Difference between revisions of "कहावत लोकोक्ति मुहावरे-क"

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{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे2}}
 
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{| class="bharattable-pink"
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!कहावत लोकोक्ति मुहावरे
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! style="width:30%"| कहावत लोकोक्ति मुहावरे
!अर्थ
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!style="width:70%"| अर्थ
 
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| style="width:30%"|
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| 1- ककड़ी-खीरा समझना।
1- काग घोंसला मारिये, मसि भींजत परिहार।<br />
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| अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
जाट जरुरी मारिये , घुट्नन चलत खंगार॥
 
| style="width:70%"|
 
अर्थ - कौआ, परिहार, जाट और खंगार ये चारों चतुर और चालक दुश्मन होते हैं। अगर इनसे दुश्मनी हो जाए तो कौए को उसके घोंसले में, राजपूत को मूंछ निकलने से पहले , जाट को जब भी अवसर मिले और खंगार(जाति) को जब वह बच्चा हो,घुटनों चलता हो, तब ही मार देना चाहिए अन्यथा देर हो जाएगी।
 
 
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|2- कहे कबीर जमाना छानियाँ,<br />
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| 2- कच्चा चिट्ठा खोलना।
भक्त ना देखे सुनार बानियाँ।
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| अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
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अर्थ - कबीरदास जी कहते हैं कि पूरी दुनिया देख ली पर सुनार और बनिया लोग कभी भक्त नहीं होते।
 
 
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|3- काठ की हंडी बार बार नहीं चढ़ती।
+
| 3- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती।
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| अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही  मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।
अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही  मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।
 
 
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|4- कंगाली में आटा गीला।
 
|4- कंगाली में आटा गीला।
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| अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना।
अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना।
 
 
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|5- कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता।
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|5- कंधे से कंधा छिलना।
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| अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
अर्थ - स्वयं को अक्लमंद समझने वाला किसी को कुछ नहीं मानता।
 
 
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|6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।
 
|6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।
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+
| अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।  
अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।  
 
 
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|7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।।
 
|7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।।
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| अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए।  
अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए।  
 
 
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|8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।।
 
|8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।।
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| अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात् वह धान उपजता है।
अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात वह धान उपजता है।
 
 
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|9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
 
|9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
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| अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
 
 
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|10- कंगाली में आटा गीला।
 
|10- कंगाली में आटा गीला।
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| अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।
अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।
 
 
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|11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती।
 
|11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती।
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| अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।
अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।
 
 
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|12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है।
 
|12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है।
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+
| अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।
अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।
 
 
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|13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा।
 
|13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा।
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| अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
 
 
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|14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी।
 
|14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी।
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| अर्थ - उलटी बात करना।
अर्थ - उलटी बात करना।
 
 
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|15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है ।
 
|15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है ।
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| अर्थ - मरणासन्न ।
अर्थ - मरणासन्न ।
 
 
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|16- कभी  दिन बड़े कभी रात।
 
|16- कभी  दिन बड़े कभी रात।
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| अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।
अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।
 
 
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|17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर।
 
|17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर।
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| अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।
अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।
 
 
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|18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता।
 
|18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता।
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| अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
 
 
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|19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती।
 
|19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती।
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| अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
 
 
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|20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
 
|20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
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| अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
 
 
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|21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया।
 
|21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया।
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|अर्थ -   
अर्थ -   
 
 
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|22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े।
 
|22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े।
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| अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम ख़राब होता रहता है।
अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम खराब होता रहता है।
 
 
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|23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम।
 
|23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम।
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| अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
 
 
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|24- कर सेवा तो खा मेवा।
 
|24- कर सेवा तो खा मेवा।
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| अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।
अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।
 
 
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|25- करे कोई भरे कोई।
 
|25- करे कोई भरे कोई।
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| अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।
अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।
 
 
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|26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला।
 
|26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला।
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| अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।
अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।
 
 
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|27- कल किसने देखा है।
 
|27- कल किसने देखा है।
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| अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।
अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।
 
 
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|28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है।
 
|28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है।
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| अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।
अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।
 
 
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|29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता।
 
|29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता।
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| अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।
अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।
 
 
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|30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय।
 
|30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय।
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| अर्थ - उच्च  कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।
अर्थ - उच्च  कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।
 
 
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|31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
 
|31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
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| अर्थ - बेमेल चीज़ें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।
अर्थ - बेमेल चीजें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।
 
 
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|32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है।
 
|32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है।
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| अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।
अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।
 
 
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|33- कहें खेत की, सुने खलिहान की।
 
|33- कहें खेत की, सुने खलिहान की।
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| अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।
अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।
 
 
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|34-  [[काग़ज़]] की नाव नहीं चलती।
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|34-  काग़ज़ की नाव नहीं चलती।
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| अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।
अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।
 
 
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|35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय,<br />
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|35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय, एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।
एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।
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| अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।
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अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।
 
 
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|36- काज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से।
+
|36- क़ाज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से।
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| अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।
अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।
 
 
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|37- काठ की हाँडी एक  ही बार चढ़ती है।
 
|37- काठ की हाँडी एक  ही बार चढ़ती है।
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| अर्थ - धोखेबाज़ी हर बार नहीं चल सकती है।
अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है।
 
 
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|38- कान में तेल डाले बैठे हैं।
 
|38- कान में तेल डाले बैठे हैं।
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| अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं।
अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं।
 
 
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|39- काम  का ना काज का , दुश्मन अनाज का।
 
|39- काम  का ना काज का , दुश्मन अनाज का।
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| अर्थ - निकम्मा  आदमी।
अर्थ - निकम्मा  आदमी।
 
 
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|40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते।
 
|40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते।
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| अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
 
 
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|41- काम को काम सिखाता है।
 
|41- काम को काम सिखाता है।
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| अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।
अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।
 
 
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|42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,<br />
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|42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान, काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।
+
| अर्थ - मृत्यु सब को आती है।
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अर्थ - मृत्यु सब को आती है।
 
 
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|43- काला अक्षर भैंस बराबर।
 
|43- काला अक्षर भैंस बराबर।
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+
| अर्थ - पढ़ा  लिखा ना होना।
अर्थ - पढ़ा  लिखा ना होना।
 
 
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|44- काली के ब्याह को सौ जोखो।
 
|44- काली के ब्याह को सौ जोखो।
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+
| अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
 
 
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|45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।
 
|45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।
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| अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
 
 
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|46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।
 
|46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।
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| अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात् नगण्य है।
अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है।
 
 
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|47- किसी का घर जले कोई तापे।
 
|47- किसी का घर जले कोई तापे।
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+
| अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।
अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।
 
 
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|48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता।
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|48- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।
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| अर्थ - कंजूस होना।
अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता।
 
 
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|49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।
 
|49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।
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| अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
 
 
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|50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे।
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|50- कौए उड़ाना।
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| अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।
अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ?
 
 
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|51-  कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।
 
|51-  कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।
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+
| अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
 
 
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|-
 
|52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।
 
|52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।
|
+
| अर्थ - लाख प्रयत्न  करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
अर्थ - लाख प्रयत्न  करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
 
 
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|53- कुत्ते को घी नहीं पचता।
 
|53- कुत्ते को घी नहीं पचता।
|
+
| अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
 
 
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|54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।
 
|54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।
|
+
| अर्थ - महापुरुष  नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
अर्थ - महापुरुष  नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
 
 
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|55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।
+
|55- कोल्हू का बैल।
|
+
| अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।
अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है।
 
 
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|56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।
 
|56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।
|
+
| अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
 
 
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|57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।
 
|57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।
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+
| अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
 
 
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|-
 
|58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।
 
|58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।
|
+
| अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है।
अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है।
 
 
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|59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।
 
|59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।
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+
| अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
 
 
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|60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।
 
|60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।
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+
| अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।  
अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।  
 
 
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|61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।
 
|61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।
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| अर्थ -  बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
अर्थ -  बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
 
 
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|62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर।
 
|62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर।
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+
| अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।  
अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।  
 
 
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|63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।
 
|63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।
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+
| अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
 
 
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|64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
 
|64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
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| अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
 
 
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|65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।
 
|65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।
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| अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
 
 
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|66- का वर्षा जब कृषि सुखानी।
 
|66- का वर्षा जब कृषि सुखानी।
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| अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।  
अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।  
 
 
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|67- कच्ची गोली नहीं खेलना।
 
|67- कच्ची गोली नहीं खेलना।
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| अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना।
अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना।
 
 
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|68- कट जाना।
 
|68- कट जाना।
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| अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
 
 
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|69- कटे पर नमक छिड़कना।
 
|69- कटे पर नमक छिड़कना।
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| अर्थ -  दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
अर्थ -  दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
 
 
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|70- कढ़ी का सा उबाल।
 
|70- कढ़ी का सा उबाल।
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| अर्थ - मामूली से जोश में आना।
अर्थ - मामूली से जोश में आना।
 
 
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|71- क़दम उखड़ना।
 
|71- क़दम उखड़ना।
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| अर्थ - भाग खड़े होना।  
अर्थ - भाग खड़े होना।  
 
 
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|72- कन्नी काटना।
+
|72- [[कन्नी काटना]]।
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+
| अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना, किसी का सामना न करना, उससे दूर ही दूर रहना।
अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।
 
 
|-
 
|-
 
|73- कमर कसना।
 
|73- कमर कसना।
|
+
| अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।  
अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|74- कलम का धनी।
 
|74- कलम का धनी।
|
+
| अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।  
अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|75- कलम तोड़ना।
 
|75- कलम तोड़ना।
|
+
| अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।  
अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।  
 
 
|-
 
|-
 
|76- कली खिलना।
 
|76- कली खिलना।
|
+
| अर्थ - बहुत खुश होना।
अर्थ - बहुत खुश होना।
 
 
|-
 
|-
 
|77- कलेजा ठंडा होना।
 
|77- कलेजा ठंडा होना।
|
+
| अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।  
अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।  
 
 
|-
 
|-
 
|78- कलेजा धक से रह जाना।
 
|78- कलेजा धक से रह जाना।
|
+
| अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।  
अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|79- कलेजा मुँह को आना।
 
|79- कलेजा मुँह को आना।
|
+
| अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।  
अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|80- कलेजा का टुकड़ा।
 
|80- कलेजा का टुकड़ा।
|
+
| अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।  
अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|81- कलेजे पर साँप लोटना।
 
|81- कलेजे पर साँप लोटना।
|
+
| अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।  
अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|82- कहा-सुनी होना।
 
|82- कहा-सुनी होना।
|
+
| अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।  
अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|83- काँटा दूर होना।
 
|83- काँटा दूर होना।
|
+
| अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।  
अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|84- काँटे बिछाना।
 
|84- काँटे बिछाना।
|
+
| अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
 
 
|-
 
|-
 
|85- काँटों पर लेटना।
 
|85- काँटों पर लेटना।
|
+
| अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।  
अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|86- काँटों पर घसीटना।
 
|86- काँटों पर घसीटना।
|
+
| अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।  
अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।  
 
 
|-
 
|-
 
|87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना।
 
|87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना।
|
+
| अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।  
अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।  
 
 
|-
 
|-
 
|88- काजल की कोठरी।
 
|88- काजल की कोठरी।
|
+
| अर्थ - कलंक लगने का स्थान।  
अर्थ - कलंक लगने का स्थान।  
 
 
|-
 
|-
 
|89- काठ का उल्लू।
 
|89- काठ का उल्लू।
|
+
| अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।  
अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|90- काठ मार जाना।
 
|90- काठ मार जाना।
|
+
| अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।  
अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|91- कान कतरना।
 
|91- कान कतरना।
|
+
| अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।  
अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|92- कान खड़े होना।
 
|92- कान खड़े होना।
|
+
| अर्थ -  चौकन्ना होना।  
अर्थ -  चौकन्ना होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|93- कान खोलना।
 
|93- कान खोलना।
|
+
| अर्थ -  सावधान कर देना।
अर्थ -  सावधान कर देना।
 
 
|-
 
|-
 
|94- कान गरम करना।
 
|94- कान गरम करना।
|
+
| अर्थ - पिटाई करना।  
अर्थ - पिटाई करना।  
 
 
|-
 
|-
 
|95- कान देना।
 
|95- कान देना।
|
+
| अर्थ - ध्यान से सुनना।  
अर्थ - ध्यान से सुनना।  
 
 
|-
 
|-
 
|96- कान पकड़ना।
 
|96- कान पकड़ना।
|
+
| अर्थ -  ग़लती मान लेना।
अर्थ -  ग़लती मान लेना।
 
 
|-
 
|-
 
|97- कान पर जूँ तक न रेंगना।
 
|97- कान पर जूँ तक न रेंगना।
|
+
| अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।  
अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।  
 
 
|-
 
|-
 
|98- कान भरना।
 
|98- कान भरना।
|
+
| अर्थ - चुगली करना।  
अर्थ - चुगली करना।  
 
 
|-
 
|-
 
|99- कान में बात डाल देना।
 
|99- कान में बात डाल देना।
|
+
| अर्थ -  सुना देना, कह देना।  
अर्थ -  सुना देना, कह देना।  
 
 
|-
 
|-
 
|100- कान में तेल डालकर बैठना।
 
|100- कान में तेल डालकर बैठना।
|
+
| अर्थ -  सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।  
अर्थ -  सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।  
 
 
|-
 
|-
 
|101- कान में फूँकना।
 
|101- कान में फूँकना।
|
+
| अर्थ - चुपचाप से कह देना।  
अर्थ - चुपचाप से कह देना।  
 
 
|-
 
|-
 
|102- कान लगाना।
 
|102- कान लगाना।
|
+
| अर्थ - ध्यान देकर सुनना।  
अर्थ - ध्यान देकर सुनना।  
 
 
|-
 
|-
 
|103- काफ़ूर होना।
 
|103- काफ़ूर होना।
|
+
|अर्थ - गायब हो जाना।
अर्थ - गायब हो जाना।
 
 
|-
 
|-
|104- काम आना।
+
|104- कोर दबना।
|
+
|अर्थ - दबाव में होना।
अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना।
 
 
|-
 
|-
 
|105- काम तमाम करना।
 
|105- काम तमाम करना।
|
+
|अर्थ -  मार डालना।   
अर्थ -  मार डालना।   
 
 
|-
 
|-
 
|106- काया पलट जाना।
 
|106- काया पलट जाना।
|
+
|अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
 
 
|-
 
|-
 
|107- काल कवलित होना।
 
|107- काल कवलित होना।
|
+
|अर्थ -  मर जाना।  
अर्थ -  मर जाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|108- काल के गाल में जाना।
 
|108- काल के गाल में जाना।
|
+
|अर्थ - मर जाना।  
अर्थ - मर जाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|109- काला नाग।
 
|109- काला नाग।
|
+
|अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।  
अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।  
 
 
|-
 
|-
 
|110- काला मुँह करना।
 
|110- काला मुँह करना।
|
+
|अर्थ - बदनामी करना, नाम ख़राब करना।  
अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना।  
 
 
|-
 
|-
 
|111- काले कोसों।
 
|111- काले कोसों।
|
+
|अर्थ -  बहुत दूर।  
अर्थ -  बहुत दूर।  
 
 
|-
 
|-
|112- क़िताबी कीड़ा होना।
+
|112- किताबी कीड़ा होना।
|
+
|अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
 
 
|-
 
|-
 
|113- किरकिरी हो जाना।
 
|113- किरकिरी हो जाना।
|
+
|अर्थ - विघ्न पड़ना।  
अर्थ - विघ्न पड़ना।  
 
 
|-
 
|-
 
|114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।
 
|114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।
|
+
|अर्थ - किसी भी काम का न होना।  
अर्थ - किसी भी काम का न होना।  
 
 
|-
 
|-
 
|115- क़िस्मत फूटना।
 
|115- क़िस्मत फूटना।
|
+
|अर्थ - बुरे दिन आना।  
अर्थ - बुरे दिन आना।  
 
 
|-
 
|-
 
|116- कीचड़ उछालना।
 
|116- कीचड़ उछालना।
|
+
|अर्थ -  निंदा करना।  
अर्थ -  निंदा करना।  
 
 
|-
 
|-
|117- कुआँ खोदना।
+
|117- [[कुआँ खोदना]]।
|
+
|अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना या किसी को फँसाने के लिए जाल रचना।
अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।
 
 
|-
 
|-
 
|118- कुएँ में गिरना।
 
|118- कुएँ में गिरना।
|
+
|अर्थ -  विपत्ति में पड़ जाना।  
अर्थ -  विपत्ति में पड़ जाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|119- कुएँ में भाँग पड़ना।
 
|119- कुएँ में भाँग पड़ना।
|
+
|अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।  
अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|120- कुछ उठा न रखना।
 
|120- कुछ उठा न रखना।
|
+
|अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।  
अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।  
 
 
|-
 
|-
 
|121- कुत्ते की दुम।
 
|121- कुत्ते की दुम।
|
+
|अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
 
 
|-
 
|-
 
|122- कुत्ते की मौत मरना।
 
|122- कुत्ते की मौत मरना।
|
+
|अर्थ -  बुरी तरह मरना।   
अर्थ -  बुरी तरह मरना।   
 
 
|-
 
|-
 
|123- कूच कर जाना।
 
|123- कूच कर जाना।
|
+
|अर्थ -  चले जाना।  
अर्थ -  चले जाना।  
 
 
|-
 
|-
 
|124- कूप मंडूक होना।
 
|124- कूप मंडूक होना।
|
+
|अर्थ -  सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
अर्थ -  सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
 
 
|-
 
|-
 
|125- कोई दम भर का मेहमान होना।
 
|125- कोई दम भर का मेहमान होना।
|
+
|अर्थ -  मरने के क़रीब होना।
अर्थ -  मरने के क़रीब होना।
 
 
|-
 
|-
 
|126- कोढ़ में खाज होना।
 
|126- कोढ़ में खाज होना।
|
+
|अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।
अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।  
 
 
|-
 
|-
|127- कोर दबना।
+
|127. [[काम से जाना]]
|
+
|अर्थ - काम चौपट होना या हाथ से निकल जाना।
अर्थ - दबाव में होना।
 
 
|-
 
|-
|128- कोल्हू का बैल।
+
|128. [[काम लेना]]
|
+
|अर्थ - वस्तु को उपयोग या व्यवहार में लाना।
अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।
 
 
|-
 
|-
|129- कौए उड़ाना।
+
|129. [[काम रहना]]
|
+
|अर्थ - प्रयोजन होना।
अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।
 
 
|-
 
|-
|130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।
+
|130. [[काम रह जाना]]
|
+
|अर्थ - होता हुआ काम बीच में रुक जाना।
अर्थ - कंजूस होना।
 
 
|-
 
|-
|131- कंधे से कंधा छिलना।
+
|131. [[आबोदाना उठना]]
|
+
|अर्थ - जीविका उपार्जन के लिए कहीं और जाना पड़ना।
अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
 
 
|-
 
|-
|132- ककड़ी-खीरा समझना।
+
|132. [[काम में हाथ डालना]]
|
+
|अर्थ - कार्य या व्यापार आरंभ करना।
अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
 
 
|-
 
|-
|133- कच्चा चिट्ठा खोलना।
+
|133. [[काम में आना]]
|
+
|अर्थ - उपयोग में आना।
अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
 
 
|-
 
|-
 +
|134. [[काम बनना]]
 +
|अर्थ - कार्य संपन्न होना, प्रयोजन सिद्ध होना।
 +
|-
 +
|135. [[काम पर जाना]]
 +
|अर्थ - दुकान, कार्यालय, कारख़ाने आदि में जाकर अपना नियमित कार्य करना।
 +
|-
 +
|136. [[काम पड़ना]]
 +
|अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाना जिसमें किसी दूसरे से सहायता के लिए कहना पड़े अथवा कोई अनुरोध करना पड़े।
 +
|-
 +
|137. [[काम निकाल लेना]]
 +
|अर्थ - दूसरों से अपना काम करा लेना।
 
|}
 
|}
 
  
 
[[Category:कहावत_लोकोक्ति_मुहावरे]]
 
[[Category:कहावत_लोकोक्ति_मुहावरे]]
 
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Latest revision as of 12:12, 20 April 2018

kahavat lokokti muhavare varnamala kramanusar khojean

a   a    i    ee    u    oo    e    ai    o   au    aan    k   kh    g    gh    ch    chh    j    jh    t    th    d   dh    t    th    d    dh    n    p    ph    b    bh    m    y    r    l    v    sh    sh    s    h    ksh    tr    shr

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kahavat lokokti muhavare arth
1- kak di-khira samajhana. arth - kisi vyakti ko nagany ya tuchchh samajhana.
2- kachcha chittha kholana. arth - sabake samane sab bhed khol dena.
3- kath ki haandi bar bar nahian chadhati. arth - lak di ki handiya bar bar nahian chadhati. kisi vyakti ko ek bar hi moorkh banaya ja sakata hai, bar-bar nahian.
4- kangali mean ata gila. arth - nuqasan par nuqasan hona.
5- kandhe se kandha chhilana. arth - bhari bhi d ka hona, meloan mean yatriyoan ka kandhe se kandhe chhilata hai.
6- kahe pandit padhi padhi bharo, poos amavas ki sudhi karo. arth - yadi poos mah ki dashami ko ghata chhayi ho to savan mah ki dashami ko charoan dishaoan mean varsha hogi.
7- kanya dhan minai jau. jahaan chahai tahanvai lau.. arth - kanya rashi ki sankranti hone par dhan (kumari) aur min rashi ki sankranti hone par jau ki fasal katani chahie.
8- kulihar bhadee boo yar. tab chiura ki hoy bahar.. arth - kulihar (poos-magh mean jote hue) khet mean bhadoan mean pakane vala dhan bone se chiu de ka anand ata hai- arthath vah dhan upajata hai.
9- kaua chala hans ki chal, bhool gaya apani bhi chal. arth - ek gandi machhali sare talab ko ganda kar deti hai.
10- kangali mean ata gila. arth - ek musibat par doosari musibat a jana.
11- kak di ke chor ko phaansi nahian di jati. arth - chhote aparadh ke lie bahut k da dand uchit nahian hota hai.
12- kachahari ka daravaza khula hai. arth - sabhi ke lie nyay ka rasta khula hai,nyay ke lie nyayalay mean jana chahie.
13- k dahi se gira choolhe mean p da. arth - chhoti vipatti se chhootakar b di vipatti mean p d jana.
14- kabir das ki ulati bani, barase kanbal bhige pani. arth - ulati bat karana.
15- qabr mean paanv latakae baitha hai . arth - maranasann .
16- kabhi din b de kabhi rat. arth - sab din ek saman nahian hote.
17- kabhi nav ga di par, kabhi ga di nav par. arth - halat badalate rahate haian.
18- kamali odhane se fakir nahian hota. arth - oopari veshabhoosha se kisi ke avagun nahian chhip jate.
19- kaman se nikala tir aur muanh se nikali bat vapas nahian ati. arth - bat soch- samajhakar karani chahie.
20- karat-karat abhyas ke j damati hot sujan arth - prayatn karate rahana chahie, saphalata avashy milegi.
21- karam ke baliya, pakaee khir ho gaya daliya. arth -
22- karamahin kheti kare, bail mare ya sookha p de. arth - durbhagy ho to kisi n kisi karan se kam kharab hota rahata hai.
23- kar le so kam ,bhaj le so ram. arth - karm karane aur pooja-path karane mean anakani nahian karani chahie.
24- kar seva to kha meva. arth - seva karane vale ko achchha phal milata hai.
25- kare koee bhare koee. arth - kisi ki karani ka phal koee aur bhoge.
26- kare dadhivala, pak da jae jae muanchhoanvala. arth - kisi ke aparadh ke lie kisi doosare ko doshi thaharaya jata hai.
27- kal kisane dekha hai. arth - bhavishy mean kya hoga , kaun janata hai. koee nahian janata ki kal kya hone vala hai.
28- kalal ki dukan par pani piyo to bhi sharab ka shak hota hai. arth - buri sangat mean kalank lagata hi hai. sharab ki dukan par jao to sabhi sochate haian ki sharab pine gaya hoga.
29- kahane se dhobi gadhe par nahian chadhata. arth - manamani karane vala doosaroan ki bat nahian manata.
30- kahaan ram–ram, kahaan taany-taany. arth - uchch koti ki vastu se kisi nimn- koti ki vastu ki tulana nahian ki ja sakati.
31- kahian ki eeant, kahian ka ro da, bhanumati ne kunaba jo da. arth - bemel chizean ko jo d-jo dakar ikattha kar lena.
32- kahian gadha bhi gho da ban sakata hai. arth - bura ya chhota adami kabhi achchha ya b da nahian ban sakata.
33- kahean khet ki, sune khalihan ki. arth - kaha kuchh gaya aur kuchh samajha kuchh gaya.
34- kagaz ki nav nahian chalati. arth - beeemani ya dhokhebazi zyada din tak nahian chal sakati.
35- kajal ki kothari mean kaiso hoo sayano jay, ek lik kajal ki lagi hai so lagi hai. arth - buri sangat mean rahane se kabhi n kabhi kalank avashy lag hi jata hai.
36- qazi ji dubale kyoan shahar ke aandeshe se. arth - apani chinta n karake doosaroan ki chinta karana.
37- kath ki haandi ek hi bar chadhati hai. arth - dhokhebazi har bar nahian chal sakati hai.
38- kan mean tel dale baithe haian. arth - kuchh sunate hi nahian , duniya ki khabar hi nahian.
39- kam ka na kaj ka , dushman anaj ka. arth - nikamma adami.
40- qabul mean kya gadhe nahian hote. arth - kuchh n kuchh buraee sab jagah hoti hai.
41- kam ko kam sikhata hai. arth - kam karate-karate anubhav se adami hoshiyar ho jata hai.
42- kal ke hath kaman, boodha bache n javan, kal n chho de raja, n chho de rank. arth - mrityu sab ko ati hai.
43- kala akshar bhaians barabar. arth - padha likha na hona.
44- kali ke byah ko sau jokho. arth - ek dosh hone par log anek dosh nikal dete haian.
45- kiya chahe chakari rakha chahe man. arth - svabhiman ki raksha naukari mean nahian ho sakati.
46- kis khet ka bathua hai, kis khet ki mooli hai. arth - are ,vah to kisi kimat ka nahian hai arthath nagany hai.
47- kisi ka ghar jale koee tape. arth - kisi ke du:kh aur pareshani se doosare ka khush hona.
48- kau di-kau di par jan dena. arth - kanjoos hona.
49- kuane ki mitti kuane mean hi lagati hai. arth - labh jahaan se hota hai vahian kharch bhi ho jata hai.
50- kaue u dana. arth - ghatiya ya chhote kam karana.
51- kutta bhi dum hilakar baithata hai. arth - safaee sab ko pasand hoti hai.
52- kutte ki dum barah baras nali mean rakho to bhi tedhi ki tedhi. arth - lakh prayatn karo, kutil vyakti apani kutilata nahian chho data.
53- kutte ko ghi nahian pachata. arth - nich adami uchche pad pakar doosaroan ko bevakooph samajhane lagata hai.
54- kutte ke bhaukanean se hathi nahian darate. arth - mahapurush nich vyakti ke dvara nianda karane se nahian ghabarate haian.
55- kolhoo ka bail. arth - din rat kam mean lage rahane vala.
56- kai hansa moti chuge, kai bhookha mar jay. arth - pratishthit vyakti apani maryada mean rahata hai. svabhiman ko chho dakar nahian jina pasand karata.
57- koee mare koee jive, suthara ghol batasha gave. arth - sabako apane sukh-du:kh se matalab hota hai. doosaroan ke du:kh ki koee chinta nahian karata.
58- koee mal mastakh, koee hal mastat. arth - koee amiri se santusht, koee garibi mean bhi santusht hai.
59- kothi vala rove, chhappar vala sove. arth - dhanavan dhan hone par bhi chiantit rahata hai, garib dhan na hone par bhi nishchiant rahata hai.
60- koyal hoy n ujali, sau man sabun lai. arth - koshish karane par bhi svabhav nahian badalata hai.
61- koyaloan ki dalali mean hath kale. arth - buroan ki sangat se bhale adami ko bhi kalank lag jata hai.
62- kau di nahian gaanth, chale bag ki sair. arth - poore sadhan nahian aur kam shuroo kar diya.
63- kaun kahe raja ji nange haian. arth - b de logoan ki buraee karane ki himmat kisi ki nahian hoti.
64- kaua chala hans ki chal, bhool gaya apani bhi chal. arth - doosaroan ki nakal karane se vyakti apana vyaktitv bhi kho baithata hai.
65- kya piddi aur kya piddi ka shoraba. arth - tuchchh vastu ya vyakti se b da kam nahian ho sakata hai.
66- ka varsha jab krishi sukhani. arth - avasar nikalane jane par sahayata milana vyarth hota hai.
67- kachchi goli nahian khelana. arth - anubhavahin nahian hona, parangat hona.
68- kat jana. arth - sharmianda hona, sharmianda hokar samane na p dana.
69- kate par namak chhi dakana. arth - du:khi vyakti ko aur adhik du:khi karana.
70- kadhi ka sa ubal. arth - mamooli se josh mean ana.
71- qadam ukh dana. arth - bhag kh de hona.
72- kanni katana. arth - samane na p dana, katara kar nikal jana, kisi ka samana n karana, usase door hi door rahana.
73- kamar kasana. arth - poori tarah taiyar ho jana.
74- kalam ka dhani. arth - achchha lekhak hona, bhasha par pak d hona.
75- kalam to dana. arth - bahut badhiya likhana.
76- kali khilana. arth - bahut khush hona.
77- kaleja thanda hona. arth - man ko sukh, shaanti aur sakoon milana.
78- kaleja dhak se rah jana. arth - dar jana, ghabara jana.
79- kaleja muanh ko ana. arth - du:kh hona, pareshan hona.
80- kaleja ka tuk da. arth - bahut pyara beta hona.
81- kaleje par saanp lotana. arth - dah se kudhana, jalan hona.
82- kaha-suni hona. arth - l daee jhag da hona.
83- kaanta door hona. arth - badha door hona, rookavatean hat jana.
84- kaante bichhana. arth - rookavatean aur a dachane paida karana.
85- kaantoan par letana. arth - bechain hona, pareshan hona.
86- kaantoan par ghasitana. arth - sankat, musibat mean dalana.
87- kagazi gho de dau dana. arth - keval likha-padhi karate rahana.
88- kajal ki kothari. arth - kalank lagane ka sthan.
89- kath ka ulloo. arth - mahamoorkh hona, buddhi na hona.
90- kath mar jana. arth - hataprabh ho jana, achambhit hona.
91- kan katarana. arth - mat dena, bevakooph banana.
92- kan kh de hona. arth - chaukanna hona.
93- kan kholana. arth - savadhan kar dena.
94- kan garam karana. arth - pitaee karana.
95- kan dena. arth - dhyan se sunana.
96- kan pak dana. arth - galati man lena.
97- kan par jooan tak n reangana. arth - kuchh bhi paravah n karana.
98- kan bharana. arth - chugali karana.
99- kan mean bat dal dena. arth - suna dena, kah dena.
100- kan mean tel dalakar baithana. arth - sunakar bhi suni huee bat par dhyan n dena.
101- kan mean phooankana. arth - chupachap se kah dena.
102- kan lagana. arth - dhyan dekar sunana.
103- kafoor hona. arth - gayab ho jana.
104- kor dabana. arth - dabav mean hona.
105- kam tamam karana. arth - mar dalana.
106- kaya palat jana. arth - badal kar doosara hi roop ho jana.
107- kal kavalit hona. arth - mar jana.
108- kal ke gal mean jana. arth - mar jana.
109- kala nag. arth - khota ya ghatak vyakti .
110- kala muanh karana. arth - badanami karana, nam kharab karana.
111- kale kosoan. arth - bahut door.
112- kitabi ki da hona. arth - keval padhane mean hi lage rahana.
113- kirakiri ho jana. arth - vighn p dana.
114- kis dard ya marz ki dava. arth - kisi bhi kam ka n hona.
115- qismat phootana. arth - bure din ana.
116- kich d uchhalana. arth - nianda karana.
117- kuaan khodana. arth - kisi ko hani pahuanchane ki koshish karana ya kisi ko phansane ke lie jal rachana.
118- kuean mean girana. arth - vipatti mean p d jana.
119- kuean mean bhaang p dana. arth - sabaki buddhi mari jana.
120- kuchh utha n rakhana. arth - koee kasar ya kami n chho dana.
121- kutte ki dum. arth - jaisa hai vaisa hi rahana, badalav na ana.
122- kutte ki maut marana. arth - buri tarah marana.
123- kooch kar jana. arth - chale jana.
124- koop mandook hona. arth - simit jnan ya anubhav vala hona.
125- koee dam bhar ka mehaman hona. arth - marane ke qarib hona.
126- kodh mean khaj hona. arth - du:kh mean aur du:kh hona.
127. kam se jana arth - kam chaupat hona ya hath se nikal jana.
128. kam lena arth - vastu ko upayog ya vyavahar mean lana.
129. kam rahana arth - prayojan hona.
130. kam rah jana arth - hota hua kam bich mean ruk jana.
131. abodana uthana arth - jivika uparjan ke lie kahian aur jana p dana.
132. kam mean hath dalana arth - kary ya vyapar aranbh karana.
133. kam mean ana arth - upayog mean ana.
134. kam banana arth - kary sanpann hona, prayojan siddh hona.
135. kam par jana arth - dukan, karyalay, karakhane adi mean jakar apana niyamit kary karana.
136. kam p dana arth - aisi sthiti utpann ho jana jisamean kisi doosare se sahayata ke lie kahana p de athava koee anurodh karana p de.
137. kam nikal lena arth - doosaroan se apana kam kara lena.