Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 15"

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-[[औरंगज़ेब]]
 
-[[औरंगज़ेब]]
||[[चित्र:Jahangir.jpg|right|100px|जहाँगीर]][[मुग़ल]] बादशाह 'जहाँगीर' का जन्म [[30 अगस्त]], सन 1569 को [[फ़तेहपुर सीकरी]] में हुआ था। अपने आरंभिक जीवन में वह शराबी और आवारा शाहज़ादे के रूप में बदनाम था। उसके [[पिता]] बादशाह [[अकबर]] ने उसकी बुरी आदतें छुड़ाने की बड़ी चेष्टा की, किंतु उसे सफलता नहीं मिली। इसीलिए समस्त सुखों के होते हुए भी वह अपने बिगड़े हुए बेटे के कारण जीवन-पर्यंत दुखी रहा। अंतत: अकबर की मृत्यु के पश्चात [[जहाँगीर]] ही मुग़ल सम्राट बना। उस समय उसकी आयु 36 वर्ष की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
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||[[चित्र:Jahangir.jpg|right|100px|जहाँगीर]][[मुग़ल]] बादशाह 'जहाँगीर' का जन्म [[30 अगस्त]], सन 1569 को [[फ़तेहपुर सीकरी]] में हुआ था। अपने आरंभिक जीवन में वह शराबी और आवारा शाहज़ादे के रूप में बदनाम था। उसके [[पिता]] बादशाह [[अकबर]] ने उसकी बुरी आदतें छुड़ाने की बड़ी चेष्टा की, किंतु उसे सफलता नहीं मिली। इसीलिए समस्त सुखों के होते हुए भी वह अपने बिगड़े हुए बेटे के कारण जीवन-पर्यंत दुखी रहा। अंतत: अकबर की मृत्यु के पश्चात् [[जहाँगीर]] ही मुग़ल सम्राट बना। उस समय उसकी आयु 36 वर्ष थी। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
 
   
 
   
 
{[[वैष्णव सम्प्रदाय|वैष्णव मत]] किन शासकों के संरक्षण में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा?
 
{[[वैष्णव सम्प्रदाय|वैष्णव मत]] किन शासकों के संरक्षण में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा?
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-[[शुंग]]
 
-[[शुंग]]
 
+[[गुप्त वंश|गुप्त]]
 
+[[गुप्त वंश|गुप्त]]
||[[गुप्त साम्राज्य]] को 'ब्राह्मण धर्म' व [[हिन्दू धर्म]] के पुनरुत्थान का समय माना जाता है। हिन्दू धर्म विकास यात्रा के इस चरण में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए, जैसे- मूर्तिपूजा हिन्दू धर्म का सामान्य लक्षण बन गई। [[यज्ञ]] का स्थान उपासना ने ले लिया एवं [[गुप्त काल]] में ही [[वैष्णव]] एवं [[शैव धर्म]] के मध्य समन्वय स्थापित हुआ। ईश्वर की [[भक्ति]] अधिक महत्त्व दिया जाने लगा। तत्कालीन महत्त्वपूर्ण सम्प्रदाय के रूप में [[वैष्णव सम्प्रदाय]] एवं [[शैव सम्प्रदाय]] अत्यधिक प्रचलन में थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त वंश|गुप्त]]
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||[[गुप्त साम्राज्य]] को 'ब्राह्मण धर्म' व [[हिन्दू धर्म]] के पुनरुत्थान का समय माना जाता है। हिन्दू धर्म विकास यात्रा के इस चरण में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए, जैसे- मूर्तिपूजा हिन्दू धर्म का सामान्य लक्षण बन गई। [[यज्ञ]] का स्थान उपासना ने ले लिया एवं [[गुप्त काल]] में ही [[वैष्णव]] एवं [[शैव धर्म]] के मध्य समन्वय स्थापित हुआ। ईश्वर की [[भक्ति]] अधिक महत्त्व दिया जाने लगा। तत्कालीन महत्त्वपूर्ण सम्प्रदाय के रूप में [[वैष्णव सम्प्रदाय]] एवं [[शैव सम्प्रदाय]] अत्यधिक प्रचलन में थे। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त वंश|गुप्त]]
  
 
{[[जैन]] परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने [[तीर्थंकर]] हुए हैं?
 
{[[जैन]] परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने [[तीर्थंकर]] हुए हैं?
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||[[चित्र:Jainism-Symbol.jpg|right|80px|जैन धर्म का प्रतीक]][[जैन धर्म]] [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला, जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म। जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों ने अपने-अपने समय में धर्म मार्ग से च्युत हो रहे जनसमुदाय को संबोधित किया और उसे धर्ममार्ग में लगाया। इसी से इन्हें 'धर्ममार्ग-मोक्षमार्ग का नेता' और 'तीर्थ प्रवर्त्तक' अर्थात '[[तीर्थंकर]]' कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]]
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||[[चित्र:Jainism-Symbol.jpg|right|80px|जैन धर्म का प्रतीक]][[जैन धर्म]] [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला, जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात् 'जिन' भगवान् का धर्म। जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों ने अपने-अपने समय में धर्म मार्ग से च्युत हो रहे जनसमुदाय को संबोधित किया और उसे धर्ममार्ग में लगाया। इसी से इन्हें 'धर्ममार्ग-मोक्षमार्ग का नेता' और 'तीर्थ प्रवर्त्तक' अर्थात् '[[तीर्थंकर]]' कहा गया है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]]
  
 
{निम्नलिखित में से किस [[मुग़ल]] बादशाह ने [[राजा राममोहन राय]] को दूत बनाकर [[लंदन]] भेजा था?
 
{निम्नलिखित में से किस [[मुग़ल]] बादशाह ने [[राजा राममोहन राय]] को दूत बनाकर [[लंदन]] भेजा था?
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-[[शाहआलम द्वितीय]]
 
-[[शाहआलम द्वितीय]]
 
+[[अकबर द्वितीय]]  
 
+[[अकबर द्वितीय]]  
-बहादुरशाह द्वितीय
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-[[बहादुरशाह द्वितीय]]
||'अकबर द्वितीय' [[मुग़ल वंश]] का 18वाँ बादशाह था। वह [[शाहआलम द्वितीय]] का पुत्र और उसने 1806-1837 ई. तक राज किया। [[लॉर्ड हेस्टिंग्स]] ने [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] की ओर से [[मुग़ल]] बादशाह को दी जाने वाली सहायता आदि की नज़रबन्दी कर दी थी। इस पर अकबर द्वितीय ने [[राजा राममोहन राय|राममोहन राय]] को 'राजा' की उपाधि प्रदान की तथा उनसे [[इंग्लैंण्ड]] जाकर बादशाह की पेंशन बढ़ाने की सिफ़ारिश करने का आग्रह किया। इंग्लैंण्ड में ही 1833 ई. में राजा राममोहन राय की बिस्टल में मृत्यु हो गयी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर द्वितीय]]
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||'अकबर द्वितीय' [[मुग़ल वंश]] का 18वाँ बादशाह था। वह [[शाहआलम द्वितीय]] का पुत्र और उसने 1806-1837 ई. तक राज किया। [[लॉर्ड हेस्टिंग्स]] ने [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] की ओर से [[मुग़ल]] बादशाह को दी जाने वाली सहायता आदि की नज़रबन्दी कर दी थी। इस पर अकबर द्वितीय ने [[राजा राममोहन राय|राममोहन राय]] को 'राजा' की उपाधि प्रदान की तथा उनसे [[इंग्लैंण्ड]] जाकर बादशाह की पेंशन बढ़ाने की सिफ़ारिश करने का आग्रह किया। इंग्लैंण्ड में ही 1833 ई. में राजा राममोहन राय की बिस्टल में मृत्यु हो गयी। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर द्वितीय]]
  
 
{'वैज्ञानिक समाज' की स्थापना किसने की थी?
 
{'वैज्ञानिक समाज' की स्थापना किसने की थी?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-विल्टन कम्पनी ने
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-विल्टन कम्पनी
-[[लॉर्ड कॉर्नवॉलिस]] ने
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-[[लॉर्ड कॉर्नवॉलिस]]
+[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने
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+[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]]
 
-इनमें से कोई नहीं
 
-इनमें से कोई नहीं
||[[चित्र:Sir-Syed-Ahmed-Khan.jpg|right|100px|सर सैयद अहमद ख़ाँ]]'सर सैयद अहमद ख़ाँ' ऐसे महान [[मुस्लिम]] समाज सुधारक और भविष्यदृष्टा थे, जिन्होंने शिक्षा के लिए जीवन भर प्रयास किया। सैयद अहमद ख़ाँ ने लोगों को पारंपरिक शिक्षा के स्थान पर आधुनिक ज्ञान हासिल करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने [[क़ुरान]] पर आधुनिक व्याख्या के कई खंड लिखने के लिए भी समय निकाला। अपनी इन कृतियों में उन्होंने इस्लामी मत का समकालीन वैज्ञानिक तथा राजनीतिक प्रगतिशील विचारों से सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया। 'वैज्ञानिक समाज' की स्थापना भी [[1864]] ई. में [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने की तथा [[1875]] ई. में '[[अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज]]' की स्थापना की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]]
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||[[चित्र:Sir-Syed-Ahmed-Khan.jpg|right|100px|सर सैयद अहमद ख़ाँ]]'सर सैयद अहमद ख़ाँ' ऐसे महान् [[मुस्लिम]] समाज सुधारक और भविष्यद्रष्टाथे, जिन्होंने शिक्षा के लिए जीवन भर प्रयास किया। सैयद अहमद ख़ाँ ने लोगों को पारंपरिक शिक्षा के स्थान पर आधुनिक ज्ञान हासिल करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने [[क़ुरान]] पर आधुनिक व्याख्या के कई खंड लिखने के लिए भी समय निकाला। अपनी इन कृतियों में उन्होंने इस्लामी मत का समकालीन वैज्ञानिक तथा राजनीतिक प्रगतिशील विचारों से सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया। 'वैज्ञानिक समाज' की स्थापना भी [[1864]] ई. में [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने की तथा [[1875]] ई. में '[[अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज]]' की स्थापना की। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]]
 
 
{'कोपेनहेगन संग्रहालय' की सामग्री से पाषाण, कांस्य और लौहयुग का त्रियुगीय विभाजन किया था-
 
|type="()"}
 
+थॉमसन ने
 
-लुब्बाक ने
 
-टेलर ने
 
-चाइल्ड ने
 
 
 
{निम्नलिखित में से [[ऋग्वेद]] की किन नदियों का उल्लेख [[अफ़ग़ानिस्तान]] के साथ [[आर्य|आर्यों]] के सम्बन्ध का सूचक है?
 
|type="()"}
 
-[[असिक्नी नदी|असिक्नी]]
 
-[[परुष्णी नदी|परुष्नी]]
 
+[[कुभा]] ([[काबुल नदी|काबुल]]), क्रम (कुर्रम)
 
-विपाश, सुतुद्रि
 
||[[काबुल नदी]] [[अफ़ग़ानिस्तान]] में बहने वाली प्रमुख नदी है। वैदिक काल में इस नदी को 'कुभा' तथा प्राचीन समय में 'कोफेसा' नाम से जाना जाता था। यह नदी '[[हिन्दूकुश पर्वत]]' की 'संगलाख श्रेणी' में स्थित उनाई दर्रे के पास से निकलती है। अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी [[काबुल]] इसी नदी की घाटी में स्थित है। अपने आख़िरी बिन्दु पर काबुल नदी स्वात और बारा नदियों के [[जल]] को लाकर [[अटक]] के समीप [[सिन्धु नदी]] में मिल जाती है। यह नदी नौका चालन के लिए बहुत ही उपयुक्त है। इसकी घाटी की [[मिट्टी]] भी बहुत उपजाऊ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[काबुल नदी]]
 
 
 
{[[बुद्ध]] का अंकन किसके सिक्कों पर हुआ है?
 
|type="()"}
 
-[[विम कडफ़ाइसिस]]
 
+[[कनिष्क]]
 
-[[नहपान]]
 
-[[बुद्धगुप्त]]
 
||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|right|100px|कनिष्क का सिक्का]]'कनिष्क' के बहुत से सिक्के वर्तमान समय में उपलब्ध होते हैं। इन पर [[यवन]], जरथुस्त्री और भारतीय सभी तरह के देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ अंकित हैं। [[ईरान]] के 'अग्नि' (आतश), 'चन्द्र' (माह) और 'सूर्य' (मिहिर), ग्रीक [[देवता]] हेलिय, प्राचीन एलम की देवी नाना, [[भारत]] के [[शिव]], स्कन्द, [[वायु देव|वायु]] और [[बुद्ध]]- ये सब देवता उसके सिक्कों पर नाम या चित्र के द्वारा विद्यमान हैं। इससे यह सूचित है, कि [[कनिष्क]] सब धर्मों का समान आदर करता था और सबके देवी-देवताओं को सम्मान की दृष्टि से देखता था। इसका यह कारण भी हो सकता है, कि कनिष्क के विशाल साम्राज्य में विविध धर्मों के अनुयायी विभिन्न लोगों का निवास था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कनिष्क]]
 
 
 
{[[माउण्ट आबू]] का जैन मन्दिर किससे बना है?
 
|type="()"}
 
-बलुए पत्थर से
 
-ग्रेनाइट से
 
-चूना पत्थर से
 
+संगमरमर से
 
 
 
{'यापनीय' किसका सम्प्रदाय था?
 
|type="()"}
 
-[[बौद्ध धर्म]] का
 
+[[जैन धर्म]] का
 
-[[शैव धर्म]] का
 
-[[वैष्णव धर्म]] का
 
||[[चित्र:Gomateswara.jpg|right|100px|गोमतेश्वर की प्रतिमा, श्रवणबेलगोला]]प्राचीन समय से ही [[जैन धर्म]] का प्रचार-प्रसार [[भारत]] में होने लगा था। जैन धर्म के सातवें [[तीर्थंकर]] [[सुपार्श्वनाथ]] का विहार [[मथुरा]] में हुआ था। अनेक विहार-स्थल पर कुबेरा देवी द्वारा जो [[स्तूप]] बनाया गया था, वह जैन धर्म के इतिहास में बड़ा प्रसिद्ध रहा है। चौदहवें तीर्थंकर [[अनंतनाथ]] का स्मारक तीर्थ भी मथुरा में [[यमुना नदी]] के तट पर था। बाईसवें तीर्थंकर [[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]] को जैन धर्म में [[कृष्ण]] के समकालीन और उनका चचेरा भाई माना जाता है। इस प्रकार जैन धर्मग्रंथों की प्राचीन अनुश्रुतियों में [[ब्रज]] के प्राचीनतम इतिहास के अनेक सूत्र मिलते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]]
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
|}
 
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
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{{Review-G}}

Latest revision as of 14:12, 15 February 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

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1 'ana' sikke ka prachalan kis mugal samrat ne karavaya?

akabar
shahajahaan
jahaangir
aurangazeb

2 vaishnav mat kin shasakoan ke sanrakshan mean apane charamotkarsh par pahuancha?

maury
kushan
shuang
gupt

3 jain parampara ke anusar jain dharm mean kul kitane tirthankar hue haian?

25
20
24
23

4 nimnalikhit mean se kis mugal badashah ne raja ramamohan ray ko doot banakar landan bheja tha?

alamagir dvitiy
shahalam dvitiy
akabar dvitiy
bahadurashah dvitiy

5 'vaijnanik samaj' ki sthapana kisane ki thi?

viltan kampani
l aaurd k aaurnav aaulis
sar saiyad ahamad khaan
inamean se koee nahian

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan