सेमल वृक्ष

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सेमल वृक्ष उन पेड़-पौधों में से एक है, जिनका उपयोग मनुष्य काफ़ी लम्बे समय से विभिन्न प्रकार के लाभ अर्जित करने के लिए करता रहा है। इस वृक्ष से अनेक प्रकार के लाभ मनुष्य और पशु-पक्षियों को प्राप्त हैं। जंगलों व गाँवों के आस-पास कुदरती रूप से उगने वाले सेमल के वृक्ष आय का जरिया भी बनते हैं। सेमल के वृक्ष को कई लोग 'सेमर' भी कहते हैं। पाँच पंखुड़ियों वाले सेमल के लाल फूल आकार में सामान्य फूलों से कहीं ज़्यादा बड़े होते हैं। इसके फूलों की बाज़ार में भारी माँग है। फल के पकने पर जो बीज निकलते हैं, उन बीजों से रूई निकलती है, जो मुलायम व सफ़ेद रंग की होती है।

वैज्ञानिक तथ्य

संस्कृत में सेमल वृक्ष का नाम 'शाल्मली' है। इसका वैज्ञानिक नाम 'बामवेक्स सेइबा' है, जबकि सामान्य रूप से इसे अंग्रेज़ी में 'काँटन ट्री' के नाम से भी पुकारा जाता है। इसका यह नाम सेमल के सूखे फलों के अंदर पाए जाने वाले उन बेहद मुलायम रेशों के कारण पड़ा है, जो दिखने में कपास या रूई की तरह होते हैं। इस उष्णकटिबंधीय वृक्ष का सीधा उर्ध्वाधर तना होता है। इसकी पत्तियाँ डेशिडुअस होतीं हैं। इसके लाल पुष्प की पाँच पंखुड़ियाँ होतीं हैं। ये वसंत ऋतु के पहले ही आ जातीं हैं। इसका फल एक कैपसूल जैसा होता है। फल पकने पर श्वेत रंग के रेशे, कुछ कुछ कपास की तरह के निकालते हैं। इसके तने पर एक इंच तक के मजबूत कांटे भरे होते हैं। सेमल की लकड़ी इमारती काम के लिए प्रयोग नहीं होती।


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