Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 23"

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{[[हर्षवर्धन|हर्ष]] के दरबारी लेखक [[बाणभट्ट]] की कृतियों में कौन उनसे सम्बद्ध नहीं है?
+
{[[दक्षिण भारत]] में किस [[चोल साम्राज्य|चोल]] शासक ने अपनी सर्वश्रेष्ठता स्थापित की?  
|type="()"}
 
-[[हर्षचरित]]
 
-[[कादम्बरी]]
 
-[[रामचरित मानस]]
 
+[[मालविकाग्निमित्रम्]]
 
 
 
{[[वातापी कर्नाटक|वातापि]] अथवा [[बादामी]] के [[चालुक्य वंश]] का संस्थापक कौन था?
 
|type="()"}
 
+जयसिंह
 
-[[पुलकेशी प्रथम]]
 
-[[रणराग]]
 
-कीर्तिवर्मन प्रथम
 
 
 
{[[पल्लव]] किसके सामंत थे?
 
|type="()"}
 
-[[चोल|चोलों]] के
 
-[[चालुक्य राजवंश|चालुक्यों]] के
 
+[[सातवाहन|सातवाहनों]] के
 
-[[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूटों]] के
 
||सातवाहन [[भारत]] का एक राजवंश था। जिसने केन्द्रीय दक्षिण [[भारत]] पर शासन किया। भारतीय परिवार, जो [[पुराण|पुराणों]] (प्राचीन धार्मिक तथा किंवदंतियों का साहित्य) पर आधारित कुछ व्याख्याओं के अनुसार, आंध्र जाति (जनजाति) का था और दक्षिणापथ अर्थात दक्षिणी क्षेत्र में साम्राज्य की स्थापना करने वाला यह पहला दक्कनी वंश था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सातवाहन वंश]]
 
 
 
{दक्षिण [[भारत]] में किस [[चोल साम्राज्य|चोल]] शासक ने अपनी सर्वश्रेष्ठता स्थापित की?  
 
 
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-[[विजयालय]] ने  
 
-[[विजयालय]] ने  
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-[[राजराज प्रथम]] ने  
 
-[[राजराज प्रथम]] ने  
 
+[[परान्तक प्रथम]] ने
 
+[[परान्तक प्रथम]] ने
||जिस समय परान्तक सुदूर दक्षिण के युद्ध में व्याप्त था, कांची के पल्लव कुल ने अपने लुप्त गौरव की पुनः प्रतिष्ठा का प्रयत्न किया। पर चोलराज ने उसे बुरी तरह से कुचल डाला और भविष्य में पल्लवों ने फिर कभी अपने उत्कर्ष का प्रयत्न नहीं किया। परान्तक ने राजसिंह की संयुक्त सेना को पराजित कर 'मदुरैकोण्ड' की उपाधि धारण की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[परान्तक प्रथम]]
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||जिस समय परान्तक सुदूर दक्षिण के युद्ध में व्याप्त था, [[कांची]] के पल्लव कुल ने अपने लुप्त गौरव की पुनः प्रतिष्ठा का प्रयत्न किया। पर चोलराज ने उसे बुरी तरह से कुचल डाला और भविष्य में पल्लवों ने फिर कभी अपने उत्कर्ष का प्रयत्न नहीं किया। परान्तक ने राजसिंह की संयुक्त सेना को पराजित कर 'मदुरैकोण्ड' की उपाधि धारण की। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[परान्तक प्रथम]]
  
 
{[[दिल्ली सल्तनत]] की स्थापना कब हुई?
 
{[[दिल्ली सल्तनत]] की स्थापना कब हुई?
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-आत्महत्या द्वारा
 
-आत्महत्या द्वारा
  
{[[महमूद ग़ज़नवी]] के दरबार में रहते हुए किस विद्वान ने प्रसिद्ध ग्रंथ 'शाहनामा' की रचना की?
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{[[महमूद ग़ज़नवी]] के दरबार में रहते हुए किस विद्वान् ने प्रसिद्ध ग्रंथ '[[शाहनामा]]' की रचना की?
 
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-फ़ारुखी
 
-फ़ारुखी
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-[[शाहजहाँ]]
 
-[[शाहजहाँ]]
 
-[[शहज़ादा दानियाल|दानियाल]]
 
-[[शहज़ादा दानियाल|दानियाल]]
||[[18 मई]], 1637 ई. को [[फ़ारस]] के राजघराने की 'दिलरास बानो बेगम' के साथ [[औरंगज़ेब]] का निकाह हुआ। 1636 ई. से 1644 ई. एवं 1652 ई. से 1657 ई. तक औरंगज़ेब [[गुजरात]] (1645 ई.), मुल्तान (1640 ई.) एवं [[सिंध]] का भी गर्वनर रहा। [[आगरा]] पर क़ब्ज़ा कर जल्दबाजी में औरंगज़ेब ने अपना राज्याभिषक "अबुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुजफ्फर औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर" की उपाधि से [[31 जुलाई]], 1658 ई. को [[दिल्ली]] में करवाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगज़ेब]]
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||[[18 मई]], 1637 ई. को [[फ़ारस]] के राजघराने की 'दिलरास बानो बेगम' के साथ [[औरंगज़ेब]] का निकाह हुआ। 1636 ई. से 1644 ई. एवं 1652 ई. से 1657 ई. तक औरंगज़ेब [[गुजरात]] (1645 ई.), मुल्तान (1640 ई.) एवं [[सिंध]] का भी गर्वनर रहा। [[आगरा]] पर क़ब्ज़ा कर जल्दबाज़ी में औरंगज़ेब ने अपना राज्याभिषक "अबुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुजफ्फर औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर" की उपाधि से [[31 जुलाई]], 1658 ई. को [[दिल्ली]] में करवाया। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[औरंगज़ेब]]
 
 
{[[पृथ्वीराज चौहान]] के विरुद्ध लड़ने के लिए किस [[राजपूत]] शासक ने [[मुहम्मद ग़ोरी]] को आमंत्रित किया?
 
|type="()"}
 
-जयपाल
 
-मूलराज
 
+[[जयचन्द्र]]
 
-[[महिपाल]]
 
||[[कन्नौज]] का राजा [[जयचन्द्र]] [[पृथ्वीराज चौहान]] की वृद्धि के कारण उससे ईर्ष्या करने लगा था। वह उसका विद्वेषी हो गया था। उन युद्धों से पहिले पृथ्वीराज कई [[हिन्दू]] राजाओं से लड़ाइयाँ कर चुका था। [[चन्देल वंश|चंदेल]] राजाओं को पराजित करने में उसे अपने कई विख्यात सेनानायकों और वीरों को खोना पड़ा था। जयचंद्र के साथ होने वाले संघर्ष में भी उसके बहुत से वीरों की हानि हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयचन्द्र]]
 
 
 
{सुल्तान चुने जाने के समय [[इल्तुतमिश]] [[भारत]] में किस प्रांत का गवर्नर था?
 
|type="()"}
 
-लखनौती
 
+[[बदायूँ]]
 
-[[सिंध]]
 
-[[जालौर]]
 
||बदायूँ, [[उत्तर प्रदेश]] का एक महत्त्वपूर्ण ज़िला है। यह [[गंगा]] की सहायक नदी स्त्रोत के समीप स्थित है। 11वीं शती के एक अभिलेख में, जो [[बदायूँ]] से प्राप्त हुआ है, इस नगर का तत्कालीन नाम 'वोदामयूता' कहा गया है। इस लेख से ज्ञात होता है कि उस समय बदायूँ में [[पांचाल]] देश की राजधानी थी।।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बदायूँ]]
 
 
 
{[[दिल्ली सल्तनत]] का पहला शासक कौन था, जिसने [[दिल्ली]] को अपनी राजधानी बनाया?
 
|type="()"}
 
-आलमशाह
 
-[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]
 
+[[इल्तुतमिश]]
 
-[[रजिया सुल्तान]]
 
||[[चित्र:Iltutmish-Tomb-Qutab-Minar.jpg|इल्तुतमिश का मक़बरा, क़ुतुब मीनार|100px|right]]अकस्मात् मुत्यु के कारण [[कुतुबद्दीन ऐबक]] अपने किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः [[लाहौर]] के तुर्क अधिकारियों ने कुतुबद्दीन ऐबक के विवादित पुत्र [[आरामशाह]] को लाहौर की गद्दी पर बैठाया, परन्तु [[दिल्ली]] के तुर्को सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश, जो उस समय [[बदायूँ]] का सूबेदार था, को दिल्ली आमंत्रित कर राज्यसिंहासन पर बैठाया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इल्तुतमिश]]
 
 
 
{[[रजिया सुल्तान]] का विरोध कर रहे तुर्की अमीरों के दल का नेता कौन था?
 
|type="()"}
 
-मलिक ईनुद्दीन कबीर ख़ाँ अयाज
 
+विजामुल मुल्क जुनैदी
 
-मलिक अलीउद्दीन कूची
 
-मलिक सैफुद्दीन कूची
 
 
 
{[[20 जुलाई]], 1296 को [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने अपने चाचा [[जलालुद्दीन ख़िलजी]] का वध कहाँ पर किया?
 
|type="()"}
 
+[[कड़ा]] में
 
-चंदेरी में
 
-[[देवगिरि]] में
 
-[[दिल्ली]] में
 
||[[उत्तर प्रदेश]] में [[इलाहाबाद]] से 40 मील की दूरी पर [[कड़ा]] अवस्थित है। [[जलालुद्दीन ख़िलजी]] के शासनकाल (1290-96 ई.) में [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] कड़ा का सूबेदार था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कड़ा]]
 
 
 
{किस शासक ने स्वयं को 'ख़लीफ़ा' घोषित किया?
 
|type="()"}
 
-[[नासिरुद्दीन खुशरवशाह]]
 
+[[कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी|मुबारक ख़िलजी]]
 
-[[अलाउद्दीन ख़िलजी]]
 
-[[बलबन]]
 
||मुबारक ख़िलजी ने ‘अल इमाम’, ‘उल इमाम’ एवं ‘खिलाफ़त-उल्लाह’ की उपाधियाँ धारण की थीं। उसने खिलाफ़त के प्रति [[भक्ति]] को हटाकर अपने को ‘[[इस्लाम धर्म]] का सर्वोच्च प्रधान’ और ‘स्वर्ण तथा पृथ्वी के अधिपति का 'ख़लीफ़ा घोषित किया था। साथ ही उसने ‘अलवसिक विल्लाह’ की धर्म की प्रधान उपाधि भी धारण धारण की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी|मुबारक ख़िलजी]]
 
 
 
{मक़बरा निर्माण शैली का जन्मदाता किसे माना जाता है?
 
|type="()"}
 
-[[बलबन]]
 
-[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]
 
+[[इल्तुतमिश]]
 
-[[रजिया सुल्तान]]
 
||1225 में [[इल्तुतमिश]] ने [[बंगाल]] में स्वतन्त्र शासक 'हिसामुद्दीन इवाज' के विरुद्ध अभियान छेड़ा। इवाज ने बिना युद्ध के ही उसकी अधीनता में शासन करना स्वीकार कर लिया, पर इल्तुतमिश के पुनः [[दिल्ली]] लौटते ही उसने फिर से विद्रोह कर दिया। इस बार इल्तुतमिश के पुत्र [[नसीरूद्दीन महमूद]] ने 1226 ई. में लगभग उसे पराजित कर लखनौती पर अधिकार कर लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:[[इल्तुतमिश]]
 
 
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
+
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

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1 dakshin bharat mean kis chol shasak ne apani sarvashreshthata sthapit ki?

vijayalay ne
adity pratham ne
rajaraj pratham ne
parantak pratham ne

2 dilli saltanat ki sthapana kab huee?

1194
1206
1208
1210

3 kutubuddin aibak ki mrityu kis tarah huee?

bimari se
yuddh karate hue
gho de se girakar
atmahatya dvara

4 mahamood gazanavi ke darabar mean rahate hue kis vidvanh ne prasiddh granth 'shahanama' ki rachana ki?

farukhi
firadausi
toosi
alabarooni

5 mugal vansh ka chhathavaan shasak kaun tha?

jahaangir
aurangazeb
shahajahaan
daniyal

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan