|
|
Line 47: |
Line 47: |
| -वभ्रुवाहन | | -वभ्रुवाहन |
| || धृष्टद्युम्न [[पांचाल]]-नरेश [[द्रुपद]] का पुत्र था। ये [[द्रौपदी]] का भाई था, जो यज्ञकुण्ड से उत्पन्न हुआ था। [[महाभारत]] के युद्ध में पाण्डव-पक्ष का यही कुमार सेनापति रहा। [[महाभारत]]-युद्ध में उसने [[द्रोणाचार्य]] का वध किया था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[धृष्टद्युम्न]] | | || धृष्टद्युम्न [[पांचाल]]-नरेश [[द्रुपद]] का पुत्र था। ये [[द्रौपदी]] का भाई था, जो यज्ञकुण्ड से उत्पन्न हुआ था। [[महाभारत]] के युद्ध में पाण्डव-पक्ष का यही कुमार सेनापति रहा। [[महाभारत]]-युद्ध में उसने [[द्रोणाचार्य]] का वध किया था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[धृष्टद्युम्न]] |
|
| |
|
| |
|
| {[[महाभारत]] के युद्ध का मुख्य कारण क्या था? | | {[[महाभारत]] के युद्ध का मुख्य कारण क्या था? |
Line 87: |
Line 86: |
| -[[भीम]] | | -[[भीम]] |
| +एक कुत्ता | | +एक कुत्ता |
|
| |
| {[[विराट]] के महल में [[कंक]] किसका नाम था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[सहदेव]]
| |
| +[[युधिष्ठिर]]
| |
| -[[अर्जुन]]
| |
| -[[नकुल]]
| |
| ||[[महाभारत]] में [[पांडव|पांडवों]] के वनवास में एक वर्ष का [[अज्ञात वास]] भी था, जो उन्होंने [[विराट नगर]] में बिताया। [[विराट नगर]] में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने राजा [[विराट]] के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया। [[युधिष्ठिर]] राजा विराट का मनोरंजन करने वाले कंक बने। जिसका अर्थ होता है- [[यमराज]] का वाचक। [[यमराज]] का ही दूसरा नाम धर्म है और वे ही युधिष्ठिर रूप में अवतीर्ण हुए थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कंक]]
| |
|
| |
| {[[महाभारत]] किस वर्ग में आता है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[श्रुतियां-उपवेद और वेदांग|श्रुति]]
| |
| -[[पुराण]]
| |
| +[[स्मृतियाँ|स्मृति]]
| |
| -[[उपनिषद]]
| |
| ||स्मृति' शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक अर्थ में यह वेद-वेदांग से इतर ग्रन्थों, यथा [[पाणिनि]] के [[व्याकरण]], [[श्रौतसूत्र|श्रौत]], [[गृह्यसूत्र]] एवं [[धर्मसूत्र|धर्मसूत्रों]], [[महाभारत]], [[मनु]], [[याज्ञवल्क्य]] एवं अन्य ग्रन्थों से सम्बन्धित है। किन्तु संकीर्ण अर्थ में स्मृति एवं धर्मशास्त्र का अर्थ एक ही है, जैसा कि मनु का कहना है। [[तैत्तिरीय आरण्यक]] में भी 'स्मृति' शब्द आया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्मृतियाँ]]
| |
|
| |
| {[[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] को किसने मारा था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[दुर्योधन]]
| |
| -[[शकुनि]]
| |
| +[[कर्ण]]
| |
| -[[जयद्रथ]]
| |
| ||[[चित्र:karn1.jpg|महाभारत युद्ध में कर्ण की वीरगति|right|100px]][[कर्ण]] ने अपने [[पिता]] [[सूर्य]] के द्वारा [[इन्द्र]] की प्रवंचना का रहस्य जानते हुए भी उनको कुण्डल और कवच दे दिये। इन्द्र ने उसके बदले में एक बार प्रयोग के लिए अपनी अमोघ शक्ति दे दी थी। उससे किसी का वध अवश्यम्भावी था। कर्ण उस शक्ति का प्रयोग [[अर्जुन]] पर करना चाहते थे, किन्तु [[दुर्योधन]] के निर्देश पर उन्होंने उसका प्रयोग [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] पर किया था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्ण]]
| |
|
| |
| {[[हिडिम्बा]] के पति कौन थे?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[हिडिम्ब]]
| |
| +[[भीम]]
| |
| -[[घटोत्कच]]
| |
| -[[बाणासुर]]
| |
| ||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[पांडु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम [[भीम]] अथवा भीमसेन था। [[भीम]] में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था, और वह गदा युद्ध में पारंगत था। [[दुर्योधन]] की ही तरह भीम ने भी गदा युद्ध की शिक्षा श्री [[कृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] से ली थी। [[महाभारत]] में भीम ने ही दुर्योधन और [[दुशासन|दुःशासन]] सहित [[गांधारी]] के सौ पुत्रों को मारा था। [[द्रौपदी]] के अलावा भीम की पत्नी का नाम [[हिडिम्बा]] था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीम]]
| |
|
| |
| {[[व्यास]] की [[माता]] का क्या नाम था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[गार्गी]]
| |
| -मैत्रेयी
| |
| -[[अम्बिका]]
| |
| +[[सत्यवती]]
| |
| ||सत्यवती एक निषाद कन्या थी। [[ऋषि]] [[पराशर]] से इनके एक पुत्र थे, जिनका नाम [[व्यास]] था। ये साँवले [[रंग]] के थे, तथा [[यमुना नदी]] के बीच स्थित एक द्वीप में उत्पन्न हुए थे। अतएव ये साँवले रंग के कारण 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाये। [[सत्यवती]] ने बाद में [[शान्तनु]] से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सत्यवती]]
| |
|
| |
| {[[महाभारत]] युद्ध का सेनापतित्व किसने किया?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[शल्य]] और [[अश्वत्थामा]]
| |
| -[[शल्य]]
| |
| -[[अश्वत्थामा]]
| |
| -[[कृपाचार्य]]
| |
| ||[[शल्य]], मद्रराज महारथी था। [[पांडव|पांडवों]] ने [[माद्री]] के भाई, मामा शल्य को युद्ध में सहायतार्थ आमन्त्रित किया। शल्य अपनी विशाल सेना के साथ पांडवों की ओर जा रहा था। मार्ग में [[दुर्योधन]] ने उन सबका अतिथि-सत्कार कर उन्हें प्रसन्न किया। शल्य ने [[महाभारत]]-युद्ध में सक्रिय भाग लिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शल्य]]
| |
| ||[[अश्वत्थामा]] [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]]
| |
|
| |
| {[[बल्लव]] किसका दूसरा नाम था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[अश्वत्थामा]]
| |
| +[[भीम]]
| |
| -[[कर्ण]]
| |
| -[[नकुल]]
| |
| ||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[महाभारत]] के चौदहवें दिन की रात्रि में भी युद्ध होता रहा। उस रात [[पांडव|पांडवों]] ने [[द्रोण]] पर आक्रमण किया था। युद्ध में भीम ने घूंसों तथा थप्पड़ों से ही [[कलिंग]] राजकुमार, जयरात तथा धृतराष्ट्र-पुत्र दुष्कर्ण और दुर्मद का वध कर दिया। इसके अतिरिक्त भी बाह्लीक, [[दुर्योधन]] के दस भाइयों, शकुनी के पांच भाइयों तथा सात रथियों को भी उसने सहज ही मार डाला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीम]]
| |
|
| |
| {[[शिशुपाल]] का वध किसने किया था?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[कृष्ण]]
| |
| -[[भीम]]
| |
| -[[कर्ण]]
| |
| -[[दुशासन|दुःशासन]]
| |
| ||[[चित्र:Radha-Krishna-1.jpg|right|100px|[[कृष्ण]]]]सनातन धर्म के अनुसार भगवान [[विष्णु]] सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख [[देवता]] हैं। कृष्ण [[हिन्दू धर्म]] में विष्णु के [[अवतार]] माने जाते हैं। श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में [[भारत]] को एक प्रतिभासम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक महान कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका [[गीता]]-ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण]]
| |
|
| |
|
| </quiz> | | </quiz> |