुछ जीवट आल्पीय स्तनधारियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करती हैं।
  • स्कर्दू, जो इस पर्वत की तलहटी पर स्थित कई गाँवों में से एक है, इसके दक्षिण-पश्चिम में बुर्जी दर्रा स्थित है।


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