असद भोपाली का जीवन परिचय: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कविता बघेल (talk | contribs) No edit summary |
कविता बघेल (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 10: | Line 10: | ||
==टीका टिप्पणी और संदंर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदंर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{असद भोपाली विषय सूची}} | {{असद भोपाली विषय सूची}} | ||
{{गीतकार}} | {{गीतकार}} | ||
[[Category:असद भोपाली]][[Category:सिनेमा]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:सिनेमा कोश]] | [[Category:असद भोपाली]][[Category:सिनेमा]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:सिनेमा कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 10:41, 28 July 2017
असद भोपाली का जीवन परिचय
| |
पूरा नाम | असदुल्लाह ख़ान |
प्रसिद्ध नाम | असद भोपाली |
जन्म | 10 जुलाई, 1921 |
जन्म भूमि | भोपाल, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 9 जून, 1990 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | मुंशी अहमद खाँ |
संतान | गालिब असद |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | गीतकार और शायर |
मुख्य फ़िल्में | 'दुनिया', 'अफसाना', 'बरसात', 'पारसमणि', 'आया तूफान', 'मैंने प्यार किया' आदि |
पुरस्कार-उपाधि | फ़िल्मफेयर पुरस्कार, 1990 |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | असद भोपाली ने 40 साल में करीब 100 फ़िल्मों के लिए 400 गीत लिखे। |
असद भोपाली ने फ़िल्मों में अपने कॅरियर की शुरुआत मशहूर फ़िल्म निर्माता फजली ब्रादर्स की फ़िल्म 'दुनिया' से की। इस फ़िल्म में असद भोपाली द्वारा लिखित गीत “अरमान लुटे दिल टूट गया...” बहुत लोकप्रिय भी हुआ था।
परिचय
असद भोपाली का जन्म 10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम असदुल्लाह ख़ान था। उनके पिता मुंशी अहमद खाँ भोपाल के आदरणीय व्यक्तियों में शुमार थे। वे एक शिक्षक थे और बच्चों को अरबी-फारसी पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए असद भी अरबी-फारसी के साथ-साथ उर्दू में भी महारत हासिल कर पाए, जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही। असद अपनी शायरी के चलते धीरे धीरे असद भोपाली के नाम से मशहूर हो गये। उनके पास शब्दों ऐसा का खज़ाना था कि एक ही अर्थ के बेहिसाब शब्द हुआ करते थे। इसलिए उनके जानने वाले संगीतकार उन्हें गीत लिखने की मशीन कहा करते थे।[1] असद की दो पत्नियाँ और नौ बच्चे थे, जिनमें से गालिब असद फ़िल्म उद्योग का हिस्सा हैं।
- जेल यात्रा
असद भोपाली को शायरी का शौक़ किशोरावस्था से ही था। उस दौर में जब कवियों और शायरों ने आज़ादी की लड़ाई में अपनी कलम से योगदान किया था, उस दौर में उन्हें भी अपनी क्रान्तिकारी लेखनी के कारण जेल की हवा खानी पड़ी थी। आज़ादी की लड़ाई में हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें साहित्यकारों की भी भूमिका रही है। असद भोपाली ने एक बुद्धिजीवी के रूप में इस लड़ाई में अपना योगदान किया था। क्रान्तिकारी लेखनी के कारण अँग्रेज़ी सरकार ने उन्हें जेल में बन्द कर दिया था। ये और बात है कि अँग्रेज़ जेलर भी उनकी 'गालिबी' के प्रशंसक हो गये थे। जेल से छूटने के बाद असद मुशायरों में हिस्सा लेते रहे।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदंर्भ
- ↑ असद भोपाली (हिंदी) radioplaybackindia.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2017।
संबंधित लेख