निष्फल प्रेम -रांगेय राघव

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निष्फल प्रेम -रांगेय राघव
लेखक शेक्सपियर
अनुवादक रांगेय राघव
प्रकाशक राजपाल एंड संस
ISBN 81-7028-359-0
देश भारत
पृष्ठ: 136
भाषा हिन्दी
प्रकार नाटक

निष्फल प्रेम हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार रांगेय राघव द्वारा एक अनुवादित नाटक है। यह नाटक शेक्सपियर के एक प्रसिद्ध नाटक का हिन्दी अनुवाद है। 'निष्फल प्रेम' नामक रचना को शेक्सपियर ने सुखान्त नाटक के रूप में लिखा था। इसका कारण था कि इसमें व्यंग्य और हास्य की प्रधानता है, किन्तु वैसे यह सुखान्त नाटक नहीं है। रांगेय राघव ने शेक्सपियर के दस नाटकों का हिन्दी अनुवाद किया था, जो सीरीज़ में पाठकों को उपलब्ध कराये गये हैं। इस नाटक का प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' द्वारा किया गया था।

शेक्सपियर ने लगभग 36 नाटक लिखे हैं, जिनमें कविताएँ अलग से हैं। उसके कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं- जूलियस सीज़र, ऑथेलो, मैकबेथ, हैमलेट, सम्राट् लियर, रोमियो जूलियट, वेनिस का सौदागर, बारहवीं रात, तिल का ताड़[1] और तूफ़ान आदि। इनके अतिरिक्त ऐतिहासिक नाटक तथा प्रहसन भी हैं। प्रायः उसके सभी नाटक प्रसिद्ध हैं। शेक्सपियर ने मानव-जीवन की शाश्वत भावनाओं को बड़े ही कुशल कलाकार की भाँति चित्रित किया है। उसके पात्र आज भी जीवित दिखाई देते हैं। जिस भाषा में शेक्सपियर के नाटकों का अनुवाद नहीं है, वह उन्नत भाषाओं में कभी नहीं गिनी जा सकतीं।[2]

भूमिका

'निष्फल प्रेम' नामक रचना को शेक्सपियर ने कॉमेडी (सुखान्त) नाटक के रूप में लिखा था। इसका कारण था कि इसमें व्यंग्य और हास्य की प्रधानता है, किन्तु वैसे यह सुखान्त नाटक नहीं है। यह तो गीतात्मक फन्तासिया माना गया है। इस नाटक का रचनाकाल सन्देह से पूर्ण है। 1588 से 1596 के बीच यह किसी समय लिखा गया था, किन्तु अपनी शैली के दृष्टिकोण के आधार पर यह शेक्सपियर की एक प्रारम्भिक रचना है। इसमें रीतिकाव्य की भाँति शब्द चमत्कार इतना अधिक है कि भावपक्ष के दृष्टिकोण से यह एक बहुत ही साधारण नाटक है। इसमें मजा़क से अधिक व्यंग्य है और अन्त में हमें एक प्रकार का नीतिपरक परिणाम प्राप्त होता है, किन्तु पात्र कोई भी हाथ नहीं आता। जिस उदात्त भावगरिमा का नाम शेक्सपियर है, वह तो यहाँ नहीं है, किन्तु एक बात अवश्य यहाँ भी है कि स्त्री और पुरुष के पारस्परिक सम्बन्धों की समानता पर यहाँ लेखक ने ज़ोर दिया है। इसलिए यह नाटक अपना महत्त्व रखता है। शेक्सपियर ने कल्पनालोक को व्यापक प्रयास देने की चेष्टा की है, किन्तु वह उसमें सफल नहीं हो सका है, क्योंकि उसने जिस शैली को पकडा है, वह बहुत पैनी नहीं है और न ही गहरी। ‘एक स्वप्न’ में उसने जो सौन्दर्य दिया है, वह यहाँ नहीं है और न वह सफल प्रकृति-चित्रण ही है।[2]

रांगेय राघव के अनुसार

रांगेय राघव के अनुसार कुछ ऐसी बातें हैं, जिनका अर्थ हमारे समाज में अपना कोई महत्व नहीं रखता, जैसे हमारे यहाँ तो भारतीय परम्परा में ‘सींग’ का महत्त्व नहीं, परन्तु यूरोप में व्यभिचारिणी स्त्री के सिर पर सींग होना एक प्रचलित मज़ाक माना जाता था। और इस नाटक में इस बात का आवश्यकता से अधिक उल्लेख है। पाश्चात्य संगीत के क्षेत्र से भी भारतीय पाठक का परिचय नहीं है। इसलिए ही जहाँ तक वर्णन का विषय है, वह बहुत उत्कृष्ट कोटि का नहीं हुआ है। फिर भी मध्य काल को देखते हुए कवि ने समाज के उन लोगों पर गहरी चोट की है, जो विलास में डूबे रहकर भी विद्वत्ता का ढोंग करते हुए दार्शनिक बनते थे। पाण्डित्य पर तो शेक्सपियर ने बहुत ही कड़ा हमला किया है, और उनकी शास्त्रीयता का खोखलापन दिखाया है। नारी के प्रति शेक्सपियर की दृष्टि यहाँ काफ़ी सन्तुलित है, और उसने स्त्री के आत्म-सम्मान की रक्षा की है। हम कह सकते हैं कि शेक्सपियर ने अपनी रचनाओं में अपने को अपने पात्रों के माध्यम से ही व्यक्त किया है।

यह शेक्सपियर की एक मौलिक रचना है, क्योंकि इसका कोई स्रोत नहीं मिला है। इस नाटक का अनुवाद करना किसी हिन्दी के रीतिकालीन कवि की रचना का अनुवाद करने से भी अधिक कठिन कार्य प्रमाणित हुआ। इसमें मानवीय सार्वभौम भावपक्ष तो कम है, लैटिन और अंग्रेज़ी का शब्द-चातुर्य ही नहीं, स्थानीय रीति-रिवाज और सन्दर्भ भी इतने संश्लिष्ट हैं कि अनुवाद में हिन्दी के पाठक को रस आना कठिन है। हमने फिर भी बड़े ही श्रम से उसका निर्वाह करने की चेष्टा की है, और जहाँ असम्भव-सा लगा है, भावार्थ करके नीचे मूल को समझाया है। कभी-कभी मुझे लगा है कि मैंने अनुवाद तो कर दिया है, किन्तु यदि यह नाटक खेला जाएगा तो उस समय फुटनोट के अभाव में भारतीय दर्शक इसे कैसे समझ सकेगा? किन्तु ऐसे स्थल बहुत थोड़े हैं और यदि अभिनय के समय हटा दिए जाएँ तो हानि नहीं होगी, क्योंकि उन उक्तिचातुर्य प्रदर्शन के भागों में कथात्मकता नहीं है। उक्तिचातुर्य में कवि ने अश्लीलता को भी नहीं छोड़ा है। जहाँ तक बन सका है मैंने उसे बुझा देने की ही चेष्टा की है। शेक्सपियर का वास्तविक परिचय पाने के लिए अन्य नाटकों के साथ इस रचना का भी अध्ययन करना साहित्य के विद्यार्थी के लिए अत्यन्त ही आवश्यक है।[2]


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (मच एडू अबाउट नथिंग)
  2. 2.0 2.1 2.2 निष्फल प्रेम (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 31 जनवरी, 2013।

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