नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 10: Line 10:
|प्रबंधक=
|प्रबंधक=
|निर्माण काल=
|निर्माण काल=
|स्थापना=1988  
|स्थापना=[[1988]]
|भौगोलिक स्थिति=12° 5′ 0″ उत्तर, 76° 15′ 0″ पूर्व
|भौगोलिक स्थिति=12° 5′ 0″ उत्तर, 76° 15′ 0″ पूर्व
|मार्ग स्थिति=
|मार्ग स्थिति=

Latest revision as of 09:52, 27 August 2016

नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान
विवरण 'नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान' कर्नाटक के मैसूर में स्थित है, जो विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह राष्ट्रीय उद्यान उन जगहों में गिना जाता है, जहाँ एशियाई हाथी पाए जाते हैं।
राज्य कर्नाटक
ज़िला कोडगु
स्थापना 1988
भौगोलिक स्थिति 12° 5′ 0″ उत्तर, 76° 15′ 0″ पूर्व
कब जाएँ अप्रैल से अक्तूबर के मध्य
संबंधित लेख कर्नाटक, मैसूर, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान भाषा कन्नड़
अन्य जानकारी नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु पाए जाते हैं। यहाँ आने पर चीता, सांभर, चीतल, हाथी, भालू, जंगली सांड, तेंदुआ, हिरन और तमाम तरह के स्तनपायी जानवरों के अलावा क़रीब 250 प्रजाति के पक्षियों को निहारने का मौका मिलता है।

नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक के मैसूर में स्थित है, जो विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह राष्ट्रीय उद्यान उन जगहों में गिना जाता है, जहाँ एशियाई हाथी पाए जाते हैं। यहाँ हाथियों के बड़े-बड़े झुंड आसानी से दिखाई देते हैं। मानसून से पहले की वर्षा में यहाँ बड़ी संख्या में रंग-बिरंगे पक्षी भी दिखाई देते हैं। प्रकृति से प्रेम करने वाले तथा पशु प्रेमियों के लिए यहाँ देखने और जानने के लिए बहुत कुछ है। नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान भारत के पाँच प्रमुख नेशनल पार्कों में से एक है। इस राष्ट्रीय उद्यान को 'राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान' के नाम से भी जाना जाता है।

स्थापना

इस उद्यान का नामकरण 'नगा' और 'होल' शब्दों को मिलकर हुआ है। 'नगा' से तात्पर्य है 'सांप' और 'होल' का अर्थ है 'नदी' या 'धारा'। इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन 1955 में गेम्स सैंक्चुरी के रूप में हुई थी। सन 1974 में मैसूर के जंगलों को इसमें शामिल कर इसका क्षेत्र बढ़ा दिया गया। वर्ष 1988 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दे दिया गया। thumb|250px|left|उद्यान में हिरनों का समूह

जल की उपलब्धता

इस उद्यान का जल स्त्रोत काफ़ी समृद्ध है, जिसमें कबीनी नदी के अलावा लक्ष्मनतीर्था नदी, सरती होल, नागरहोल, चार बारहमासी धाराएँ, 47 मौसमी धाराएँ, चार छोटी बारहमासी झील, 41 कृत्रिम झील और कबीनी जलाशय आदि शामिल हैं। उद्यान में शांत जंगल, गर्म बुलबुले वाला बहता पानी और मन को मोहने वाली तरह-तरह की झीलें हैं। उद्यान कर्नाटक के कोडागु और मैसूर ज़िले में 643 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह 'बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान' और 'मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान' से सटा हुआ है। नागरहोल और बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान के बीच में कबीनी जलाशय है।

भ्रमण का समय

इस उद्यान के भ्रमण के लिए सबसे अच्छा साधन जीप, हाथी की सफारी और नाव हैं। साथ ही यहाँ पर ट्रैकिंग की भी अच्छी व्यवस्था है। उद्यान में हाथियों को अपने प्राकृतिक निवास और नदी के किनारे मस्ती में घूमते हुए भी देखा जा सकता है। बांधवगढ़ की तरह यहाँ भी चीतों के शिशु आपस में अठखेलियाँ करते मिल जाएंगे। यहाँ आने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्तूबर के मध्य होता है। 250px|thumb|नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान

हरे-भरे घास के मैदान

नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में आता है, इसलिए यहाँ हर तरफ़ घास फैली हुई है। दूर तक फैली हरी-हरी घास आँखों को अद्भुत सुकून देती है। यहाँ का जंगल टीक ओर यूकेलिप्टस के पेड़ों से घिरा हुआ है। इस उद्यान की विशेषता यह है कि तमाम तरह के जानवरों के देखने के लिए दूर-दूर भटकना नहीं पड़ेगा।

जीव-जंतु

इस राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु पाए जाते हैं। यहाँ आने पर चीता, सांभर, चीतल, हाथी, भालू, जंगली सांड, तेंदुआ, हिरन और तमाम तरह के स्तनपायी जानवरों के अलावा क़रीब 250 प्रजाति के पक्षियों को निहारने का मौका मिल सकता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख