भूमक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''भूमक''' शकों के क्षहरात वंश का प्रथम क्षत्रप था...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
Line 1: Line 1:
'''भूमक''' [[शक|शकों]] के क्षहरात वंश का प्रथम [[क्षत्रप]] था। उसे सम्भवत: [[कुषाण साम्राज्य]] के दक्षिण-पश्चिमी भाग के शासन का भार सौंपा गया था। उसके जो सिक्के प्राप्त हुए हैं, उनके प्रकार तथा उन पर लिखित अभिलेखों से ज्ञात होता है कि भूमक [[नहपान]] का पूर्वगामी था। परंतु दोनों के बीच वास्तविक सम्बन्ध क्या था, यह ज्ञात नहीं है। भूमक के सिक्कों से ज्ञात होता है कि क्षत्रप के राज्य में सिर्फ़ [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]] के प्रचलन वाले क्षेत्र, जैसे- [[मालवा]], [[गुजरात]] तथा [[सौराष्ट्र]] ही नहीं थे, बल्कि पश्चिमी [[राजस्थान]] तथा [[सिन्ध]] के भी क्षेत्र थे, जहाँ [[खरोष्ठी लिपि|खरोष्ठी]] का प्रचलन था।
'''भूमक''' [[शक|शकों]] के क्षहरात वंश का प्रथम [[क्षत्रप]] था। उसे सम्भवत: [[कुषाण साम्राज्य]] के दक्षिण-पश्चिमी भाग के शासन का भार सौंपा गया था। उसके जो सिक्के प्राप्त हुए हैं, उनके प्रकार तथा उन पर लिखित अभिलेखों से ज्ञात होता है कि भूमक [[नहपान]] का पूर्वगामी था। परंतु दोनों के बीच वास्तविक सम्बन्ध क्या था, यह ज्ञात नहीं है। भूमक के सिक्कों से ज्ञात होता है कि क्षत्रप के राज्य में सिर्फ़ [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]] के प्रचलन वाले क्षेत्र, जैसे- [[मालवा]], [[गुजरात]] तथा [[सौराष्ट्र]] ही नहीं थे, बल्कि पश्चिमी [[राजस्थान]] तथा [[सिन्ध]] के भी क्षेत्र थे, जहाँ [[खरोष्ठी लिपि|खरोष्ठी]] का प्रचलन था।
==महान क्षत्रप==
==महान क्षत्रप==
भूमक अपने समय के महान क्षत्रपों में गिना जाता था। उसके बाद नहपान ही 'क्षहरात वंश' का शासक व गद्दी का वास्तविक उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था। [[भारत]] में शक राजा अपने आप को 'क्षत्रप' कहते थे। शक शासकों की भारत में दो शाखाएँ हो गई थीं। एक 'उत्तरी क्षत्रप' कहलाते थे, जो [[तक्षशिला]] एवं [[मथुरा]] में थे और दूसरे 'पश्चिमी क्षत्रप' कहलाते थे, जो [[नासिक]] एवं [[उज्जैन]] के थे। पश्चिमी क्षत्रप अधिक प्रसिद्ध थे। यूची आक्रमणों के भय से कई क्षत्रप ई. पू. पहली शती से ईस्वी की पहली शती के बीच उत्तर पश्चिम से दक्षिण की ओर बढ़ आए थे और नासिक के क्षत्रपों तथा उज्जैन के क्षत्रपों की दो शाखाओं में बँट गए थे। नासिक के क्षत्रपों में दो प्रसिद्ध शासक भूमक और [[नहपान]] थे। वे अपने को 'क्षयरात क्षत्रप' कहते थे। ताँबे के सिक्कों में भूमक ने अपने आपकों क्षत्रप लिखा है।
भूमक अपने समय के महान् क्षत्रपों में गिना जाता था। उसके बाद नहपान ही 'क्षहरात वंश' का शासक व गद्दी का वास्तविक उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था। [[भारत]] में शक राजा अपने आप को 'क्षत्रप' कहते थे। शक शासकों की भारत में दो शाखाएँ हो गई थीं। एक 'उत्तरी क्षत्रप' कहलाते थे, जो [[तक्षशिला]] एवं [[मथुरा]] में थे और दूसरे 'पश्चिमी क्षत्रप' कहलाते थे, जो [[नासिक]] एवं [[उज्जैन]] के थे। पश्चिमी क्षत्रप अधिक प्रसिद्ध थे। यूची आक्रमणों के भय से कई क्षत्रप ई. पू. पहली शती से ईस्वी की पहली शती के बीच उत्तर पश्चिम से दक्षिण की ओर बढ़ आए थे और नासिक के क्षत्रपों तथा उज्जैन के क्षत्रपों की दो शाखाओं में बँट गए थे। नासिक के क्षत्रपों में दो प्रसिद्ध शासक भूमक और [[नहपान]] थे। वे अपने को 'क्षयरात क्षत्रप' कहते थे। ताँबे के सिक्कों में भूमक ने अपने आपकों क्षत्रप लिखा है।
====सिक्के====
====सिक्के====
भूमक के अनेक सिक्के उपलब्ध हुए हैं, जो [[महाराष्ट्र]] और [[काठियावाड़]] से मिले हैं। इससे अनुमान किया जाता है कि महाराष्ट्र और काठियावाड़ दोनों उसके शासन में थे। क्षहरात कुल का सबसे प्रसिद्ध शक क्षत्रप नहपान था। इसके सात उत्कीर्ण लेख और हज़ारों सिक्के उपलब्ध हुए हैं। सम्भवतः यह भूमक का ही उत्तराधिकारी था, पर इसका भूमक के साथ क्या सम्बन्ध था, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। नहपान का राज्य बहुत ही विस्तृत था। यह बात उसके जामाता उषावदात के एक लेख से ज्ञात होती है। इस लेख के कुछ अंश निम्नलिखित हैं-
भूमक के अनेक सिक्के उपलब्ध हुए हैं, जो [[महाराष्ट्र]] और [[काठियावाड़]] से मिले हैं। इससे अनुमान किया जाता है कि महाराष्ट्र और काठियावाड़ दोनों उसके शासन में थे। क्षहरात कुल का सबसे प्रसिद्ध शक क्षत्रप नहपान था। इसके सात उत्कीर्ण लेख और हज़ारों सिक्के उपलब्ध हुए हैं। सम्भवतः यह भूमक का ही उत्तराधिकारी था, पर इसका भूमक के साथ क्या सम्बन्ध था, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। नहपान का राज्य बहुत ही विस्तृत था। यह बात उसके जामाता उषावदात के एक लेख से ज्ञात होती है। इस लेख के कुछ अंश निम्नलिखित हैं-

Latest revision as of 11:27, 1 August 2017

भूमक शकों के क्षहरात वंश का प्रथम क्षत्रप था। उसे सम्भवत: कुषाण साम्राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भाग के शासन का भार सौंपा गया था। उसके जो सिक्के प्राप्त हुए हैं, उनके प्रकार तथा उन पर लिखित अभिलेखों से ज्ञात होता है कि भूमक नहपान का पूर्वगामी था। परंतु दोनों के बीच वास्तविक सम्बन्ध क्या था, यह ज्ञात नहीं है। भूमक के सिक्कों से ज्ञात होता है कि क्षत्रप के राज्य में सिर्फ़ ब्राह्मी के प्रचलन वाले क्षेत्र, जैसे- मालवा, गुजरात तथा सौराष्ट्र ही नहीं थे, बल्कि पश्चिमी राजस्थान तथा सिन्ध के भी क्षेत्र थे, जहाँ खरोष्ठी का प्रचलन था।

महान क्षत्रप

भूमक अपने समय के महान् क्षत्रपों में गिना जाता था। उसके बाद नहपान ही 'क्षहरात वंश' का शासक व गद्दी का वास्तविक उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था। भारत में शक राजा अपने आप को 'क्षत्रप' कहते थे। शक शासकों की भारत में दो शाखाएँ हो गई थीं। एक 'उत्तरी क्षत्रप' कहलाते थे, जो तक्षशिला एवं मथुरा में थे और दूसरे 'पश्चिमी क्षत्रप' कहलाते थे, जो नासिक एवं उज्जैन के थे। पश्चिमी क्षत्रप अधिक प्रसिद्ध थे। यूची आक्रमणों के भय से कई क्षत्रप ई. पू. पहली शती से ईस्वी की पहली शती के बीच उत्तर पश्चिम से दक्षिण की ओर बढ़ आए थे और नासिक के क्षत्रपों तथा उज्जैन के क्षत्रपों की दो शाखाओं में बँट गए थे। नासिक के क्षत्रपों में दो प्रसिद्ध शासक भूमक और नहपान थे। वे अपने को 'क्षयरात क्षत्रप' कहते थे। ताँबे के सिक्कों में भूमक ने अपने आपकों क्षत्रप लिखा है।

सिक्के

भूमक के अनेक सिक्के उपलब्ध हुए हैं, जो महाराष्ट्र और काठियावाड़ से मिले हैं। इससे अनुमान किया जाता है कि महाराष्ट्र और काठियावाड़ दोनों उसके शासन में थे। क्षहरात कुल का सबसे प्रसिद्ध शक क्षत्रप नहपान था। इसके सात उत्कीर्ण लेख और हज़ारों सिक्के उपलब्ध हुए हैं। सम्भवतः यह भूमक का ही उत्तराधिकारी था, पर इसका भूमक के साथ क्या सम्बन्ध था, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। नहपान का राज्य बहुत ही विस्तृत था। यह बात उसके जामाता उषावदात के एक लेख से ज्ञात होती है। इस लेख के कुछ अंश निम्नलिखित हैं-

"सिद्ध हो। राजा क्षहरात क्षत्रप नहपान के जामाता, दीनाक के पुत्र, तीन लाख गौओं का दान करने वाले, बार्णासा (नदी) पर सुवर्णदान करने वाले, देवताओं और ब्राह्मणों को सोलह ग्राम देने वाले, सम्पूर्ण वर्ष ब्राह्मणों को भोजन कराने वाले, पुण्यतीर्थ प्रभास में ब्राह्मणों को आठ भार्याएँ देने वाले, भरुकच्छ दशपुर गोवर्धन और शोर्पारण में चतुःशाल वरुध और प्रतिश्रय देने वाले, आराम, तडाग, उदपान बनवाने वाले, इवा पारातापी करवेणा दाहानुका (नदियों पर) नावों और .....धर्मात्मा उपावदात ने गोवर्धन में त्रिरशिम पर्वत पर यह लेण बनवाई........"

क्षत्रप शाखाएँ

क्षत्रपों की दो शाखाएँ थीं, यथा पश्चिमी क्षत्रप कुल, जिसका प्रवर्तन भूमक ने महाराष्ट्र में किया और उज्जयिनी का महाक्षत्रप कुल, जिसे चष्टन ('चस्टन' अथवा 'सष्टन') ने प्रचलित किया था। इन दोनों कुलों के प्रवर्तक शक आक्रान्ताओं के सरदार थे। पश्चिमी क्षत्रप कुल के आरम्भ की तिथि निश्चित नहीं है। कदाचित उसकी राजधानी नासिक थी और केवल दो शासकों, भूमक और नहपान के ही नाम ज्ञात हैं। दोनों में किसी की भी तिथि निश्चित नहीं है। विद्वानों ने भूमक का काल ईसा की प्रथम शताब्दी का प्रारम्भिक वर्ष माना है और नहपान का काल दूसरी शताब्दी का प्रारम्भिक वर्ष।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख