वन उत्पादकता संस्थान, रांची: Difference between revisions

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#विस्तार कार्यक्रमों का विकास करना तथा अनुसंधान परिणामों को प्रयोगशाला से भूमि तक प्रचारित करना।
#विस्तार कार्यक्रमों का विकास करना तथा अनुसंधान परिणामों को प्रयोगशाला से भूमि तक प्रचारित करना।
#वानिकी अनुसंधान, प्रशिक्षण तथा संबद्ध विज्ञानों के क्षेत्र में परामर्शी सेवाएँ उपलब्ध करवाना।
#वानिकी अनुसंधान, प्रशिक्षण तथा संबद्ध विज्ञानों के क्षेत्र में परामर्शी सेवाएँ उपलब्ध करवाना।
#लाख रोपण का विकास तथा विस्तार करना तथा देश में लाख उत्पादन पर बाजार आंकड़ों का प्रचार करना।
#लाख रोपण का विकास तथा विस्तार करना तथा देश में लाख उत्पादन पर बाज़ार आंकड़ों का प्रचार करना।
#उपर्युक्त क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए संबंधित क्रियाकलापों जो आवश्यक हो को करना।
#उपर्युक्त क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए संबंधित क्रियाकलापों जो आवश्यक हो को करना।
==अनुसंधान केंद्र==
==अनुसंधान केंद्र==

Revision as of 12:59, 1 November 2014

वन उत्पादकता संस्थान एक मुख्य अनुसंधान संस्थान है, जो सिक्किम तथा उत्तरी बंगाल में व्यापक तथा मनोहर पूर्वी हिमालय, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में उपजाऊ जलोढ़ इंडो गंगैटिक मैदानों का फैलाव, विश्व विख्यात सुंदरवन के डैल्टा तथा तटीय मैनग्रोव, बिहार के उत्तर पश्चिमी किनारे में साल वृक्ष के वन का एक छोटा-सा क्षेत्र अपने अधिकार क्षेत्र में समृद्ध तथा मोहक प्राकृतिक संसाधनों की एक परत लिए हुए उष्णकटिबंधों पतझड़ी कैमूर तथा छोटा नागपुर पठार के लिए पूर्वी भारत की वानिकी अनुसंधान की आवश्यकताओं को पूरा करता है।

स्थापना

बिहार, झारखण्ड, सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल, जो लगभग 46,581 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र को घेरता है, जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 17 प्रतिशत है, को सम्मिलित करके संस्थान देश के पूर्वी राज्यों में वानिकी अनुसंधान तथा शिक्षा को संविन्यास, आयोजन, निर्देशन तथा प्रबंधन करने के लिए 1993 में अस्तित्व में आया। क्रियाशील क्षेत्र छः कृषि पारिस्थिकीय क्षेत्र तथा आठ मुख्य वन वर्ग को समाविष्ट करता है।[1]

उद्देश्य तथा मुख्य विषय

संस्थान के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है-

  1. बिहार, झारखण्ड, सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल राज्यों में वानिकी सेक्टर में अनुसंधान, विकास तथा विस्तार को परिचालित, प्रारंभ तथा समन्वित करना।
  2. वनस्पति तथा प्राणी समूह के संसाधनों की उत्पादकता को बढ़ावा, जैवविविधता संरक्षण, विकृत का पारिपुनरूद्धार।
  3. क्षेत्र के लिए विशिष्ट भंगुर पारितंत्र की रक्षा।
  4. वानिकी तथा संबद्ध विज्ञानों पर सूचना विकास तथा रख-रखाव करना।
  5. वनों तथा वन्य प्राणियों से संबंधित सामान्य सूचना तथा क्षेत्रीय विशेष अनुसंधान के लिए एक वितरण केंद्र के रूप में कार्यकरना।
  6. कृषि वानिकी नमूनों का अनुसंधान तथा प्रदर्शन करना।
  7. वन उत्पादकता को सुधारने के लिए मॉडल पौधशाला जननदृव्य बैंक की स्थापना करना तथा उपयुक्त बीज उत्पादन क्षेत्रों को पहचानना।
  8. विस्तार कार्यक्रमों का विकास करना तथा अनुसंधान परिणामों को प्रयोगशाला से भूमि तक प्रचारित करना।
  9. वानिकी अनुसंधान, प्रशिक्षण तथा संबद्ध विज्ञानों के क्षेत्र में परामर्शी सेवाएँ उपलब्ध करवाना।
  10. लाख रोपण का विकास तथा विस्तार करना तथा देश में लाख उत्पादन पर बाज़ार आंकड़ों का प्रचार करना।
  11. उपर्युक्त क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए संबंधित क्रियाकलापों जो आवश्यक हो को करना।

अनुसंधान केंद्र

वन अनुसन्धान केन्द्र, मंदार, रांची

यह अनुसन्धान केन्द्र टिशू कल्चर, मृदा परीक्षण, जैव रसायन प्रयोगशालाओं, धुंध वाले चैम्बरों सहित आधुनिक पौधशाला तकनीकों, कृषि जाल छाया गृहों तथा कम्पोस्टिंग एकक, बीज प्रसंस्करण, पैकेजिंग तथा भण्डारण एकक, 24.32 हेक्टेयर क्षेत्र के रोपण प्रदर्शनीकरण तथा उद्रू/संतति परीक्षण के लिए विस्तृत प्रयोगात्मक क्षेत्र से सुसज्जित है।[1]

पर्यावरणीय अनुसन्धान स्टेशन, सुकना (पश्चिम बंगाल)

यह संस्थान चयनित जलोत्सारण क्षेत्र में डाटा रिकार्डिंग के लिए पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग ज़िले में सोनाडा तथा सुकना हाइड्रो वायुमंडलीय (मौसम संबंधी) रिकार्डिंग सुविधाओं तथा वेधशालाओं से सुसज्जित है।

तकनीकी सेवाएँ

  1. परामर्श तथा प्रशिक्षण
  2. मृदा परीक्षण करना।
  3. कीट तथा रोग नियंत्रण के उपाय करना।
  4. वन विभागों को वृक्ष सुधार क्रियाकलापों पर अनुसंधान में सहयोग करना।
  5. अनुश्रवण एवं मूल्यांकन करना।
  6. संसाधन संरक्षण के उपाय करना।

विस्तार

संस्थान वानिकी विस्तार प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए अनुसंधान को अंत उपभोक्ता से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। विस्तार अधीन क्रियाकलापों का लक्ष्य मुख्य रूप से लोगों को वनों की भूमिका तथा संरक्षण पर प्रेरित तथा शिक्षित करना, समूदायिक भूमि का विकास तथा प्रबंधन, लाख तथा औषधीय पौधों के वैज्ञानिक रोपण तथा वन उत्पादकता को बढ़ाने की आवश्यकता है। लक्ष्य समूहों द्वारा अंगीकार तथा परीक्षित तकनीकों के प्रचार के लिए आदर्श ग्राम तथा वन विज्ञान केंद्रों के स्थापन के लिए प्रयास किए गए हैं।[1]

विकसित तकनीकें

  1. बांस का वृहत फैलाव।
  2. महत्वपूर्ण प्रजातियों की सूक्ष्म फैलाव तकनीकें।
  3. मृदा प्रयोगशाला विश्लेषण तथा कमियों के लिए उपचार।
  4. लाख रोपण के लिए उन्नत तकनीक।
  5. कम्पोस्टिंग/वर्मी कम्पोस्टिंग द्वारा जैविक अपशिष्ट का पुनर्चक्रण।
  6. उच्च तकनीकी पौधशाला में रूट-ट्रेनरों का उपयोग करके गुणवत्ता रोपण सामग्री का उत्पादन।
  7. उच्च तकनीकी पौधशाला में रूट-ट्रेनरों का उपयोग करके गुणवत्ता रोपण सामग्री का उत्पादन।
  8. चयनित औषधीय पादपों की प्रसार तकनीकें।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 वन उत्पादकता संस्थान, राँची (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 सितम्बर, 2013।

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