प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''प्रत्यक्ष लाभ अंतरण''' या '''डीबीटी''' (अंग्रेज़ी: ''Direct...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
'''प्रत्यक्ष लाभ अंतरण''' या '''डीबीटी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Direct Benefit Transfer'' or ''DBT'') [[भारत सरकार]] का नया तंत्र है, जिसके माध्यम से लोगों के बैंक खातों में सीधे धनराशि अंतरित की जाती है।<br />
'''प्रत्यक्ष लाभ अंतरण''' या '''डीबीटी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Direct Benefit Transfer'' or ''DBT'') [[भारत सरकार]] का नया तंत्र है, जिसके माध्यम से लोगों के बैंक खातों में सीधे धनराशि अंतरित की जाती है। डीबीटी का उल्‍लेख पहली बार तत्‍कालीन वित्‍तमंत्री रहे [[प्रणब मुखर्जी]] ने वर्ष [[2011]]-[[2012]] में अपने केन्‍द्रीय बजट भाषण में किया था। उस समय उन्‍होंने कहा था कि सरकार केरोसीन, एलपीजी और उर्वरकों के लिए नकद सब्सिडी का सीधे भुगतान करना चाहती है। इन वस्‍तुओं के लिए सीधे नकद भुगतान करने के तौर-तरीकों पर विचार करने के लिए [[नंदन नीलेकणी]] की अध्‍यक्षता में एक कार्यदल बनाया गया था, जिसने [[फ़रवरी]] [[2012]] में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
<br />
==परिचय==
*डीबीटी का उल्‍लेख पहली बार तत्‍कालीन वित्‍तमंत्री रहे [[प्रणब मुखर्जी]] ने वर्ष [[2011]]-[[2012]] में अपने केन्‍द्रीय बजट भाषण में किया था। उस समय उन्‍होंने कहा था कि सरकार केरोसीन, एलपीजी और उर्वरकों के लिए नकद सब्सिडी का सीधे भुगतान करना चाहती है।
देशभर में पहले चरण के [[लॉकडाउन]] के तुरंत बाद ही केंद्र सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था। वित्तमंत्री [[निर्मला सीतारमण]] ने इस राहत पैकेज में गरीब, मजदूर, वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग, विधवाओं समेत जरूरतमंद लोगों के लिए कई बड़े ऐलान किया। इस राहत पैकेज में वित्तमंत्री ने कुछ ऐसे ऐलान किए, जिसका लाभ 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर' के जरिया दिया जा रहा है। इसके पहले भी केंद्र सरकार ने ऐसे लाभार्थियों को कई योजनाओं का लाभ डीबीटी के जरिए ही देती आ रही है।
*इन वस्‍तुओं के लिए सीधे नकद भुगतान करने के तौर-तरीकों पर विचार करने के लिए [[नंदन नीलेकणी]] की अध्‍यक्षता में एक कार्यदल बनाया गया था, जिसने [[फ़रवरी]] [[2012]] में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
==क्या है डीबीटी==
वर्तमान में केंद्र सरकार कई योजनाओं के तहत सब्सिडी देती है। यह सब्सिडी लाभार्थियों तक या तो उनके खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिया जाता है या फिर उस स्कीम के तहत दिए जाने वाले प्रोडक्ट या सर्विस की कीमत बाजार भाव से कम होती है। इस दूसरे विकल्प के तहत केंद्र सरकार लाभार्थियों के हाथ में पैसे न देकर उनकी तरफ से उस एजेंसी या संस्था को पैसे ट्रांसफर करती है जो प्रोडक्ट या सर्विस इन लाभार्थियों तक कम कीमत में पहुंचा रहे हैं। जब किसी भी योजना के तहत केंद्र सरकार सीधे तौर पर लाभार्थियों के खाते में पैसे ट्रांसफर करती है तो उसे ही 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर' कहा जाता है।
 
डीबीटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी तरह के फ्रॉड की कोई गुंजाईश नहीं रहती है। जब लाभार्थी के खाते में सरकार सीधे तौर पर पैसे ट्रांसफर करती है तो इसमें बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रहती है। इस प्रकार सरकारी योजना का पूरा फायदा लाभा​र्थी को मिल जाता है। इसके लिए लाभा​र्थी के [[आधार कार्ड|आधार नंबर]] की भी जरूरत होती है ताकि सरकार यह सुनिश्चित कर सके कि सही लाभार्थी के पास ही लाभ मिल रहा है या नहीं। चूंकि, आधार [[भारत]] में एक तरह की यूनिवर्सल आईडी है, ऐसे में सरकार को वास्तविक लाभार्थी की पहचान करने में आसानी होती है।
==कैसे काम करता है==
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के अंतर्गत कई तरह की प्रक्रिया होती है, जिसे केंद्र सरकार अपने स्तर पर मैनेज करती है। डीबीटी के तहत योजना का लाभ देने से पहले पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम रजिट्रेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके बाद लाभार्थियों का डेटाबास तैयार किया जाता है। इस डेटाबेस को तैयार करते समय में लाभार्थियों की डिटेल्स को बेहद सटीकता से ​वेरिफाई किया जाता है। डीबीटी तहत कोई भी पेमेंट करते समय फीडबैक लूप का इस्तेमाल किया जाता है।
 
डीबीटी के तहत लाभार्थी के खाते में कई तरह से पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं। सरकार के ट्रेजरी अकांउट से या सरकार द्वारा नियुक्त किए गए किसी एजेंसी के जरिये लाभार्थी के खाते में यह पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम है, जिसके तहत लाभार्थियों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए जाते है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 15:57, 15 May 2021

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या डीबीटी (अंग्रेज़ी: Direct Benefit Transfer or DBT) भारत सरकार का नया तंत्र है, जिसके माध्यम से लोगों के बैंक खातों में सीधे धनराशि अंतरित की जाती है। डीबीटी का उल्‍लेख पहली बार तत्‍कालीन वित्‍तमंत्री रहे प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2011-2012 में अपने केन्‍द्रीय बजट भाषण में किया था। उस समय उन्‍होंने कहा था कि सरकार केरोसीन, एलपीजी और उर्वरकों के लिए नकद सब्सिडी का सीधे भुगतान करना चाहती है। इन वस्‍तुओं के लिए सीधे नकद भुगतान करने के तौर-तरीकों पर विचार करने के लिए नंदन नीलेकणी की अध्‍यक्षता में एक कार्यदल बनाया गया था, जिसने फ़रवरी 2012 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।

परिचय

देशभर में पहले चरण के लॉकडाउन के तुरंत बाद ही केंद्र सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस राहत पैकेज में गरीब, मजदूर, वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग, विधवाओं समेत जरूरतमंद लोगों के लिए कई बड़े ऐलान किया। इस राहत पैकेज में वित्तमंत्री ने कुछ ऐसे ऐलान किए, जिसका लाभ 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर' के जरिया दिया जा रहा है। इसके पहले भी केंद्र सरकार ने ऐसे लाभार्थियों को कई योजनाओं का लाभ डीबीटी के जरिए ही देती आ रही है।

क्या है डीबीटी

वर्तमान में केंद्र सरकार कई योजनाओं के तहत सब्सिडी देती है। यह सब्सिडी लाभार्थियों तक या तो उनके खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिया जाता है या फिर उस स्कीम के तहत दिए जाने वाले प्रोडक्ट या सर्विस की कीमत बाजार भाव से कम होती है। इस दूसरे विकल्प के तहत केंद्र सरकार लाभार्थियों के हाथ में पैसे न देकर उनकी तरफ से उस एजेंसी या संस्था को पैसे ट्रांसफर करती है जो प्रोडक्ट या सर्विस इन लाभार्थियों तक कम कीमत में पहुंचा रहे हैं। जब किसी भी योजना के तहत केंद्र सरकार सीधे तौर पर लाभार्थियों के खाते में पैसे ट्रांसफर करती है तो उसे ही 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर' कहा जाता है।

डीबीटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी तरह के फ्रॉड की कोई गुंजाईश नहीं रहती है। जब लाभार्थी के खाते में सरकार सीधे तौर पर पैसे ट्रांसफर करती है तो इसमें बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रहती है। इस प्रकार सरकारी योजना का पूरा फायदा लाभा​र्थी को मिल जाता है। इसके लिए लाभा​र्थी के आधार नंबर की भी जरूरत होती है ताकि सरकार यह सुनिश्चित कर सके कि सही लाभार्थी के पास ही लाभ मिल रहा है या नहीं। चूंकि, आधार भारत में एक तरह की यूनिवर्सल आईडी है, ऐसे में सरकार को वास्तविक लाभार्थी की पहचान करने में आसानी होती है।

कैसे काम करता है

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के अंतर्गत कई तरह की प्रक्रिया होती है, जिसे केंद्र सरकार अपने स्तर पर मैनेज करती है। डीबीटी के तहत योजना का लाभ देने से पहले पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम रजिट्रेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके बाद लाभार्थियों का डेटाबास तैयार किया जाता है। इस डेटाबेस को तैयार करते समय में लाभार्थियों की डिटेल्स को बेहद सटीकता से ​वेरिफाई किया जाता है। डीबीटी तहत कोई भी पेमेंट करते समय फीडबैक लूप का इस्तेमाल किया जाता है।

डीबीटी के तहत लाभार्थी के खाते में कई तरह से पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं। सरकार के ट्रेजरी अकांउट से या सरकार द्वारा नियुक्त किए गए किसी एजेंसी के जरिये लाभार्थी के खाते में यह पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम है, जिसके तहत लाभार्थियों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए जाते है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख