प्रयाग शक्तिपीठ: Difference between revisions
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*अक्षयवट क़िले में कल्याणी- ललिता देवी मंदिर के समीप ही ललितेश्वर महादेव का भी मंदिर है। | *यहाँ तीन मंदिरों को [[शक्तिपीठ]] माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं। | ||
*[[मत्स्यपुराण]] में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहाँ की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है।< | *[[प्रयाग]] में [[सती]] की हस्तांगुली का निपात हुआ है था। | ||
*इलाहाबाद-[[कानपुर]] मार्ग पर इलाहाबाद से 54 किलोमीटर भी आगे [[बौद्ध|बौद्धों]] का पावन [[तीर्थ]] तथा बौद्ध केंद्र-[[कौशांबी]] है। | *माना जाता है कि माता की अंगुलियाँ 'अक्षयवट', 'मीरापुर' और 'अलोपी' स्थानों पर गिरी थीं। | ||
*इस शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' तथा भैरव 'भव' हैं। | |||
*अक्षयवट क़िले में 'कल्याणी-ललिता देवी मंदिर' के समीप ही 'ललितेश्वर महादेव' का भी मंदिर है। | |||
*[[मत्स्यपुराण]] में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहाँ की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है। | |||
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Revision as of 10:05, 26 September 2014
प्रयाग शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
- प्रयाग शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्राचीन नाम 'प्रयाग') में स्थित है।
- इलाहाबाद में इस शक्तिपीठ के स्थानों को लेकर मतान्तर हैं।
- यहाँ तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं।
- प्रयाग में सती की हस्तांगुली का निपात हुआ है था।
- माना जाता है कि माता की अंगुलियाँ 'अक्षयवट', 'मीरापुर' और 'अलोपी' स्थानों पर गिरी थीं।
- इस शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' तथा भैरव 'भव' हैं।
- अक्षयवट क़िले में 'कल्याणी-ललिता देवी मंदिर' के समीप ही 'ललितेश्वर महादेव' का भी मंदिर है।
- मत्स्यपुराण में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहाँ की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है।
प्रयागे ललिता देवी, "नैमिषे लिंगधारिणी[1]
प्रयागे ललितादेवी कामाक्षी गंधमादने[2]
- इलाहाबाद-कानपुर मार्ग पर इलाहाबाद से 54 किलोमीटर भी आगे बौद्धों का पावन तीर्थ तथा बौद्ध केंद्र-कौशांबी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मत्स्यपुराण अध्याय 13
- ↑ श्रीमद् देवीभागवत- 7/30