डुण्डलोद: Difference between revisions

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डुण्डलोद की पोशाक तथा यहाँ मेहमानों की होने वाली आवभगत विशेष आकर्षक होती है। गोयन्का हवेली ख़ासकर उसके सुंदर शिल्प व बारीक मीनाकारी देखने लायक है। ऊँट की सवारी से गाँव देखना बहुत रोचक होता है। शाही लोग अच्छे घोड़ों की नस्ले बनाने का शौक रखते हैं। यह तबेले घुड़सवारी तथा सफारी के लिये उपलब्ध हैं। इस रिसोर्ट पर एक दो दिन रहने से यहाँ की जीवन शैली का आनंद लिया जा सकता है। यहाँ पर्यटकों को तरह-तरह के पकवान खिलाने के लिये खानसामा भी उपलब्ध है।
डुण्डलोद की पोशाक तथा यहाँ मेहमानों की होने वाली आवभगत विशेष आकर्षक होती है। गोयन्का हवेली ख़ासकर उसके सुंदर शिल्प व बारीक मीनाकारी देखने लायक़ है। ऊँट की सवारी से गाँव देखना बहुत रोचक होता है। शाही लोग अच्छे घोड़ों की नस्ले बनाने का शौक़ रखते हैं। यह तबेले घुड़सवारी तथा सफारी के लिये उपलब्ध हैं। इस रिसोर्ट पर एक दो दिन रहने से यहाँ की जीवन शैली का आनंद लिया जा सकता है। यहाँ पर्यटकों को तरह-तरह के पकवान खिलाने के लिये खानसामा भी उपलब्ध है।


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डुण्डलोद राजस्थान में झुंझुनू ज़िले की नवलगढ़ तहसील का एक गाँव है। यह स्थान शेखावाटी प्रदेश के बीचो-बीच स्थित है तथा नवलगढ़ से सात किलोमीटर दूर है। डुण्डलोद के सीमावर्ती गाँव और कस्बे मुकुंदगढ़, बीदसर और नवलगढ़ हैं।

क़िला

यहाँ पर एक क़िला भी है, जिसका निर्माण 1750 में किया गया था। यह क़िला राजपूत तथा मुग़ल कला तथा वास्तुकला का संगम है। 'दिवान-ए-ख़ास' में रंगीन कांच की खिड़कियाँ, सुंदर पुरानी चीजें तथा एक भव्य ग्रंथालय है। जनाना कमरे पहली मंज़िल पर हैं, जिनका अंदरूनी हिस्सा अत्यंत सुंदर तथा लकड़ी के सामान से युक्त है। इस क़िले को एक बहुत ही आरामदेह स्थल में परिवर्तित कर दिया गया है।

पर्यटन

डुण्डलोद की पोशाक तथा यहाँ मेहमानों की होने वाली आवभगत विशेष आकर्षक होती है। गोयन्का हवेली ख़ासकर उसके सुंदर शिल्प व बारीक मीनाकारी देखने लायक़ है। ऊँट की सवारी से गाँव देखना बहुत रोचक होता है। शाही लोग अच्छे घोड़ों की नस्ले बनाने का शौक़ रखते हैं। यह तबेले घुड़सवारी तथा सफारी के लिये उपलब्ध हैं। इस रिसोर्ट पर एक दो दिन रहने से यहाँ की जीवन शैली का आनंद लिया जा सकता है। यहाँ पर्यटकों को तरह-तरह के पकवान खिलाने के लिये खानसामा भी उपलब्ध है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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