गंगा स्नान पर्व गढ़मुक्तेश्वर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
*[[गढ़मुक्तेश्वर]] [[तीर्थ]] प्राचीन काल से ही श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र रहा है, जो अपनी पावनता से श्रद्धालुओं को लुभाता रहा है।  
[[गढ़मुक्तेश्वर]] [[तीर्थ]] प्राचीन काल से ही श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र रहा है, जो अपनी पावनता से श्रद्धालुओं को लुभाता रहा है।  
*[[पुराण|पुराणों]] में उल्लेख है कि [[कार्तिक]] [[मास]] के [[शुक्ल पक्ष]] की [[एकादशी]] से लेकर [[पूर्णिमा]] तक गंगा-स्नान करने का यहां विशेष महत्व है और विशेष कर पूर्णिमा को गंगा स्नान कर 'भगवान गणमुक्तीश्वर' पर [[गंगाजल]] चढ़ाने से व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है।  
*[[पुराण|पुराणों]] में उल्लेख है कि [[कार्तिक]] [[मास]] के [[शुक्ल पक्ष]] की [[एकादशी]] से लेकर [[पूर्णिमा]] तक गंगा-स्नान करने का यहां विशेष महत्व है और विशेष कर पूर्णिमा को गंगा स्नान कर 'भगवान गणमुक्तीश्वर' पर [[गंगाजल]] चढ़ाने से व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है।  
*पुराणों की यह भी मान्यता है कि कार्तिक मास में गंगा स्नान के पर्व के अवसर पर गणमुक्तीश्वर तीर्थ में [[अग्नि]], [[सूर्य]] और [[इन्द्र]] का वास रहता है तथा स्वर्ग की अप्सरायें यहां आकर महिलाओं व विशेष कर कुमारियों पर अपनी कृपा-वृष्टि करती हैं, अत: यहां स्नान हेतु कुमारी कन्याओं के आने की पुरानी परम्परा है।  
*पुराणों की यह भी मान्यता है कि कार्तिक मास में गंगा स्नान के पर्व के अवसर पर गणमुक्तीश्वर तीर्थ में [[अग्नि]], [[सूर्य]] और [[इन्द्र]] का वास रहता है तथा स्वर्ग की अप्सरायें यहां आकर महिलाओं व विशेष कर कुमारियों पर अपनी कृपा-वृष्टि करती हैं, अत: यहां स्नान हेतु कुमारी कन्याओं के आने की पुरानी परम्परा है।  
Line 15: Line 15:
{{उत्सव और मेले}}
{{उत्सव और मेले}}
[[Category:उत्तर_प्रदेश]][[Category:गाज़ियाबाद]]
[[Category:उत्तर_प्रदेश]][[Category:गाज़ियाबाद]]
[[Category:संस्कृति कोश]][[Category:पर्व और त्योहार]][[Category:उत्सव और मेले]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:संस्कृति कोश]][[Category:पर्व और त्योहार]][[Category:उत्सव और मेले]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 12:14, 21 March 2014

गढ़मुक्तेश्वर तीर्थ प्राचीन काल से ही श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र रहा है, जो अपनी पावनता से श्रद्धालुओं को लुभाता रहा है।

  • पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक गंगा-स्नान करने का यहां विशेष महत्व है और विशेष कर पूर्णिमा को गंगा स्नान कर 'भगवान गणमुक्तीश्वर' पर गंगाजल चढ़ाने से व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है।
  • पुराणों की यह भी मान्यता है कि कार्तिक मास में गंगा स्नान के पर्व के अवसर पर गणमुक्तीश्वर तीर्थ में अग्नि, सूर्य और इन्द्र का वास रहता है तथा स्वर्ग की अप्सरायें यहां आकर महिलाओं व विशेष कर कुमारियों पर अपनी कृपा-वृष्टि करती हैं, अत: यहां स्नान हेतु कुमारी कन्याओं के आने की पुरानी परम्परा है।
  • इन दिनों यह मेला गढ़मुक्तेश्वर से लगभग 6 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में गंगाजी के विस्तृत रेतीले मैदान में लगभग 7 किलोमीटर के क्षेत्र में लगता है, जिसे अनेक संतरों में विभाजित कर मेला यात्रियों के ठहरने का समुचित प्रबंध किया जाता है।
  • मेले में सर्कस, चलचित्र आदि मनोरंजन के भरपूर साधन रहते हैं।
  • इनके अतिरिक्त विभिन्न सम्प्रदायों व अखाड़ों के कैम्प लगते हैं, जिनमें विभिन्न धर्मों के धर्मगुरु, संत-महात्मा पधार कर मानव एकता, आत्मीयता एवं देश-प्रेम से ओत-प्रोत धार्मिक व्याख्यानों से जनता को रसमग्न करते है। इससे 'अनेकता में एकता' के सूत्र में बंधने की भावना साकार हो उठती है.


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख