अंग में मांस न जमना: Difference between revisions

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'''अर्थ''' - दुबला पतला रहना। क्षीण रहना।
'''अर्थ''' - दुबला पतला रहना। क्षीण रहना।


'''प्रयोग''' -  वह अपने कमजोर [[मानव शरीर|शरीर]] को लेकर परेशान रहता है। भरपूर पोषक भोजन लेने पर भी उसके '''अंग पर मांस नहीं जम''' रहा है।  
'''प्रयोग''' -  वह अपने कमजोर [[मानव शरीर|शरीर]] को लेकर परेशान रहता है। भरपूर पोषक भोजन लेने पर भी उसके '''अंग पर मांस नहीं जम''' रहा है।
 
;उदाहरण
"नैन न आवै नींदड़ी, अंग न जामै मासु।"<ref>कबीर सागर संग्रह, भाग 1, पृ. 43</ref>


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Revision as of 10:47, 4 January 2020

अंग में मांस न जमना एक प्रचलित हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ - दुबला पतला रहना। क्षीण रहना।

प्रयोग - वह अपने कमजोर शरीर को लेकर परेशान रहता है। भरपूर पोषक भोजन लेने पर भी उसके अंग पर मांस नहीं जम रहा है।

उदाहरण

"नैन न आवै नींदड़ी, अंग न जामै मासु।"[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कबीर सागर संग्रह, भाग 1, पृ. 43

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