ऐंग्र ज़ाँ ओगुस्त दोमिनिक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:39, 18 July 2018 by यशी चौधरी (talk | contribs) (''''ऐंग्र ज़ाँ ओगुस्त दोमिनिक''' (1780-1867), प्रसिद्ध फ्रांस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

ऐंग्र ज़ाँ ओगुस्त दोमिनिक (1780-1867), प्रसिद्ध फ्रांसीसी चित्रकार। वह मोतोबाँ में जन्मा और 16 साल की उम्र में चित्रकारों के स्वप्न के देश पेरिस पहुँचा। वहाँ उसने चार वर्ष के अथक परिश्रम से अपनी कलाप्रतिभा का विकास किया और 21 वर्ष की उम्र में उसने अपनी प्रसिद्ध कृति 'एकिलिज़ के दरबार में अगामेम्नन रे राजदूत' द्वारा बड़ा यश कमाया। फ्रांस का तत्कालीन सर्वमान्य पुरस्कार 'ग्राँ प्रीस उसके इसी चित्र पर मिला। उसके बाद उसने फ्रांस और इटली में चित्र तो अनेक बनाए पर उसकी ख्याति कुछ विशेष बढ़ी नहीं। वह असाधारण मेधा का मौलिक कलाकार था पर क्लासिकल शैली के अतीतसेवी विशेषज्ञों ने उसे विद्रोही कहकर उसकी उपेक्षा की। बल्कि देलाक्वा आदि नई रोमैंटिक शैली के कलाकारों ने, जिनकी शैली का वह परम विरोधी था, उसकी प्रतिभा पहचानी और सिद्धांतों में अंतर होते हुए भी उन्होंने उसे उचित मान दिया। उसकी निर्धनता और भी उसके आड़े आई और उसका जीवन अत्यंत कठिन और कटु हो गया।[1]

पर उसकी कलाकारिता की विजय हुई और 1825 से उसकी ख्याति के साथ-साथ उसकी आय भी बढ़ी। उसे प्रतिष्ठा के अनेक पद मिले। फ्रेंच 'इंस्टिट्यूट' का तो वह सदस्य ही चुना जा चुका था, अब वह रोम के 'इकाल द फ्ऱांस' का निदेशक भी हो गया। ऐंग्र 88 वर्ष की परिपक्व आयु में मरा जब उस वृद्धावस्था में भी उसकी सारी शक्तियाँ और इंद्रियाँ सक्रिय और उसके वश में थीं। उसकी कला की विशेषता रंग में नहीं, रूप और रेखा में है। उसी दृष्टि से वह रोमैंटिकों का विरोधी और गोगैं, पुवी, देगा तथा धनवादियों का आराध्य बन गया। वैसे तो उसकी कृतियाँ अनेक देशों के सार्वजनिक और निजी संग्रहालयों में हैं पर उसकी सर्वोत्तम कृतियों का एक विशिष्ट संग्रह जन्म के कस्बे मोतोबाँ में है। उसने भित्ति, कैन्वस और प्रतिकृति चित्रण सभी किए हैं और सभी दशाओं में उसने सबल अंकन का परिचय दिया। उसका रेखाचित्र 'ग्राँद ओदालिस्क' अपूर्व शक्तिमय है। वैसे ही उसके चित्र 'आर्क की जोन', 'उद्गम', 'ईसा और डाक्टर', 'बर्तिनेनी' आदि अपने क्षेत्र में अनुपम हैं।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 263 |
  2. सं.ग्रं.-एच. लापोज़ : आंग्र सावी एल्सों ध्रव, 1911; इंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः