ललित ललाम

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ललित ललाम रीति काल के प्रसिद्ध कवि मतिराम द्वारा रचित ग्रंथ है। मतिराम बूँदी, राजस्थान के महाराव भावसिंह के यहाँ बहुत समय तक रहे और उन्हीं के आश्रय में अपना 'ललित ललाम' नामक अलंकार ग्रंथ संवत 1716 और 1745 के बीच किसी समय रचा।

  • 'रसराज' और 'ललित ललाम' मतिराम के ये दो ग्रंथ बहुत प्रसिद्ध हैं, क्योंकि रस और अलंकार की शिक्षा में इनका उपयोग होता आया है। अपने विषय के ये अनुपम ग्रंथ हैं।
  • मतिराम का 'रसराज' तो अति उत्तम ग्रंथ है। 'ललित ललाम' में भी अलंकारों के उदाहरण बहुत सरस और स्पष्ट हैं। इसी सरसता और स्पष्टता के कारण ये दोनों ग्रंथ इतने सर्वप्रिय रहे हैं।
  • 'ललित ललाम' मतिराम जी का तीसरा ग्रथ है। इस ग्रंथ में लक्षण चंद्रालोक, कुवलयानंद नामक संस्कृत ग्रंथों के आधार पर हैं, पर उदाहरण अपने हैं। इसमें रसराज के भी कुछ छंद आए हैं।
  • यद्यपि मतिराम के सभी ग्रंथ महत्वपूर्ण हैं, फिर भी सबसे अधिक महत्वपूर्ण 'सतसई', 'रसराज' और 'ललित ललाम' हैं।


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