मूवर कोइल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 7: Line 7:
==वास्तुकला==
==वास्तुकला==
इस मन्दिर की वास्‍तुकलात्‍मक शैली बाद के चोलों के मुकाबले आरंभिक चोलों के अधिक निकट है। इसकी पहचान तिरूपुदीश्‍वरम के साथ की जाती है, जिसका नाम इसी स्‍थान के मुचुकुंदेश्‍वर मन्दिर में महिमाल्य इरूक्‍कुवेल के दूसरे अभिलेख में आता है। यह मन्दिर अर्द्धनारी, भिक्षाटन, उमासहित, गंगाधर, कलारी आदि भगवान [[शिव]] के रूपों की सुंदर मूर्तियों से सुसज्‍जित हैं। इसके अतिरिक्‍त अन्‍य [[देवता|देवताओं]] और [[अप्सरा|अप्सराओं]] की मूर्तियाँ भी हैं, जो असामान्‍य है और समकालीन [[चोल]] उदाहरणों में जिनके समरूप काफ़ी कम हैं। कुल मिलाकर दो विद्यमान भवन, खंडों के संधियोजन तथा अवयवों के संघटन के संदर्भ में समानुपाती भव्‍य तथा सुनियोजित हैं।
इस मन्दिर की वास्‍तुकलात्‍मक शैली बाद के चोलों के मुकाबले आरंभिक चोलों के अधिक निकट है। इसकी पहचान तिरूपुदीश्‍वरम के साथ की जाती है, जिसका नाम इसी स्‍थान के मुचुकुंदेश्‍वर मन्दिर में महिमाल्य इरूक्‍कुवेल के दूसरे अभिलेख में आता है। यह मन्दिर अर्द्धनारी, भिक्षाटन, उमासहित, गंगाधर, कलारी आदि भगवान [[शिव]] के रूपों की सुंदर मूर्तियों से सुसज्‍जित हैं। इसके अतिरिक्‍त अन्‍य [[देवता|देवताओं]] और [[अप्सरा|अप्सराओं]] की मूर्तियाँ भी हैं, जो असामान्‍य है और समकालीन [[चोल]] उदाहरणों में जिनके समरूप काफ़ी कम हैं। कुल मिलाकर दो विद्यमान भवन, खंडों के संधियोजन तथा अवयवों के संघटन के संदर्भ में समानुपाती भव्‍य तथा सुनियोजित हैं।
====दर्शन का समय====
====समय====
यह प्रात: 9 बजे से शाम के 5:30 बजे तक खुला रहता है।
यह प्रात: 9 बजे से शाम के 5:30 बजे तक खुला रहता है।
;प्रवेश शुल्क
;प्रवेश शुल्क

Latest revision as of 07:00, 13 December 2012

मूवर कोइल कोदंबलूर गाँव, तमिलनाडु में स्थित हिन्दू मन्दिर है। मूल रूप से इस मन्दिर परिसर में तीन एक जैसे मन्दिर थे, जो एक पंक्‍ति में थे। इस मन्दिर की वास्तुकला शैली बाद के चोलों के मुकाबले आरम्भिक चोलों के अधिक निकट है। मन्दिर अर्द्धनारी, भिक्षाटन, उमासहित, गंगाधर, कलारी आदि शिव के रूपों की सुन्दर प्रतिमाओं से सुसज्जित है।

इतिहास

केंद्रीय विमान पर एक संस्कृत भाषा में लिखित अभिलेख स्पष्ट रूप से बताता है कि एक इरुक्कवेल प्रमुख भूति विक्रमकेसरी ने इन मन्दिरों का निर्माण करवाया था। उसने केंद्रीय मन्दिर का नाम अपने स्वयं के नाम पर तथा पार्श्व के दो मन्दिरों के नाम अपनी रानियों नामत: कर्राली तथा वरगुणा के नाम पर रखे थे। भूति विक्रमकेसरी के शासन काल के संबंध में विद्वानों के दो मत हैं। पहला तो यह कि वह चोल राजा आदित्य प्रथम (875-907 ई.) का समकालीन था तथा दूसरा यह कि वह सुंदर चोल (957-973 ई.) तथा उनके पुत्र आदित्य द्वितीय (960-965 ई.) का समकालीन था।

संरचना

मन्दिर परिसर में तीन एक जैसे मन्दिर थे, जो पश्‍चिमोन्‍मुखी थे। इन तीनों के सामने एक महामंडप, एक वर्षा मंडप तथा एक गोपुर था और मुख्‍य मन्दिर को चारों ओर से घेरे हुए 16 मन्दिर छोटे देवताओं के लिए थे। इनमें से केन्‍द्रीय तथा दक्षिणी मन्दिरों को पूर्ण रूप से परिरक्षित किया गया है तथा शेष संरचनाएँ केवल योजना में परिरक्षित हैं और वह भी सफाई कार्य के दौरान प्रकाश में आईं। वेदियों का अधिष्‍ठान सुन्‍दर पद्म-पुष्‍कल ढंग का है। दीवारों में प्रक्षेप तथा देवकोष्‍ठक हैं, जिन पर मकर-तोरणों की छतरियाँ लगी हैं। वेदियों के ऊपरी तलों में मामूली भिन्‍नता है, किन्‍तु उनके ऊपर हिरणों सहित बड़े वर्गाकार शिखर लगे हुए हैं।

वास्तुकला

इस मन्दिर की वास्‍तुकलात्‍मक शैली बाद के चोलों के मुकाबले आरंभिक चोलों के अधिक निकट है। इसकी पहचान तिरूपुदीश्‍वरम के साथ की जाती है, जिसका नाम इसी स्‍थान के मुचुकुंदेश्‍वर मन्दिर में महिमाल्य इरूक्‍कुवेल के दूसरे अभिलेख में आता है। यह मन्दिर अर्द्धनारी, भिक्षाटन, उमासहित, गंगाधर, कलारी आदि भगवान शिव के रूपों की सुंदर मूर्तियों से सुसज्‍जित हैं। इसके अतिरिक्‍त अन्‍य देवताओं और अप्सराओं की मूर्तियाँ भी हैं, जो असामान्‍य है और समकालीन चोल उदाहरणों में जिनके समरूप काफ़ी कम हैं। कुल मिलाकर दो विद्यमान भवन, खंडों के संधियोजन तथा अवयवों के संघटन के संदर्भ में समानुपाती भव्‍य तथा सुनियोजित हैं।

समय

यह प्रात: 9 बजे से शाम के 5:30 बजे तक खुला रहता है।

प्रवेश शुल्क

भारतीय नागरिक और सार्क देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफ़ग़ानिस्तान) और बिमस्टेक देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलेंड और म्यांमार) आदि के पर्यटक पाँच रुपये प्रति व्यक्ति से यहाँ प्रवेश कर सकते हैं। अन्य पर्यटकों से दो अमरीकी डालर या 100 रुपया प्रति व्यक्ति लिया जाता है। पन्द्रह वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख