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'''अम्लाट''' गार्गीसंहिता के युगपुराणवाले स्कंध में एक शक आक्रमण का उल्लेख है जो मगध पर ल. 35 ई.पू. में हुआ था। इस आक्रमण का नेता शक अम्लाट था। अम्लाट संभवत: शकराज अयस्‌ (ल. 58-11 ई.पू.) का प्रांतीय शासक था और उत्तर पश्चिम के भारतीय सीमा प्रांत से चलकर सीधा मगध तक जा पहुँचा। यह शक आक्रमण इतना प्रबल और भयानक था कि मगध को इसने अपूर्व संकट में डाल दिया। युग पुराण में लिखा है कि अम्लाट ने इतना नरसंहार किया कि मगध में रक्षा करने और हल चलाने के लिए एक पुरुष भी न बचा और हल आदि चलाने का कार्य भी स्त्रियाँ करने लगीं; वही शासन भी करती थीं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=211 |url=}}</ref>  
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*अम्लाट संभवत: शकराज अयस्‌ (लगभग 58-11 ई. पू.) का प्रांतीय शासक था और उत्तर-पश्चिम के भारतीय सीमा प्रांत से चलकर सीधा मगध तक जा पहुँचा।
 
*यह [[शक]] आक्रमण इतना प्रबल और भयानक था कि मगध को इसने अपूर्व संकट में डाल दिया।
*युगपुराण में लिखा है कि 'अम्लाट ने इतना नरसंहार किया कि [[मगध]] में रक्षा करने और हल चलाने के लिए एक पुरुष भी न बचा और हल आदि चलाने का कार्य भी स्त्रियाँ करने लगीं; वही शासन भी करती थीं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=211 |url=}}</ref>  


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Latest revision as of 11:47, 6 December 2020

'गार्गी संहिता' के युगपुराण वाले स्कंध में एक शक आक्रमण का उल्लेख है, जो मगध पर लगभग 35 ई.पू. में हुआ था। इस आक्रमण का नेता शक अम्लाट था।

  • अम्लाट संभवत: शकराज अयस्‌ (लगभग 58-11 ई. पू.) का प्रांतीय शासक था और उत्तर-पश्चिम के भारतीय सीमा प्रांत से चलकर सीधा मगध तक जा पहुँचा।
  • यह शक आक्रमण इतना प्रबल और भयानक था कि मगध को इसने अपूर्व संकट में डाल दिया।
  • युगपुराण में लिखा है कि 'अम्लाट ने इतना नरसंहार किया कि मगध में रक्षा करने और हल चलाने के लिए एक पुरुष भी न बचा और हल आदि चलाने का कार्य भी स्त्रियाँ करने लगीं; वही शासन भी करती थीं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 211 |

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