लालगुड़ी जयरमण: Difference between revisions
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*इन्हें अपनी पत्नी 'राजलक्ष्मी' से दो संतानें प्राप्त हुई थीं। इनके पुत्र जी.जे.आर. कृष्णन तथा पुत्री लालगुड़ी विजयलक्ष्मी भी अपने [[पिता]] की राह पर ही चलते हुए संगीत सेवा कर रहे हैं। | *इन्हें अपनी पत्नी 'राजलक्ष्मी' से दो संतानें प्राप्त हुई थीं। इनके पुत्र जी.जे.आर. कृष्णन तथा पुत्री लालगुड़ी विजयलक्ष्मी भी अपने [[पिता]] की राह पर ही चलते हुए संगीत सेवा कर रहे हैं। |
Revision as of 07:50, 3 January 2016
लालगुड़ी जयरमण
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पूरा नाम | लालगुड़ी जयरमण |
जन्म | 17 सितम्बर |
जन्म भूमि | 1930, तिरुचि ज़िला, तमिलनाडु |
मृत्यु | 22 अप्रैल, 2013 |
पति/पत्नी | राजलक्ष्मी |
संतान | जी.जे.आर. कृष्णन तथा लालगुड़ी विजयलक्ष्मी |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | शास्त्रीय संगीत |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मश्री' (1972), 'पद्मभूषण' (2001) |
प्रसिद्धि | वायलिन वादक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | एक संगीतकार के रूप में लालगुड़ी जयरमण को चार भाषाओं- 'तेलुगू', 'तमिल', 'कन्नड़' और 'संस्कृत' में प्रसिद्धि प्राप्त थी। |
लालगुड़ी जयरमण (अंग्रेज़ी: Lalgudi Jayaraman; जन्म- 17 सितम्बर, 1930, तिरुचि ज़िला, तमिलनाडु; मृत्यु- 22 अप्रैल, 2013) भारत के जाने-माने वायलिन वादक थे। 'तेलुगू', 'तमिल', 'कन्नड़' और 'संस्कृत' के संगीतकार के रूप में उनकी विशेष पहचान थी।
- तमिलनाडु के तिरुचि ज़िले में जन्में लालगुड़ी जयरमण ने संगीत के क्षेत्र में अपनी ख़ास पहचान बनाई थी।
- लालगुड़ी जयरमण ने मात्र 12 वर्ष की आयु में ही अपने संगीत करियर की शुरुआत एक सहायक कलाकार के रूप में की थी।
- इन्हें अपनी पत्नी 'राजलक्ष्मी' से दो संतानें प्राप्त हुई थीं। इनके पुत्र जी.जे.आर. कृष्णन तथा पुत्री लालगुड़ी विजयलक्ष्मी भी अपने पिता की राह पर ही चलते हुए संगीत सेवा कर रहे हैं।
- एक संगीतकार के रूप में लालगुड़ी जयरमण को चार भाषाओं- 'तेलुगू', 'तमिल', 'कन्नड़' और 'संस्कृत' में प्रसिद्धि प्राप्त थी।
- संगीत के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1972 में 'पद्मश्री' से एवं वर्ष 2001 में 'पद्मभूषण' सम्मान से सम्मानित किया गया था।
- 82 वर्ष की आयु में लालगुड़ी जयरमण का निधन 22 अप्रैल, 2013 को हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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