ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह

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[[चित्र:Khwaja-Garib-Nawaz-Dargah.jpg|thumb|250px|ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह, अजमेर
Khwaja Garib Nawaz Dargah, Ajmer]]

  • राजस्थान के शहर अजमेर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से एक ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह है।
  • दरगाह अजमेर शरीफ का भारत में बड़ा महत्त्व है।
  • ख़्वाजा मोइनुद्धीन चिश्ती की दरगाह-ख्वाजा साहब या ख्वाजा शरीफ अजमेर आने वाले सभी धर्मावलम्बियों के लिये एक पवित्र स्थान है।
  • मक्का के बाद सभी मुस्लिम तीर्थ स्थलों में इसका दूसरा स्थान हैं। इसलिये इसे भारत का मक्का भी कहा जाता हैं।
  • इसका निर्माण 13वीं शताब्दी का माना जाता हैं।
  • अपने बेटे सलीम के जन्म के बाद अपना प्रण पूरा करने के लिये अकबर स्वंय पैदल चल कर आगरा से दरगाह पहुँचा था।
  • इसका प्रमाण वे तीन पेंटिग हैं जो मुम्बई के 'प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूज़ियम' में और उत्तर प्रदेश के रामपुर दरबार के पुस्तकालय में रखी हुई हैं।
  • ख़ास बात यह भी है कि ख़्वाजा पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है।
  • यहाँ आने वाले जायरीन चाहे वे किसी भी मज़हब के क्यों न हों, ख़्वाजा के दर पर दस्तक देने ज़रूर आते हैं।
  • यह स्टेशन से 2 किमी़. दूर घनी आबादी के बीच स्थित है।
  • दरगाह में अंदर सफ़ेद संगमरमरी शाहजहांनी मस्जिद, बारीक कारीगरी युक्त बेगमी दालान, जन्नती दरवाज़ा, बुलंद दरवाज़ा ओर 2 अकबरकालीन देग हैं इन देगों में काजू, बादाम, पिस्ता, इलायची, केसर के साथ चावल पकाया जाता है और ग़रीबों में बाँटा जाता है।
  • ख़्वाजा साहब की पुण्य तिथि पर प्रतिवर्ष रज्जब के पहले दिन से छठे दिन तक यहाँ उर्स का आयोजन किया जाता हैं।
  • दरगाह का मुख्य धरातल सफ़ेद संगमरमर का बना हुआ है।
  • इसके ऊपर एक आकर्षक गुम्बद हैं जिस पर सुनहरा कलश हैं।
  • मज़ार पर मखमल की गिलाफ़ चढी हुई हैं।
  • इसके चारों ओर परिक्रमा के स्थान पर चांदी के कटघरे बने हुए हैं।


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