राणा अमर सिंह: Difference between revisions

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अमर सिंह [[मेवाड़]] का राणा (1596-1620 ई.) था।  
'''अमर सिंह''' [[मेवाड़]] का राणा (1596-1620 ई.) था। वह [[महाराणा प्रताप]] का पुत्र और उनका उत्तराधिकारी था।  
*वह प्रसिद्ध [[राणा प्रताप]] का पुत्र और उत्तराधिकारी था।  
 
*उसने अपनी स्वतंत्रता के लिए बादशाह [[अकबर]] से बहादुरी के साथ युद्ध किया, लेकिन 1599 ई. में वह पराजित हो गया।  
*अपनी स्वतंत्रता के लिए अमर सिंह ने बादशाह [[अकबर]] से बहादुरी के साथ युद्ध किया, लेकिन 1599 ई. में वह पराजित हो गया।  
*वह अकबर की परतंत्रता से अपनी मातृभूमि को बचाने में सफल तो नहीं हुआ, लेकिन उसने 1614 ई. तक [[मुग़ल|मुग़लों]] के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखी। मुग़ल साम्राज्य के बढ़ते हुए दबाव और लगातार विफलता के कारण, उसने बादशाह [[जहाँगीर]] से सम्मापूर्वक संधि कर ली।  
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*जहाँगीर ने मेवाड़ के राणा को मुग़ल दरबार में हाज़िर होने और किसी भी राजकुमारी को मुग़ल हरम में भेजने की अपमानजनक शर्त नहीं रखी।  
*[[मेवाड़]] और मुग़लों के बीच मित्रता के जो सम्बन्ध स्थापित हो गये थे, वे अधिक समय तक नहीं बने रह सके। [[औरंगज़ेब]] के समय में उसकी धार्मिक असहिष्णुता की नीति के कारण वे सम्बंध शीघ्र ही समाप्त हो गये।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=40|url=}}</ref>




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Revision as of 13:07, 21 April 2018

चित्र:Disamb2.jpg अमर सिंह एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अमर सिंह (बहुविकल्पी)

अमर सिंह मेवाड़ का राणा (1596-1620 ई.) था। वह महाराणा प्रताप का पुत्र और उनका उत्तराधिकारी था।

  • अपनी स्वतंत्रता के लिए अमर सिंह ने बादशाह अकबर से बहादुरी के साथ युद्ध किया, लेकिन 1599 ई. में वह पराजित हो गया।
  • अमर सिंह अकबर की परतंत्रता से अपनी मातृभूमि को बचाने में सफल तो नहीं हुआ, लेकिन उसने 1614 ई. तक मुग़लों के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखी।
  • मुग़ल साम्राज्य के बढ़ते हुए दबाव और लगातार विफलता के कारण अमर सिंह ने बादशाह जहाँगीर से सम्मापूर्वक संधि कर ली।
  • जहाँगीर ने मेवाड़ के राणा को मुग़ल दरबार में हाज़िर होने और किसी भी राजकुमारी को मुग़ल हरम में भेजने की अपमानजनक शर्त नहीं रखी।
  • मेवाड़ और मुग़लों के बीच मित्रता के जो सम्बन्ध स्थापित हो गये थे, वे अधिक समय तक नहीं बने रह सके। औरंगज़ेब के समय में उसकी धार्मिक असहिष्णुता की नीति के कारण वे सम्बंध शीघ्र ही समाप्त हो गये।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-13

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 40 |

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