आओ कि कोई ख़्वाब बुनें -साहिर लुधियानवी
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आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संगीन=कठिन; दौर=समय; ता-उम्र=सारी उम्र
- ↑ तेज़-गाम=तेज़ चलने वाली
- ↑ मेराज-ए-फ़न=कला की उँचाई तक पहुँचना; कमाल-ए-सुख़न=बेहतरीन कविता
- ↑ तहज़ीब-ए-ज़िन्दगी=जीने की कला; फ़रोग़-ए-वतन=देश का विकास; ज़िन्दाँ=जीवन; कूचा-ए-दार-ओ-रसन=फ़ाँसी तक जाने वाला रस्ता
- ↑ अमल=साकार करना; असास= नींव; हयात=जीवन; दस्त-ए-तह-ए-सन्ग=पत्थर के नीचे हाथ दब जाना
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