सामवेद

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 04:49, 5 March 2010 by आदित्य चौधरी (talk | contribs) (Text replace - '[[category' to '[[Category')
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search


सामवेद / Samveda

  • सामवेद से तात्पर्य है कि वह ग्रन्थ जिसके मन्त्र गाये जा सकते हैं और जो संगीतमय हों।
  • यज्ञ, अनुष्ठान और हवन के समय ये मन्त्र गाये जाते हैं।
  • सामवेद में मूल रूप से 99 मन्त्र हैं और शेष ॠग्वेद से लिये गये हैं।
  • इसमें यज्ञानुष्ठान के उद्गातृवर्ग के उपयोगी मन्त्रों का संकलन है।
  • इसका नाम सामवेद इसलिये पड़ा है कि इसमें गायन-पद्धति के निश्चित मन्त्र ही हैं।
  • इसके अधिकांश मन्त्र ॠग्वेद में उपलब्ध होते हैं, कुछ मन्त्र स्वतन्त्र भी हैं।
  • सामवेद में ॠग्वेद की कुछ ॠचाएं आकलित है।
  • वेद के उद्गाता, गायन करने वाले जो कि सामग (साम गान करने वाले) कहलाते थे। उन्होंने वेदगान में केवल तीन स्वरों के प्रयोग का उल्लेख किया है जो उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित कहलाते हैं।
  • सामगान व्यावहारिक संगीत था। उसका विस्तृत विवरण उपलब्ध नहीं हैं।
  • वैदिक काल में बहुविध वाद्य यंत्रों का उल्लेख मिलता है जिनमें से
  1. तंतु वाद्यों में कन्नड़ वीणा, कर्करी और वीणा,
  2. घन वाद्य यंत्र के अंतर्गत दुंदुभि, आडंबर,
  3. वनस्पति तथा सुषिर यंत्र के अंतर्गतः तुरभ, नादी तथा
  4. बंकुरा आदि यंत्र विशेष उल्लेखनीय हैं।

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः