महाभारत सामान्य ज्ञान 16: Difference between revisions
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||[[महाभारत]] युद्ध की समाप्ति पर बचे हुए कौरवपक्षीय नर-नारी, जिनमें [[धृतराष्ट्र]] तथा [[गांधारी]] प्रमुख थे तथा [[श्रीकृष्ण]], [[सात्यकि]] और [[पांडव|पांडवों]] सहित [[द्रौपदी]], [[कुन्ती]] तथा [[पांचाल]] विधवाएँ [[कुरुक्षेत्र]] पहुँचे। वहाँ [[युधिष्ठिर]] ने मृत सैनिकों का (चाहे वे शत्रु वर्ग के हों अथवा मित्र वर्ग के) [[अंत्येष्टि संस्कार|दाह-संस्कार]] एवं [[तर्पण (श्राद्ध)|तर्पण]] किया। [[कर्ण]] को याद कर युधिष्ठिर बहुत विचलित हो उठे। | ||[[महाभारत]] युद्ध की समाप्ति पर बचे हुए कौरवपक्षीय नर-नारी, जिनमें [[धृतराष्ट्र]] तथा [[गांधारी]] प्रमुख थे तथा [[श्रीकृष्ण]], [[सात्यकि]] और [[पांडव|पांडवों]] सहित [[द्रौपदी]], [[कुन्ती]] तथा [[पांचाल]] विधवाएँ [[कुरुक्षेत्र]] पहुँचे। वहाँ [[युधिष्ठिर]] ने मृत सैनिकों का (चाहे वे शत्रु वर्ग के हों अथवा मित्र वर्ग के) [[अंत्येष्टि संस्कार|दाह-संस्कार]] एवं [[तर्पण (श्राद्ध)|तर्पण]] किया। [[कर्ण]] को याद कर युधिष्ठिर बहुत विचलित हो उठे। माँ कुंती से बार-बार कहते रहे- "काश, तुमने हमें पहले बता दिया होता कि कर्ण हमारे भाई थे।" अंत में हताश, निराश और दुखी होकर उन्होंने नारी जाति को शाप दिया कि वे भविष्य में कभी भी कोई गुह्य रहस्य नहीं छिपा पायेंगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[युधिष्ठिर]] | ||
{[[द्रौपदी]] के [[पिता]] [[द्रुपद]] का वध किसके हाथों हुआ? | {[[द्रौपदी]] के [[पिता]] [[द्रुपद]] का वध किसके हाथों हुआ? |
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