User:रविन्द्र प्रसाद/2: Difference between revisions
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'''गुप्तकाशी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Guptkashi'') भारतीय राज्य [[उत्तराखंड]] में [[केदारनाथ]] के मार्ग का एक तीर्थ, जो [[मंदाकिनी नदी|मंदाकिनी]] के दांए तट पर स्थित है।<br /> | |||
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*प्राचीन काल में [[शिव|भगवान शिव]] के दर्शनों के लिए ऋषियों ने यहां तप किया था। यहां के शिव मंदिर में अर्धनारीश्वर की सुन्दर मूर्ति है। इसके ऊपर [[गंगा]] और [[यमुना]] नाम की दो जल-धाराएं गिरती हैं। | |||
*गुप्तकाशी के सामने मंदाकिनी नदी के बाई ओर [[उखीमठ|ऊखीमठ]] है। यहां शीतकाल में केदारनाथ की [[पूजा]] होती है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय संस्कृति कोश |लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन= |पृष्ठ संख्या=285|url=|ISBN=}}</ref> | |||
*गुप्तकाशी का [[काशी]] की तरह काफी महत्व है। प्राचीन विश्वनाथ मंदिर, अर्धनारीश्वर मंदिर और मणिकर्णिक कुंड, जहां गंगा और यमुना दो नदियों का मिलना माना जाता है, गुप्तकाशी में मुख्य आकर्षण है।<ref name="pp">{{cite web |url=https://rudraprayag.gov.in/hi/tourist-place/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A5%80/ |title=गुप्तकाशी|accessmonthday=29 जून|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=rudraprayag.gov.in |language=हिंदी}}</ref> | |||
*यह माना जाता है कि [[महाभारत]] की लड़ाई के बाद [[पांडव]] भगवान शिव से मिलना चाहते थे और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन भगवान शिव गुप्काशी से केदारनाथ जाकर छिप गए, क्योंकि वे पांडवों से नहीं मिलना चाहते थे। इसका कारण यह था कि वे सही कारणों के लिए लड़े थे, किन्तु वे अपने वंश को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार थे। | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Revision as of 11:47, 29 June 2021
गुप्तकाशी (अंग्रेज़ी: Guptkashi) भारतीय राज्य उत्तराखंड में केदारनाथ के मार्ग का एक तीर्थ, जो मंदाकिनी के दांए तट पर स्थित है।
- प्राचीन काल में भगवान शिव के दर्शनों के लिए ऋषियों ने यहां तप किया था। यहां के शिव मंदिर में अर्धनारीश्वर की सुन्दर मूर्ति है। इसके ऊपर गंगा और यमुना नाम की दो जल-धाराएं गिरती हैं।
- गुप्तकाशी के सामने मंदाकिनी नदी के बाई ओर ऊखीमठ है। यहां शीतकाल में केदारनाथ की पूजा होती है।[1]
- गुप्तकाशी का काशी की तरह काफी महत्व है। प्राचीन विश्वनाथ मंदिर, अर्धनारीश्वर मंदिर और मणिकर्णिक कुंड, जहां गंगा और यमुना दो नदियों का मिलना माना जाता है, गुप्तकाशी में मुख्य आकर्षण है।[2]
- यह माना जाता है कि महाभारत की लड़ाई के बाद पांडव भगवान शिव से मिलना चाहते थे और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन भगवान शिव गुप्काशी से केदारनाथ जाकर छिप गए, क्योंकि वे पांडवों से नहीं मिलना चाहते थे। इसका कारण यह था कि वे सही कारणों के लिए लड़े थे, किन्तु वे अपने वंश को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार थे।
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